क्या वित्तीय बाजार में है बुलबुले सी स्थिति? | आकाश प्रकाश / February 11, 2021 | | | | |
उपरोक्त शीर्षक में कही गई बात ही इस समय वित्तीय बाजार प्रतिभागियों के बीच चर्चा का विषय है। इसके पक्ष और विपक्ष में मजबूत दलील दी जा रही हैं। निवेश से जुड़े लोग इस बहस में दोनों ओर नजर आ रहे हैं। डॉयचे बैंक ने हाल ही में 600 बाजार प्रतिभागियों पर सर्वेक्षण किया जिनमें से करीब 90 प्रतिशत ने काफी हद तक या आंशिक रूप से माना कि वित्तीय बाजारों में बुलबुले की स्थिति है। यह वह स्थिति होती है जब शेयरों या परिसंपत्ति का मूल्य अस्वाभाविक रूप से बढ़ा होता है और वास्तविक मूल्य के साथ असंगत होता है। यह बहुत आम विचार है। प्रतिभागियों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जो मानते हैं बिटकॉइन और अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर दो ऐसी परिसंपत्तियां हैं जो बुलबुले की स्थिति में हैं। मेरा मानना है कि टेस्ला और एसपीएसी (विशेष उद्देश्य से अधिग्रहण के लिए बनी कंपनियां) को इसमें शामिल करना चाहिए।
बिटकॉइन की कीमतें अतिशय बुलबुले की स्थिति दर्शाती हैं। सन 2019 में गिरावट के बाद इसमें 1,000 प्रतिशत का सुधार हुआ। गति और आकार में यह केवल सत्रहवीं सदी के ट्यूलिप मैनिया बुलबुले से छोटा है। उस वक्त ट्यूलिप की भारी खरीदारी के कारण उसके दाम अप्रत्याशित रूप से बढ़े और एक फूल की औसत कीमत कुशल कामगारों की साल भर की आय से अधिक हो गई थी। चूंकि बिटकॉइन का मूल्यांकन आसान नहीं है, नियामकीय स्तर पर जोखिम है और कीमतों में उतार-चढ़ाव रहता है तो खरीदारों को सावधान रहना चाहिए।
अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों की बात करें तो बड़ी कंपनियों के बेहतरीन प्रदर्शन के बारे में सभी जानते हैं। शीर्ष 10 कंपनियों के शेयर एसऐंडपी 500 में 30 फीसदी के हिस्सेदार हैं। यह हिस्सेदारी 2010 में 10 प्रतिशत थी। गत छह वर्ष में 10 बड़ी कंपनियों के शेयर 3.5 गुना बढ़े। इन्हें निकाल दिया जाए तो एसऐंडपी की 490 कंपनियों की वृद्धि केवल 40 प्रतिशत रही। परंतु बुलबुले की स्थिति यहां नहीं दिखती। छोटी कंपनियों के शेयरों, मुनाफारहित प्रौद्योगिकी शेयरों और हाल में प्रस्तुत आरंभिक सार्वजनिक निर्गम की कीमतें अतिरंजित हैं। खुदरा खरीद ने उनकी कीमतें बढ़ा दी हैं।
टेस्ला 8,00 अरब डॉलर के साथ दुनिया की छठी सबसे अधिक बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी हो गई है। सन 2020 के आरंभ में इसका बाजार पूंजीकरण 75 अरब डॉलर था। इसका मूल्य समूचे अमेरिकी, यूरोपीय संघ और जापान के वाहन उद्योग के बाजार पूंजीकरण का 80 प्रतिशत है। कंपनी ने 2020 में 5 लाख कार बेचीं। यदि वाहनों के मूल उपकरण निर्माताओं के बाजार पूंजीकरण की बात करें तो शीर्ष पांच में से तीन इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी हैं। टेस्ला, टोयोटा और फोक्सवैगन के बाद एनआईओ और बीवाईडी का क्रम है। सन 2019 में पारंपरिक वाहन कलपुर्जा कंपनियों का बाजार एक लाख करोड़ डॉलर का था जबकि समूचा इलेक्ट्रिक वाहन बाजार (टेस्ला, बैटरी कंपनियां और स्टार्ट अप) 200 अरब डॉलर का था। आज वाहन कलपुर्जा उद्योग का बाजार पूंजीकरण एक लाख करोड़ डॉलर ही है जबकि इलेक्ट्रिक वाहन बाजार 1.5 लाख करोड़ डॉलर का हो चुका है। जाहिर है यहां कीमतें अतिरंजित रूप से बढ़ी हुई हैं। क्या अमेरिकी शेयरों में भी यही स्थिति है?
