प्रतिभूतिकरण की मात्रा में सुधार | सुब्रत पांडा / नई दिल्ली February 12, 2021 | | | | |
महामारी के कारण दो तिमाही तक की शांति के बाद चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में प्रतिभूतिकरण की मात्रा में तेजी आई है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक इस तिमाही के दौरान शैडो बैंकिंग क्षेत्र ने खुदरा कर्ज संपत्तियों में 24,400 करोड़ रुपये सुरक्षित किए हैं, जो इसके पहले की तिमाही की तुलना में 61 प्रतिशत ज्यादा है।
वित्त वर्ष 20 की तीसरी तिमाही के दौरान गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों (एचएफसी) ने 47,000 करोड़ रुपये कर्ज सुरक्षित किए हैं। इस तरह से पिछले साल की तुलना में प्रतिभूतिकरण की मात्रा 48 प्रतिशत कम है।
वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही के दौरान एनबीएफसी और एचएफसी ने 7,500 करोड़ रुपये के कर्ज का प्रतिभूतिकरण किया था और अगली तिमाही में प्रतिभूतिकरण वाले कर्ज की मात्रा बढ़कर 15,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो क्रमिक आधार पर इजाफे का संकेत देती है। ऐसा नहीं है कि केवल मात्रा में ही इजाफा हुआ है, बल्कि प्रतिभूतिकरण की गतिविधि शुरू करने वाले मूल प्रवर्तकों की संख्या में भी सुधार के संकेत दिए हैं। तीसरी तिमाही के दौरान 50 प्रवर्तकों ने प्रतिभूतिकरण किया, जबकि दूसरी और पहली तिमाही के दौरान यह संख्या क्रमश: 45 और 18 थी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि निवेशक और प्रवर्तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कोविड-19 के विनियामकीय कार्यक्रम के तहत प्रदान की गई अधिस्थगन अवधि के अंत में अगस्त 2020 के बाद अधिकांश परिसंपत्ति वर्गों में देखे गए स्वस्थ संचयन के मद्देनजर फिर से प्रतिभूतिकरण को वित्त पोषण के एक व्यावहारिक उपकरण के तौर पर देख रहे हैं।
एजेंसी ने कहा कि हालांकि ज्यादातर निवेशक समूह चयन के दौरान सख्त मानदंड़ अपना रहे हैं, लेकिन मुख्य रूप से सुरक्षित परिसंपत्ति वर्ग में इस तरह के खुदरा समूह की खरीद की मांग में काफी इजाफा हुआ है, जो बाजार के लिए अच्छा शगुन होगा। रेटिंग एजेंसी ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 21 में वार्षिक प्रतिभूतिकरण की मात्रा 80,000 से 90,000 करोड़ रुपये के दायरे में रहेगी।
परिसंपत्ति वर्ग के बीच इस वित्त वर्ष के दौरान प्रतिभूतिकरण की मात्रा पर अधिकांश रूप से सुरक्षित परिसंपत्तियां ही हावी रही हैं। गिरवी रखी जाने वाली प्रतिभूतियों, जो महामारी से अपेक्षाकृत कम बाधित रही हैं, उनमें कम चूक सामने आई है। इसके परिणाम स्वरूप वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही के दौरान कुल प्रतिभूतिकरण की मात्रा को 33 प्रतिशत से और अधिक मजबूत करते हुए वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 42 प्रतिशत कर दिया।
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