दिल्ली : उद्योग फ्रीहोल्ड करने की तैयारी | रामवीर सिंह गुर्जर / नई दिल्ली February 16, 2021 | | | | |
दिल्ली में उद्योगों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड करने की तैयारी शुरू हो गई है। दिल्ली सरकार ने पुनर्वास योजना के तहत आवंटित उद्योगों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड करने की नीति तैयार की है। जिस पर अब सुझाव मांगे जा हैं। इन सुझावों के बाद इस योजना को अंतिम मंजूरी दी जाएगी। उद्योग फ्रीहोल्ड करने की इस योजना से 22 हजार से अधिक उद्यमियों को लाभ होगा। उद्योग फीहोल्ड होने से उदयमियों को कारोबार के लिए कर्ज आदि सुविधाएं आसानी से मिल सकेंगी।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2005 में उद्योगों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड करने की नीति बनी थी। लेकिन इस नीति में पुनर्वास योजना के आवंटियों को शामिल नहीं किया गया था। ये आवंटी लंबे समय से फ्रीहोल्ड की मांग कर रहे हैं। ऐसे में कारोबार को सुगमता प्रदान करने के लिए कन्वर्जन स्कीम,2005 में संशोधन किया जा रहा है ताकि पुनर्वास योजना के तहत औदयोगिक भूखंड लेने वाले उदयमियों के भूखंड फ्रीहोल्ड कर उन्हें मालिकाला हक दिया जा सके। इसके लिए फ्रीहोल्ड नीति को दिल्ली राज्य औदयोगिक अवसंरचना और विकास निगम के बोर्ड से मंजूरी दी जा चुकी है। अब इस नीति पर हितधारकों से 8 मार्च तक सुझाव मांगे गए हैं। इन सुझावों के बाद इस योजना को अंतिम मंजूरी दी जाएगी। अधिकारी ने कहा कि लीजहोल्ड से उद्योगों फ्रीहोल्ड करने के लिए एकमुश्त शुल्क भी लिया जाएगा। यह शुल्क दिल्ली विकास प्राधिकरण दवारा अधिसूचित जमीन के कन्वर्जन शुल्क का 10 फीसदी होगा। इस योजना के तहत फ्रीहोल्ड उन्ही उद्योगों को किया जाएगा, जिनके सभी देय शुल्क मसलन पटटा किराया, रखरखाव शुल्क आदि का भुगतान कर दिया गया हो।
पुनर्वास योजना के तहत बसे बवाना औदयोगिक क्षेत्र के उद्यमी और बवाना चैंबर आफ इंडस्टीज के चेयरमैन प्रकाशचंद जैन ने बताया कि सरकार उद्योग की करीब 15 साल पुरानी मांग को तो पूरा कर रही है। लेकिन इस नीति में मूल आवंटियों के उद्योगों को ही फ्रीहोल्ड करने की शर्त है। जिससे इस नीति के सबसे बडे लाभार्थी बवाना के उद्यमियों को नुकसान होगा क्योंकि इस औद्योगिक क्षेत्र के ज्यादातर मूल आवंटी अपने औद्योगिक भूखंड को पावर आफ अटॉर्नी यानी जीपीए पर बेच चुके हैं।
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