एयरटेल डीटीएच से शानदार प्रतिफल में नाकाम रही वारबर्ग! | राघवेंद्र कामत / मुंबई February 19, 2021 | | | | |
अमेरिकी पीई फंड हाउस वारबर्ग पिनकस द्वारा भारती एयरटेल की डीटीएच इकाई से बाहर निकलने के कदम को निवेश कंपनी में सबसे छोटी पारी और सबसे कम प्रतिफल के साथ हिस्सेदारी बिक्री माना जा रहा है। वारबर्ग ने वर्ष 2017 में एयरटेल के डीटीएच व्यवसाय में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी और वह तीन वर्ष के अंदर महज 0.4 गुना के प्रतिफल के साथ इससे बाहर हो गई है।
इस कंपनी पर नजर रख रहे विश्लेषकों का कहना है कि भारती ने डिजिटल दांव के तौर पर इसे खरीदा था और वारबर्ग को भारती के शेयर के जरिये सूचीबद्घ कंपनी में प्रवेश का मौका मिला था।
लेकिन देश में वर्ष 1995 से 5 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश कर चुके इस फंड हाउस ने अपने पीई निवेशकों में से कुछ में शानदार निकासी की है।
पैतृक कंपनी भारती एयरटेल से वारबर्ग की निकासी भारतीय निजी इक्विटी के इतिहास में शानदार बिकवाली में से एक रही थी। वारबर्ग ने 1999 और 2001 के बीच एयरटेल में 29.2 करोड़ डॉलर का निवेश किया और 2004 तथा 2005 में निवेश से बाहर निकलते समय यह रकम बढ़कर 1.83 अरब डॉलर हो गई जिससे उसे 5.5 गुना का प्रतिफल कमाने का मौका मिला।
लेकिन प्रतिफल के संदर्भ में वारबर्ग की सबसे बड़ी बिकवाली तब देखी गई जब उसने दो बार में एयू फाइनैंस बैंक में 15 गुना से ज्यादा के प्रतिफल के साथ 1790 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। उसने 2014 में कंपनी में यह निवेश किया था।
वारबर्ग ने ऐसे कई लाभकारी निवेश की बिक्री की है।
उदाहरण के लिए, लेमन ट्री होटल्स में उसके निवेश का जिक्र किया जा सकता है। 2018 में, वारबर्ग ने 2.5 गुना के प्रतिफल के साथ कंपनी के आईपीओ के दौरान लेमन ट्री होटल्स में अपनी 12 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची, और शेष 12.4 प्रतिशत हिस्सा साल के अंत में 3.2 प्रतिशत के प्रतिफल के साथ बेचा। 2011 में, उसने कोटक महिंद्रा बैंक में अपना निवेश बेचना शुरू किया, जिसमें उसने अपनी 9.28 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाकर 3,400 करोड़ रुपये जुटाए।
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