उत्तर प्रदेश के गांवों में अब खेती की जमीनों के कागजात डिजिटल रूप में मिलेंगे। योगी सरकार प्रदेश भर के एक लाख से ज्यादा गांवों की 7.65 करोड़ संपत्तियों का कंप्यूटरीकरण करने जा रही है। प्रदेश सरकार ने गांवों की आबादी में बने मकानों के स्वामित्व के कागज सौंपने की शुरुआत कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश के 11 जिलों के 1,001 गांवों के 1.57 लाख ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) का ऑनलाइन वितरण किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने पूरी तरह से ऑनलाइन डिजिटल खसरा प्रारूप दिए जाने की भी शुरुआत की है। उत्तर प्रदेश में अब तक 37 जिलों के 1,578 गांवों के 2,09,016 भूखंड स्वामियों को घरौनी मिल चुकी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि घरौनी मात्र भूमि का मालिकाना हक दिलाने वाला सरकारी कागज भर नहीं है। बल्कि यह लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्मसमान का बोध कराने और आत्मनिर्भरता की राह दिखाने का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को अपने गांव की आबादी क्षेत्र में स्थित अपनी संपत्तियों (भवन, प्लॉट आदि) के प्रमाणित दस्तावेज मिल रहे हैं। यह विवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करेगा और जरूरत पडऩे पर बेझिझक इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक से आसानी से कर्ज भी लिया जा सकेगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने डिजिटल खसरा बनाने और देने की भी शुरुआत की। योगी ने कहा कि पहले के 21 कॉलम के ऑफलाइन खसरे के स्थान पर अब 46 कॉलम के नए और पूरी तरह से ऑनलाइन डिजिटल खसरे जारी होने से संपत्ति संबंधी विवाद कम होंगे और लोगों को आसानी होगी। इस ऑनलाइन खसरा में गाटे का विवरण फसल व सिंचाई के साधन का विवरण, दैवीय आपदा व कृषि अपशिष्ट निस्तारण का विवरण, वृक्षों का विवरण, गैर कृषि भूमि का विवरण, लीज का विवरण, दो फसली क्षेत्रफल व अकृषि भूमि का विवरण तथा विशेष विवरण अंकित किया जाएगा। सभी लेखपालों को प्रदेश सरकार की ओर से पहले ही लैपटॉप व मोबाइल फोन उपलब्ध कराए जा चुके हैं। डिजिटल खसरे के लिए राजस्व परिषद ने सॉफ्टवेयर तैयार किया है।
