भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बॉन्ड प्रतिफल में इजाफे पर सख्त संकेत देने के बाद बॉन्ड बाजार में 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल एक और साल के लिए 6 फीसदी से नीचे रह सकता है।
केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को समूचे बॉन्ड नीलामी की जिम्मेदारी प्राथमिक डीलरों को दे दी क्योंकि बाजार में 5 और 10 साल के बॉन्ड की बिक्री के लिए ज्यादा प्रतिफल की मांग की जा रही थी। आरबीआई ने आज कहा कि वह बुधवार को द्वितीयक बाजार से 20,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीद करेगा। बॉन्ड डीलरों को उम्मीद है कि इस तरह के खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) चालू वित्त वर्ष के बचे समय में आम घटना बन सकते हैं और अगले वित्त वर्ष भी यह जारी रह सकते हैं। हालांकि आरबीआई फिलहाल ओएमओ कैलेंडर जारी करने का मन नहीं बनाया है जबकि बाजार के एक वर्ग का इसके आने की उम्मीद थी। बॉन्ड डीलरों का कहना है कि ओएमओ का कैलेंडर जारी नहीं हुआ है लेकिन जब भी बॉन्ड का प्रतिफल ज्यादा होगा आरबीआई उसे काबू में रखने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है।
फिलहाल एक चीज स्पष्टï है। बाजार में सामान्य गतिशीलता लंबे समय तक बनी नहीं रह सकती है। चालू वित्त वर्ष में सकल उधारी 13 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकती है। अगले साल के लिए 12 लाख करोड़ रुपये उधारी का अनुमान लगाया गया है। इतनी बड़ी रकम का बंदोबस्त करना बॉन्ड डीलरों के वश की बात नहीं है। ऐसे में आरबीआई अप्रत्यक्ष तौर पर बड़ा हिस्सा खरीद सकता है।
बैंक ऑफ अमेरिका के ट्रेजरी प्रमुख जयेश मेहता ने कहा, 'लगातार दो साल इतनी बड़ी उधारी की वजह से प्रतिफल तय करने की शक्तियां बाजार के हाथों से निकलकर नियामक के पास चली गई है। आरबीआई अब एक सीमा तय करेगा और इस दायरे को लेकर अपनी सहजता के बारे में स्पष्टï संकेत देगा।Ó मौजूदा सहज स्तर 6 फीसदी से नीचे का है।
आरबीआई द्वारा ओएमओ की घोषणा के बाद 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 6.04 फीसदी पर बंद हुआ। शुक्रवार को यह 6.08 फीसदी पर बंद हुआ था लेकिन बॉन्ड नीलामी रद्द करने और मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद यह 6.12 फीसदी पर कारोबार कर रहा था।
बाजार को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में करीब 3 लाख करोड़ रुपये का ओएमओ आ सकता है। पिछले साल भी करीब इतना ही ओएमओ जारी किया गया था। बॉन्ड डीलरों का कहना है कि इतने बड़े ओएमओ के कारण अगले वित्त वर्ष में भी बॉन्ड का प्रतिफल 6 फीसदी से नीचे रह सकता है। वरिष्ठï बॉन्ड डीलरों का कहना है कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास सरकार के लिए कम प्रतिफल को अच्छा देखते हैं लेकिन वह केवल 10 वर्षीय बॉन्ड पर ही केंद्रित रह सकता है। एक वरिष्ठï बॉन्ड डीलर ने कहा, '10 वर्षीय बॉन्ड खंड पर ध्यान देने का संकेत है लेकिन अन्य खंड का प्रतिफल बढ़ा रह सकता है। अगर आरबीआई इसमें हस्तक्षेप करता है तो उसे पूरे बॉन्ड बाजार में ऐसा करना होगा न कि केवल विशिष्टï अवधि वाले बॉन्ड के लिए।Ó
एक अन्य डीलर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बाजार सहयोग करना नहीं चाहता है। आरबीआई को पहले कुछ कार्रवाई करनी होगी लेकिन उसने नीति में ऐसा कुछ नहीं किया है। अगर बाजार को भरोसा हो कि आरबीआई वहां है तो बाजार केवल नई घटनाओं पर ही प्रतिक्रिया देगा।बॉन्ड डीलरों के अनुसार बजट के बाद बाजार में घबराहट थी क्योंकि आरबीआई पूरी तरह शांत था। मौद्रिक समिति के बैठक के पहले भी सरकार द्वारा इतनी बड़ी उधारी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।
बॉन्ड की होगी विशेष नीलामी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बॉन्ड की बिकवाली के लिए विशेष नीलामी आयोजित करेगा। ये वही बॉन्ड हैं, जिन्हें आरबीआई ने पिछले शुक्रवार को ऊंचे प्रतिफल की वजह से बचने से इनकार कर दिया था। आरबीआई की अधिसूचना के अनुसार केंद्रीय बैंक गुरुवार को 10 वर्ष और 5 वर्ष के 11,000-11,000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड की बिक्री करेगी। आरबीआई शुक्रवार को 26,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की नीलामी करेगा। ये बॉन्ड 33,000 करोड़ रुपये मूल्य की विशेष नीलामी का हिस्सा थे।