लुफ्थांसा ने भारत में अपने 135 लोगों के केबिन क्रू यानी चालक दल में से 103 को बाहर कर दिया है। कंपनी का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण हवाई यात्रा बुरी तरह प्रभावित हो गई है और ऐसे में बेड़े के आकार को घटना बेहद जरूरी है। जर्मन की विमानन कंपनी लॉकडाउन से पहले भारत में प्रति सप्ताह 42 उड़ानों का संचालन करती थी जो अब एयर ट्रैवल बबल के तहत घटकर महज 10 उड़ान प्रति सप्ताह रह गई है। भारत में फ्लाइट अटेंडेंट को बिना वेतन के दो साल की छुट्टी पर भेज दिया गया था। विमानन कंपनी ने आखिरकार उनकी छंटनी करने का निर्णय लिया क्योंकि वह उनके साथ समझौता करने में असमर्थ थी। समझा जाता है कि विमानन कंपनी ने भारत में 32 स्थायी क्रू सदस्यों को बरकरार रखा है। प्रभावित कर्मियों ने कंपनी के इस निर्णय को अनुचित करार देते हुए दिल्ली में विरोध करने की योजना बनाई है। चालक दल के एक सदस्य ने कहा, 'क्रू को कोविड-19 के कारण बिना वेतन के दो साल की छुट्टी पर भेज दिया गया था। हम यह आश्वासन देने के लिए कह रहे कि दो साल पूरा होने के बाद कर्मचारियों को वापस काम पर रखा जाए और किसी को भी बाहर न किया जाए। लेकिन विमानन कंपनी यह आश्वासन देने के लिए तैयार नहीं थी। उसने हमें बिना नोटिस दिए बाहर कर दिया। जर्मनी में ऐसी कोई छंटनी नहीं हुई है।' लुफ्थांसा ने एक बयान में कहा, 'हर महीने लाखो यूरो के खर्च को देखते हुए लुफ्थांसा को भी अन्य वैश्विक विमानन कंपनियों की तरह अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। चूंकि हमें लंबे समय तक (2025 तक) 150 कम विमानों के साथ परिचालन करने की योजना बनाई है, इसलिए हमारे सभी बाजारों में आवश्यक केबिन क्रू भी प्रभावित हो रहे हैं। विशेष तौर पर सरकारी पाबंदियों के कारण अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा की मांग कम हो गई है और ऐसे में चालक दल के सदस्यों के पास मामूली अथवा कोई काम नहीं बचा है।'
