उर्वरक, रिफाइनरी में ग्रीन हाइड्रोजन! | श्रेया जय / नई दिल्ली February 19, 2021 | | | | |
केंद्र सरकार नैशनल हाइड्रोजन मिशन के तहत कुछ क्षेत्रों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। कृषि, पेट्रोलियम, स्टील व अन्य क्षेत्रों में आयातित अमोनिया की जगह इसके इस्तेमाल की योजना है।
केंद्रीय बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा, 'हम अगले 4-5 महीनों में ग्रीन हाइड्रोजन की बोली कराने जा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, स्टील मंत्रालय और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ पहले ही चर्चा हो चुकी है।
सिंह ने कहा, 'हम अमोनिया आयात करते हैं। मान लीजिए कि हम अक्षय ऊर्जा खरीद की तरह इसको अनिवार्य कर दें। इसकी शुरुआत 10 प्रतिशत आयातित अमोनिया से किया जा सकता है, जिसकी जगह भारत में उत्पादित हरित अमोनिया का इस्तेमाल हो सकता है।' उन्होंने कहा कि इसी तरह की अनिवार्यता रिफाइनरी, स्टील उद्योग आदि मं हाइड्रोजन खपत के लिए की जा सकती है।
सिंह ब्यूरो आफ एनर्जी इफिसिएंसी की ओर से आयोजित सरकार के गो इलेक्ट्रिक अभियान को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
गडकरी ने कहा कि सभी सरकारी अधिकारियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिससे परिवहन के स्वच्छ साधन को प्रोत्साहित किया जा सके। साथ ही इलेक्ट्रिक कुकिंग उपकरणों पर सब्सिडी दी जानी चाहिए। गडकरी ने कहा, 'गरीबों के लिए इलेक्ट्रिक कुकिंग उपकरणों पर सब्सिडी दिए जाने की संभावना है।' उन्होंने कहा कि इसके अलावा बड़े, लग्जरी होटलों सहित आधुनिक किचन को बिजली आधारित किया जा सकता है।
वाहनों की स्कै्रपिंग नीति पर बात करते हुए गडकरी ने कहा कि इससे लीथियम, कॉपर, प्लास्टिक, रबर जैसे विभिन्न धातुओं को निकालने में मदद मिलेगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए लीथियम की जरूरत पूरी करने में सहायता मिलेगी।
गडकरी ने कहा, 'स्क्रैप वाहनों और कंप्यूटरों से मिले अवशेष से लीथियम की जरूरत पूरी करने को समर्थन मिल सकता है। भारत इलेक्ट्रिक वाहन की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में लीथियम (जिसका इस्तेमाल लीथियम ऑयन बैटरी में होता है) इस तरह के स्रोतों से शुरुआती कुछ वर्षों तक मिल सकता है, जब तक कि देश में अन्य सामग्रियों से बैटरी नहीं बनने लगती है।'
सड़क मंत्री ने यह भी कहा कि सार्वजनिक परिवहन बसों के बेड़ों को भी इलेक्ट्रिक संचालित किया जा सकता है। केंद्रीय बजट 2021 में 18,000 करोड़ रुपये की नई योजना का प्रस्ताव किया गया है, जिससे सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं को समर्थन मिल सके।
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