इंडिया रेटिंग को अगले साल जीडीपी में 10.4 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली February 11, 2021 | | | | |
इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च का अनुमान है कि वित्त वर्ष 22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 10.4 प्रतिशत रहेगी और इसकी वजह बेस इफेक्ट होगा। साथ ही एजेंसी ने यह भी संकेत दिए हैं कि वित्त वर्ष 23 के पहले अर्थपूर्ण रिकवरी होने की संभावना नहीं है।
रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि पहले 9 महीने के संकुचन के बाद वित्त वर्ष 21 की जनवरी मार्च तिमाही के दौरान वृद्धि दर धनात्मक होकर 0.3 प्रतिशत हो जाएगी।
एजेंसी ने कहा है कि सालाना आधार पर वित्तवर्ष 22 में रिकवरी वी आकार की होगी, लेकिन जीडीपी का आकार बमुश्किल ही वित्त वर्ष 20 के पार जाएगा और यह ट्रेंड वैल्यू से 10.6 प्रतिशत कम होगा।
इंडिया रेटिंग में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, 'वित्त वर्ष 22 में वित्त वर्ष 21 की खोई हुई जमीन मिलेगी।'
सिन्हा ने कहा, 'वित्त वर्ष 20 मंदी का साल था और वित्त वर्ष 21 लॉकडाउन का साल रहा। कोविड-19 हमारे लिए बुरा दौर लेकरक आया। बहरहाल बड़े पैमाने पर टीकाकरण और हर्ड इम्यूनिटी हुए बगैर अर्थव्यवस्था पर सुस्ती का असर बना रहेगा।'
एजेंसी ने एक नोट में कहा है कि अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन का असर कम हो रहा है, लेकिन ठेके से जुड़े क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने में देरी होगी। इंडिया रेटिंग को उम्मीद है कि सरकारक का खपत पर अंतिम व्यय वित्त वर्ष 22 में पिछले साल की तुलना में 10.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी क्योंकि सरकार ने अर्थव्यवस्था में मांग वाले क्षेत्र को बहुप्रतीक्षित समर्थन देने के लिए राजकोषीय यथास्थितिवाद से दूरी बनाई है।
वित्त वर्ष 22 में निजी अंतिम खपत व्यय में 11.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की संभावना है, जो वित्त वर्ष वर्ष में 13.2 प्रतिशत संकुचित हुई है। इसमें दवा, स्वास्थ्य, टेलीकॉम की अहम भूमिका होगी और गैर विवेकाधीन उपभोक्ता वस्तुएं, बुनियादी ढांचा, औद्योगिक सामान और बिजली, लोहा, स्टील, लॉजिस्टिक, सीमेंट, निर्माण, ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल कल पुर्जे भी अपनी भूमिका निभाएंगे।
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