व्यवस्था में पर्याप्त नकदी डाल रहा है रिजर्व बैंक | अनूप रॉय / मुंबई February 21, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक ने 12 फरवरी को द्वितीयक बाजार से करीब 26,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड बिना बताए खरीदे हैं। इसके एक दिन पहले रिजर्व बैंक ने पहले से घोषित ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के हिस्से के रूप में 20,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। इससे पता चलता है कि बॉन्ड मार्केट के कथन के विपरीत रिजर्व बैंक व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी डाल रहा है।
पिछले सप्ताह में उधारी का भारी दबाव था, क्योंकि दो नीलामियों के आयोजन किए गए थे। 11 फरवरी को रिजर्व बैंक ने 26,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड विशेष नीलामी के माध्यम से बेचे थे, जो 5 और 10 साल के बॉन्ड थे। वहीं 12 फरवरी को केंद्रीय बैंक ने नियमित नीलामी के माध्यम से 32,125 करोड़ रुपये जुटाए, जिसमें प्राथमिक डीलरों पर 6,700 करोड़ रुपये खर्च शामिल है।
बजट के बाद 2 फरवरी को 10 साल का बॉन्ड प्रतिफल बढ़कर 6.12 प्रतिशत हो गया था, जो बजट के दिन 5.90 प्रतिशत था। लेकिन रिजर्व बैंक की दो नीलामियों से प्रतिफल 5.95 प्रतिशत के नजदीक आ गया। बहरहाल रिजर्व बैंक द्वारा द्वितीयक बाजार को ज्यादा समर्थन न करने के कारण एक बार फिर प्रतिफल 6.13 प्रतिशत पर आ गया। यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि बॉन्ड बाजार रिजर्व बैंक पर ज्यादा ओएमओ लाने के लिए दबाव डाल रहा है और ऐसा न करने पर वे प्रतिफल बढ़ा रहे हैं। दरों के एक विशेषज्ञ ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'बॉन्ड बाजार कम दाम पर खरीद के लिए प्रतिफल बढ़ा रहा है, उसके बाद ओएमओ की मांग कर रहा है। निश्चित रूप से इसमें लालच का कुछ अंश शामिल है।'
केंद्रीय बैंक घोषित और अघोषित दोनोंं ही तरीके से पूरे साल तक ओएमओ करता रहा है। प्रत्यक्ष ओएमओ के अतिरिक्त वह दीर्घावधि बॉन्डों की खरीद और इसके बराबर राशि के कम अवधि के बॉन्डों की बिक्री करके विशेष ओएमओ का भी आयोजन करता है। लेकिन प्रत्यक्ष ओएमओ अब मानक बन गया है। बिक्री के साथ केंद्रीय बैंक ने 14 फरवरी तक द्वितीयक बाजार से 3.04 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। सूत्रों का कहना है कि 10 साल का प्रतिफल 6 प्रतिशत के नीचे रखने के लिए अगले वित्त वर्ष में खरीद और ज्यादा हो सकती है।
इसके पहले रिजर्व बैंक अपनी बॉन्ड होल्डिंग भरने के लिए अज्ञात रूप से बॉन्ड खरीदा करता था। लेकिन अब रिजर्व बैंक सरकार के भारी उधारी कार्यक्रम के समायोजन के लिए अपने बैलेंस सीट का विस्तार कर रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष में उधारी 14 लाख करोड़ रुपये पार कर जाएगी, जबकि अगले वित्त वर्ष में 12 लाख करोड़ रुपये उधारी की योजना है। इसके बार रिजर्व बैंक को ज्यादा समायोजन करना है। रिजर्व बैंक यह कवायद कर रहा है कि प्रतिफल 6 प्रतिशत के नीचे रहे, जबकि बॉन्ड बाजार के हिस्सेदार मानते हैं कि यह व्यावहारिक नहीं है।
एक वरिष्ठ बॉन्ड ट्रेडर ने कहा, 'जब आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ेंगी तब महंगाई दर और ब्याज दरें दोनों बढ़ेंगी। अगर रिजर्व बैंक को प्रतिफल नियंत्रित करना है तो उसे बाजार में नकदी की जरूरतों की भरपाई करनी होगी और वह ज्यादा से ज्यादा पहले से घोषित ओएमओ को लागू करेगा।'
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