देश में रोजगार के मोर्चे पर साल 2021 की अच्छी शुरुआत | श्रम-रोजगार | | महेश व्यास / February 18, 2021 | | | | |
जनवरी 2021 में भारत ने बेरोजगारी दर में बड़ी गिरावट दर्ज करने के साथ रोजगार दर में प्रभावी बढ़त भी हासिल की। बेरोजगारी दर दिसंबर 2020 के 9.1 फीसदी से घटकर 6.5 फीसदी पर आ गई जबकि रोजगार दर 36.9 फीसदी से बढ़कर 37.9 फीसदी पर पहुंच गई। ये बड़े सकारात्मक बदलाव हैं।
रोजगार में लगे लोगों की संख्या जनवरी में बढ़कर 40.07 करोड़ हो गई जबकि दिसंबर 2020 में यह संख्या 38.88 करोड़ थी। इस तरह जनवरी के दौरान करीब 1.2 करोड़ अधिक लोगों को रोजगार मिला। यह एक बड़ी संख्या है क्योंकि लॉकडाउन के पहले शायद ही कभी रोजगार में मासिक बदलाव 50 लाख से अधिक रहा है। जनवरी में तो रोजगार वृद्धि इस अधिकतम संख्या से भी दोगुनी रही है। इसके साथ लॉकडाउन के शुरुआती महीनों में रोजगार में आई तीव्र गिरावट के बाद रिकवरी प्रक्रिया सुस्त पड़ गई थी और फिर यह मुकाम तक पहुंचने के पहले ही रुक गई। अक्टूबर से लेकर दिसंबर 2020 के दौरान हर महीने रोजगार में गिरावट रही। इस लिहाज से जनवरी 2021 में हुई यह रिकवरी एक राहत लेकर आई है। जनवरी 2021 में हुए सुधार ने उसके पहले के तीन महीनों में हुई रोजगार क्षति की पूरी तरह भरपाई कर ली। लॉकडाउन के बाद से सितंबर 2020 में रोजगार आंकड़ा 39.77 करोड़ पर रहा था। फिर दिसंबर 2020 आने तक करीब 90 लाख रोजगार कम हो गए। लेकिन जनवरी में लगभग 1.2 करोड़ रोजगार बढऩे से इसकी भरपाई हो गई। वास्तव में, जनवरी 2021 में रोजगार में लगे लोगों की 40.07 करोड़ लोगों की संख्या मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद का सर्वोच्च स्तर है।
जनवरी में हुई रोजगार वृद्धि का असर यह हुआ है कि देश में बेरोजगार लोगों की गिनती 2.79 करोड़ पर आ गई। ये बेरोजगार काम करने के इच्छुक होने के साथ ही सक्रियता से रोजगार की तलाश में भी लगे हैं। यह आंकड़ा असाधारण रूप से बहुत कम है। वर्ष 2019-20 में काम के लिए तैयार एवं रोजगार तलाश रहे बेरोजगारों की संख्या 3.3 करोड़ थी। और अब यह संख्या 2.8 करोड़ से भी कम हो चुकी है।
जनवरी 2021 में बेरोजगारों की संख्या में आई यह गिरावट दर्शाती है कि उस महीने में बेरोजगारी दर भी गिरी है। पिछले छह महीनों में बेरोजगारी दर में अस्थिरता रही है क्योंकि नवंबर में यह 6.5 फीसदी के निम्न स्तर से दिसंबर में 9.1 फीसदी के उच्च स्तर पर रही। इन छह महीनों में औसत बेरोजगारी दर करीब 7.4 फीसदी पर रही है जो एक हद तक ऊंची है। बेरोजगारी दर की यह अस्थिरता बेरोजगारों की संख्या में आए मासिक बदलाव में बड़ी अस्थिरता को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि इस दौरान लोग तेजी से बेरोजगार एवं रोजगार की जद में आते रहे। वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक के आधे महीनों में करीब 20 लाख लोग या तो बेरोजगार होते रहे या रोजगार पाते रहे। औसतन करीब 3 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की संख्या को देखें तो यह उठापटक के उच्च स्तर को दर्शाता है। बेरोजगारी आंकड़े में मासिक विभेद 2016-2019 के आधे महीनों में +7 फीसदी से लेकर -7 फीसदी के बीच रहा।
