डीएचएफएल सौदे पर केंद्रीय बैंक की मुहर | देव चटर्जी / मुंबई February 18, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन को खरीदने के पीरामल समूह के सौदे पर मुहर लगा दी है। संकट में फंसी डीएचएफएल के अधिग्रहण पर पीरामल समूह 34,250 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इस कंपनी के लिए अमेरिका की ओकट्री ने भी बोली लगाई थी, लेकिन पीरामल ने बड़ी बोली लगाकर उसे दौड़ से बाहर कर दिया। समूह की योजना डीएचएफएल का विलय अपनी वित्तीय सेवा इकाई में करने का है, जिसके लिए वह राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की इजाजत का इंतजार कर रहा है।
पीरामल ने एक बयान में कहा, 'हमें पता चला है कि आरबीआई ने डीएचएफएल के लिए पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस की समाधान योजना पर मुहर लगा दी है।' इससे पहले 15 जनवरी को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने डीएचएफएल के लिए पीरामल समूह की ऋण समाधान योजना स्वीकार कर ली थी। इसके साथ ही दिवालिया आवास ऋण कंपनी के कायाकल्प का रास्ता साफ हो गया। डीएपचएफएल का मामला दिसंबर, 2019 से ही मध्यस्थता न्यायालय में था।
पीरामल ने डीएचएफएल के बहीखाते में नकदी सहित 14,700 करोड़ रुपये की अग्रिम रकम डालने की पेशकश की थी और 19,550 करोड़ रुपये के एनसीडी बाद में देने का वादा किया था। पीरामल के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ऋण आवंटन में विविधता चाहती है, इसीलिए डीएचएफएल का अधिग्रहण किया गया है। साथ ही भविष्य में दवा और वित्तीय सेवा कारोबारों को अलग करने की उसकी योजना में भी इससे मदद मिलेगी। पीरामल समूह के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी अपने वित्तीय कारोबार को डीएचएफएल में मिलाना चाहती है और सभी कर्मचारियों को रखेगी। कारोबार बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती भी की जा सकती है।
डीएचएफएल अपने ऋणदाताओं को 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज लौटा नहीं पाई थी और ऑडिटरों को उसके खातों से 15,000 रुपये की हेराफेरी का भी पता चला था। इसके बाद कंपनी को दिवालिया अदालत भेज दिया गया था। डीएचएफएल के प्रवर्तक इस समय जेल में हैं और उन पर काले धन को सफेद करने का आरोप है। अधिग्रहण की दौड़ में पीरामल समूह इसीलिए आगे निकल गया क्योंकि ज्यादा नकदी अग्रिम जमा करने की उसकी पेशकश ऋणदाताओं की समिति को पसंद आ गई। पीरामल की योजना के मुताबिक डीएचएफएल के मौजूदा शेयरधारकों को कुछ नहीं मिलेगा। सआरबीआई से अनुमति मिलने के बाद सीओसी पीरामल की योजना को इजाजत के लिए एनसीएलटी के पास भेजेगी। एनसीएलटी की अनुमति मिलते ही विलय की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
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