अगले वित्त वर्ष के लिए पेश आम बजट में भविष्य निधि के ब्याज पर भी कर लगाने का प्रस्ताव है। उसमें कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति 1 साल में 2.5 लाख रुपये से अधिक राशि भविष्य निधि में जमा करता है तो उसे कमाए गए ब्याज पर कर देना होगा। कर लगने के बाद कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में 2.5 लाख रुपये सालाना से अधिक योगदान करने वालों का प्रतिफल कर लगने के बाद कम हो जाएगा। मगर उसके बाद भी ये योजनाएं स्थिर आय वाली अधिकतर योजनाओं के मुकाबले आकर्षक रहेंगी।ज्यादातर सरकारी योजनाओं से बेहतर 2.5 लाख रुपये तक के सालाना योगदान वाले कर्मचारियों को पहले की तरह 8.5 फीसदी कर मुक्त प्रतिफल मिलता रहेगा। इससे अधिक योगदान वाला व्यक्ति 30 फीसदी आयकर दायरे में आएगा और उसे कर कटने के बाद 5.85 फीसदी रिटर्न मिलेगा। सभी निवेशकों के लिए खुली केवल एक सरकारी योजना 5.85 फीसदी से अधिक प्रतिफल देती है और वह लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) है, जिस पर 7.1 फीसदी की दर से करमुक्त ब्याज मिलता है। सुकन्या समृद्घि योजना खाते पर भी 7.6 फीसदी प्रतिफल मिलता है, जो पूरी तरह करमुक्त है। मगर इसमें केवल वे लोग ही निवेश कर सकते हैं, जिनकी 10 साल से कम उम्र की बेटी है। इसी तरह वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (कर पूर्व प्रतिफल 7.4 फीसदी), आरबीआई बॉन्ड (7.5 फीसदी), किसान विकास पत्र (6.9 फीसदी) और राष्ट्रीय बचत पत्र (6.8 फीसदी) जैसी दूसरी सरकारी योजनाओं में कर पूर्व और कर उपरांत प्रतिफल कम ही रहता है।निवेश कैसे किया जाए? मान लीजिए कि ईपीएफ में आप सालाना 2.5 लाख रुपये से कम योगदान करते हैं। निवेश एवं कर विशेषज्ञ बलवंत जैन सुझाते हैं, 'ईपीएफ में अपने अनिवार्य सालाना योगदान को 2.5 लाख रुपये में से घटा लीजिए। जो भी रकम बचती है, उसे वीपीएफ में निवेश कीजिए ताकि आपका कुल योगदान 2.5 लाख रुपये ही रहे। इसके बाद पीपीएफ में निवेश सीमा का पूरा इस्तेमाल करने के लिए वहां 1.5 लाख रुपये डाल दें।' इस तरह निवेश करने पर 2.5 लाख रुपये पर आपको 8.5 फीसदी प्रतिफल हासिल होगा और पीपीएफ में गए 1.5 लाख रुपये पर 7.1 फीसदी प्रतिफल मिलेगा। इसके बाद आपकी इच्छा हो और आपके पास नकदी पड़ी हो तो वीपीएफ में और निवेश कर डालिए। लेकिन अगर आप 30 फीसदी आयकर दायरे में आते हैं तो ध्यान रखिए कि इसके बाद जो भी रकम आप उसमें डालेंगे, उस पर आपको कर कटने के बाद 5.8 फीसदी प्रतिफल ही मिलेगा। पीपीएफ बनाम वीपीएफ इन दोनों योजनाओं की तुलना प्रतिफल के अलावा किन पैमानों पर की जा सकती है? पीपीएफ की 15 साल की अवधि पूरी होने के बाद आप उसे 5-5 साल के लिए बढ़ा सकते हैं। 15 साल पूरे होने पर आंशिक निकासी की इजाजत भी मिल जाती है। अवधि विस्तार के समय जो भी रकम है, उसका 60 फीसदी हिस्सा अगले पांच साल में निकाला जा सकता है मगर 1 साल में एक बार ही निकासी की जा सकती है। जैन के मुताबिक इसका नुकसान यही है कि आप पीपीएफ में एक साल में केवल 1.5 लाख रुपये डाल सकते हैं। आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आपका भविष्य निधि खाता जीवन भर चलता नहीं रहेगा। आपके सेवानिवृत्त होने के तीन साल बाद यह निष्क्रिय हो जाएगा और इस पर ब्याज मिलना भी बंद हो जाएगा।दूसरे विकल्प भी मौजूद सेवानिवृत्ति के लिए रकम जमा करनी है तो आप राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) पर भी गौर कर सकते हैं। निवेश में इक्विटी भी शामिल होने और कम शुल्क होने के कारण इसका प्रतिफल आकर्षक हो सकता है मगर यह स्थिर नहीं होता। इसमें आपको आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (1बी) के अंतर्गत 50,000 रुपये तक की कर छूट भी मिलती है, जो धारा 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये तक की छूट के अलावा होती है। यदि आप ऐसा विकल्प तलाश रहे हैं, जहां प्रतिफल स्थिर चाहे नहीं हो मगर तरलता रहे तो आप कम अवधि के ड्यूरेशन फंड खंगाल सकते हैं। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और वित्तीय योजना फर्म हम फौजी इनीशिएटिव्स के मुख्य कार्य अधिकारी संजीव गोविला कहते हैं, 'अगर आप तीन साल से अधिक के लिए निवेश करते हैं और इंडेक्सेशन का लाभ भी लेते हैं, तो कर के बाद आपका प्रतिफल वीपीएफ से मिलने वाले प्रतिफल के बराबर हो सकता है।'पिछली तारीख से कर नहीं अंत में एक बात साफ कर दी जाए। कुछ खबरों में कहा गया था कि 2.5 लाख रुपये से अधिक सालाना योगदान पर कर लगने वाला नियम पिछली तारीख से भी लागू हो सकता है। मगर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इसे पिछली तारीख से लागू नहीं किया जाएगा।