लॉकडाउन के दौरान यह अस्थिरता काफी अधिक थी। लेकिन इस दौर की अनिश्चितता बाह्य आघात का नतीजा थी। सामान्य दिनों में बेरोजगारी की उच्च मासिक अनिश्चितता से पता चलता है कि भारत में अनौपचारिक रोजगार का अनुपात अधिक है। किसी शख्स को एक दिन रोजगार मिला हुआ है लेकिन अगले ही दिन वह बेरोजगार हो जाता है। यह सच है कि भारत में अधिकतर लोगों को नियमित रोजगार नहीं मिला हुआ है। किसी खास दिन में उनके रोजगार की स्थिति इस पर निर्भर करती है कि अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है, स्थानीय पर्यावरण कैसा है, मोटे तौर पर कारोबारी माहौल कैसा है और एक हद तक किस्मत भी अहम भूमिका निभाती है।
बीते दो महीनों यानी दिसंबर एवं जनवरी में इस अनिश्चितता में असामान्य उछाल देखने को मिली है। दिसंबर 2020 में भारत में बेरोजगारों की संख्या में 1.13 करोड़ की बढ़त दर्ज की गई जबकि जनवरी 2021 में बेरोजगारों की गिनती में 1.07 करोड़ की कमी पाई गई। दो महीनों के ही भीतर आंकड़ों में आया बदलाव बेहद असामान्य है। शायद दिसंबर में बेरोजगारों की संख्या में दर्ज की गई वृद्धि अधिक असाधारण थी। जनवरी में भारत बेरोजगारों की अपनी सामान्य गिनती पर लौट आया है जो औसतन करीब 2.8 करोड़ है। यह सितंबर 2020 से ही बेरोजगारों की औसत संख्या है, दिसंबर को छोड़कर जब यह 3.8 करोड़ पर पहुंच गई।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था सीएमआईई के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वे से बेरोजगारों के दो स्तर सामने आते हैं। एक व्यक्ति को बेरोजगार केवल तभी माना जाता है जब वह काम करना चाहता हो लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा हो। सीएमआईई ऐसे लोगों को भी दो श्रेणियों में वर्गीकृत करता है- जो पूरी सक्रियता से काम की तलाश कर रहे हैं और जो ऐसा नहीं कर रहे हैं। सीएमआईई ने बेरोजगार एवं बेरोजगारी दर की जो गणना की है वह काम करने के इच्छुक और उसके लिए शिद्दत से कोशिश कर रहे बेरोजगारों की संख्या पर आधारित है। जनवरी 2021 में ऐसे लोगों की संख्या 2.79 करोड़ थी। इसके अलावा 1.21 करोड़ लोग ऐसे भी थे जो बेरोजगार होने के साथ काम करने के लिए तैयार भी थे लेकिन वे पूरी सक्रियता से रोजगार की तलाश नहीं कर रहे थे। सीएमआईई ने बेरोजगारी दर की गणना के दौरान इस श्रेणी के लोगों को शामिल नहीं करता है।
इस तरह काम के लिए तैयार होने के बावजूद किसी भी तरह के रोजगार से वंचित लोगों की संख्या जनवरी 2021 में 4 करोड़ थी। हालांकि यह संख्या अपने आप में बड़ी है लेकिन गत दो वर्षों में यह सबसे कम संख्या भी है। भारत में रोजगार अब भी लॉकडाउन-पूर्व से कम है लेकिन अब काम के ख्वाहिशमंद बेरोजगारों की संख्या भी कम है। रिकवरी अभी पूरी नहीं हुई है लेकिन जनवरी 2021 में हमने अच्छी प्रगति की है।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)
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