यूपी में कोरोना काल में भी मंडियों की कमाई बढ़ी | बीएस संवाददाता / लखनऊ February 12, 2021 | | | | |
कोरोना महामारी के दौर में भी उत्तर प्रदेश की मंडियों ने बीते साल दिसंबर महीने तक 802 करोड़ रुपये की कमाई की है। उत्तर प्रदेश में अब तक 125 मंडी समितियों को केंद्र सरकार की ई-नाम योजना से जोड़ा दिया गया है। प्रदेश की 27 प्रमुख मंडियों को राइपनिंग चैंबर, कोल्ड चैंबर जैसी सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। मंडी परिषद की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च, 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में मंडी परिषद की कुल आय 1,210 करोड़ रुपये थी, जबकि योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद वित्त वर्ष 2018-19 में आय का आंकड़ा बढ़ कर 1,822 हो गया। सत्ता संभालने के 2 साल बाद मंडी परिषद की आय 612 करोड़ रुपये बढ़ गई। वित्त वर्ष 2019-20 में मंडी समितियों की कुल आय का आंकड़ा बढ़ कर 1,997 करोड़ तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी की मार के बावजूद दिसंबर 2020 तक मंडी समितियों की आय 802 करोड़ रुपये रही है। कोरोना के दौरान 45 कृषि उत्पाद गैर अधिसूचित, मंडी शुल्क से मुक्त किया गया है। मंडी परिसरों के बाहर का व्यापार पूरी तरह लाइसेंस व मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया गया है।
मंडी परिषद के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना काल के दौरान किसानों को बड़ी राहत देते हुए 45 कृषि उत्पादों को गैर अधिसूचित कर मंडी शुल्क से मुक्त किया गया। मंडी शुल्क को घटा कर 2 फीसदी से 1 फीसदी किया गया। मंडी परिसरों के बाहर के व्यापार को पूरी तरह लाइसेंस व मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया गया जिससे किसान अपने उत्पाद कहीं भी और किसी भी व्यापारी को अपनी कीमत पर तत्काल बेच सके। इसके साथ ही योगी सरकार ने प्रदेश की 27 प्रमुख मंडियों को राइपनिंग चैंबर, कोल्ड चैंबर और आधुनिक सुविधाओं के लिहाज से विकसित करते हुए आधुनिक किसान मंडी के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश की 125 मंडी समितियों को भारत सरकार की ई-नाम योजना से जोड़ा गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में 459 करोड़ रुपये का डिजिटल व्यापार हुआ है ।
राज्य सरकार के प्रवक्त के मुताबिक कुछ साल पहले तक किसानों के लिए परेशानी और सरकार के लिए बोझ बनी मंडी समितियां अब न सिर्फ मुनाफा कमा रही हैं बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के अभियान की अहम कड़ी साबित हो रही हैं। मंडी समितियों के कामकाज को पूरी तरह पारदर्शी बना कर राज्य सरकार ने इसे किसानों के सबसे बड़े सहयोगी के तौर पर पेश किया है। अब किसान सीधे अपनी फसल मंडियों में बेच कर ज्यादा मुनाफा ले रहे हैं ।
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