मूल्यांकन में वे महंगे नजर आते हैं। आप सोच सकते हैं कि एसऐंडपी 500 किसी भी मूल्यांकन माप पर 95 से 99 फीसदी पर है। बाजार मूल्यांकन/जीडीपी 140 प्रतिशत है जो बहुत अधिक है। शिलर सीएपीई (चक्रीय समायोजन वाला मूल्य/आय अनुपात) के मामले में फिलहाल दूसरा उच्चतम स्तर है जो सन 1929 के उच्चतम स्तर से भी अधिक है। केवल 1999-2000 का प्रौद्योगिकी बुलबुला ही इससे ऊपर था। ब्याज दरों के समायोजन के बाद मूल्यांकन बहुत बुरी स्थिति में नहीं हैं। दीर्घावधि की दरें कभी इतनी कम नहीं रहीं और बाजार की आय दीर्घावधि के बॉन्ड प्रतिफल से अधिक है। सन 1960 के बाद ऐसा शायद ही कभी हुआ। कोई मूल्यांकन मॉडल जिसमें दरों को शामिल किया गया हो वह तय आय की तुलना में शेयरों के लिए बेहतरी दर्शाता है। रिकॉर्ड कम दरें उच्च शेयर मूल्यांकन को उचित ठहराती हैं। परंतु ये कितनी अधिक हो इस पर बहस हो सकती है।
केवल शेयर कीमतों के बॉन्ड से बेहतर होने का यह अर्थ नहीं है कि वे विशुद्ध रूप से सकारात्मक प्रतिफल देंगी। दोनों परिसंपत्ति वर्ग आने वाले समय में नकारात्मक हो सकते हैं। यहां बुलबुले जैसी स्थिति कहां है? शेयरों में या तयशुदा आय में? आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक ऋण में 18 लाख करोड़ डॉलर ऋणात्मक प्रतिफल वाली है। कुल बॉन्ड के करीब 74 प्रतिशत का प्रतिफल एक फीसदी से कम है। 10 वर्ष की सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल दुनिया भर में न्यूनतम स्तर पर है। वास्तविक प्रतिफल भी दुनिया भर में ऋणात्मक है। फेडरल रिजर्व तथा अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा प्रतिफल पर नियंत्रण अहम होगा। बाजार मानकर चल रहे हैं कि केंद्रीय बैंक बॉन्ड बाजार को तेजी की इजाजत नहीं देंगे और मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि तय आय वाले निवेशकों को आशंकित नहीं करेगी। यह तेजडिय़ों के लिए बड़ा जोखिम है और बाजार की दृष्टि से भी अहम आकलन है। हर कोई मान रहा है कि फेडरल रिजर्व दो तीन साल दरें नहीं बढ़ाएगा।
सन 2000 का प्रौद्योगिकी बुलबुला जहां वैश्विक था वहीं आज वह अमेरिका में केंद्रित है। अमेरिकी शेयरों की तुलना में अंतरराष्ट्रीय शेयरों का मूल्यांकन कमजोर है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में सीएपीई 15 पर है जबकि सन 2000 में यह करीब 30 था। जर्मनी में सीएपीई 20 था जबकि प्रौद्योगिकी बुलबुले के दौर में यह 50 था। इन बाजारों में शेयर बॉन्ड की तुलना में हमेशा से सस्ते हैं।
निवेशक क्या करें? जब तक बॉन्ड प्रतिफल रिकॉर्ड निचले स्तर पर हैं, वित्तीय हालात एकदम सहज हैं और वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में आय के मजबूत रहने और आर्थिक सुधार के गति पकडऩे के आसार हैं। ऐसे में मूल्यांकन कोई संकेतक नहीं हैं और दरों में और इजाफा हो सकता है। यह सही है कि ऐसी रैली का अंतिम चरण काफी लाभप्रद हो सकता है।
यदि जल्दी बिकवाली के संभावित जोखिम की अनदेखी कर दी जाए तो कम से कम बिटकॉइन, इलेक्ट्रिक व्हीकल, अमेरिका की कम गुणवत्ता वाली मझोली प्रौद्योगिकी कंपनियों और बॉन्ड आदि से पैसे निकालना समझ में आता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजारों, उभरते बाजारों और मूल्य केंद्रित शेयरों में पूंजी लगाना उचित होगा। जोखिम कम करने के लिए शेयरों की बिक्री करने के बजाय अधिक मूल्य वाली परिसंपत्ति से दूरी बनाना उचित होगा। मुझे नहीं लगता कि यह सन 2000 का दोहराव है जब एक क्षेत्र के बुलबुले ने समूचे बाजार को ध्वस्त कर दिया था। यह नकदी की ओर भागने का नहीं बल्कि पोर्टफोलियो को अधिक वैश्विक और मूल्य केंद्रित बनाने का वक्त है।
केवल एक बात मेरा मन बदल सकती है और वह यही कि केंद्रीय बैंक प्रतिफल पर नियंत्रण रखने में नाकाम रहें या कोरोनावायरस का स्वरूप ऐसा बदले कि टीके निष्प्रभावी साबित हों। उस वक्त हम एक आर वैश्विक मंदी की ओर होंगे। तब किसी तरह का सुधार देखने को नहीं मिलेगा। आय की मजबूती आर्थिक हालात सामान्य होने पर निर्भर है। जब तक टीका कारगर नहीं होता, हालात सामान्य नहीं होंगे। हम अत्यधिक सहज वित्तीय हालात के कारण होने वाले विस्तार का दौर पार कर चुके हैं। हमें व्यापक बाजार को स्थायित्व देने के लिए अब आय में सुधार करना होगा। कम से कम अमेरिका में यह बात सही है। उभरते बाजारों के पास आने वाले दशक में बेहतर प्रदर्शन की राह होगी।
(लेखक अमांसा कैपिटल से संबद्ध हैं)
|