एमेजॉन द्वारा नियम-कायदों का कथित उल्लंघन किए जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है और अमेरिका की इस ई-कॉमर्स दिग्गज से कई प्रकार की जानकारी मांगी है। इस जानकारी से एजेंसी को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कंपनी ने कुछ खास विक्रेताओं को तरजीह देकर भारतीय नियामकों को चकमा तो नहीं दिया। इस बात का भी पता चलेगा कि फ्चूयर कूपन्स के साथ कंपनी का सौदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के खिलाफ तो नहीं है। फ्यूचर कूपन्स किशोर बियाणी के नेतृत्व वाली फ्यूचर रिटेल के प्रवर्तक समूह की इकाई है। सूत्रों के अनुसार ईडी ने एमेजॉन और फ्यूचर कूपन्स को चि_ी लिखकर कई प्रकार की जानकारी मांगी है, जिसमें दोनों के बीच सौदे के समझौते, निवेश का जरिया, वित्तीय लेनदेन और सरकारी मंजूरी की जानकारी शामिल है। ईडी में कार्यरत सूत्रों ने बताया कि इस सौदे के अलावा एमेजॉन से उसके साथ जुड़े विके्रताओं और एक खास अवधि के दौरान उसके भंडार के बारे में भी पूछा गया है। इस बारे में फ्यूचर ग्रुप को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया। सूत्रों का कहना है कि फ्यूचर ने ईडी को इस सौदे से जुड़ी कुछ जानकारी पहले ही मुहैया करा दी है। एमेजॉन ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। एमेजॉन के खिलाफ जांच का दायरा उस समय बढ़ाया गया है, जब सरकार ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर में एमेजॉन पर आरोप लगने के बाद स्थिति रिपोर्ट मांगी। एजेंसी का आरोप है कि एमेजॉन ने एफडीआई के नियमों का उल्लंघन किया। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस मामले में हम दो प्रमुख पहलू जांच रहे हैं। पहली बात तो यह है कि विदेशी निवेश संवद्र्घन बोर्ड की मंजूरी नहीं होने के कारण फ्यूचर कूपन्स में एमेजॉन का निवेश विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के खिलाफ तो नहीं है। दूसरी बात, ई-कॉमर्स कंपनी विदेशी निवेश पर देसी नियामक के प्रतिबंधों को चकमा देकर तो नहीं निकल गई।' अधिकारी के अनुसार ईडी ने दोनों पहलुओं को समेटा है और उसी आधार पर सूचनाएं जुटा रहा है। फेमा विदेशी मुद्रा लेनदेन में अनियमितताओं की जांच करता है और इसके तहत दीवानी मुकदमा चलाया जाता है। अधिकारी ने कहा कि फ्यूचर कूपन्स के साथ सौदे के मामले में जांच एजेंसी एमेजॉन को दिए गए अधिकार खंगाल रही है। एमेजॉन का दावा है कि फ्यूचर रिटेल का नियंत्रण उसके पास है। दूसरे मामले में एफडीआई नीति के तहत स्थानीय विके्रताओं की भागीदारी से संबंधित पहलुओं की जांच हो रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक खबर में दावा किया था कि एमेजॉन ने विक्रेताओं के एक छोटे समूह को अधिक फायदा उठाने में मदद की थी। रॉयटर्स ने अपनी खबर में दावा किया कि एमेजॉन इन विक्रेताओं का इस्तेमाल भारत में नियामकीय प्रावधानों को ताक पर रखने के लिए करता है। खबर में यह भी दावा किया गया था कि एमेजॉन के साथ करीब 4 लाख से अधिक विके्रता जुड़े हैं, लेकिन कंपनी की बिक्री में दो-तिहाई से अधिक योगदान केवल 35 विक्रेताओं का है। खबर में यह भी कहा गया कि इस एमेजॉन का कुछ बड़े विके्रताओं के भंडार पर खासा दबदबा था।
