केकेआर के निवेश वाली कंपनी जेबी केमिकल्स किसी कंपनी को अथवा उसके ब्रांड पोर्टफोलियो के अधिग्रहण की योजना बना रही है। रैनटेक एवं मेट्रोजिल जैसी लोकप्रिय दवा बनाने वाली कंपनी अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता लाने की तैयारी कर रही है। पिछले साल मोदी परिवार ने इस कंपनी को निजी इक्विटी निवेशक केकेआर को बेच दिया था और उसके बाद नया प्रबंधन कारोबार को नए सिरे से दुरुस्त करने की कोशिश कर रहा है। सिप्ला के पूर्व प्रमुख के नेतृत्व में जेबी केमिकल्स अब बाल चिकित्सा एवं श्वसन श्रेणियों में विविधता लाने की योजना बना रही है। जेबी केमिकल्स के सीईओ एवं पूर्णकालिक निदेशक निखिल चोपड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, 'हम अपनी योजनाओं के लिहाज से अनुकूल ब्रांड पोर्टफोलियो अथवा किसी छोटी कंपनी के अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रहे हैं। हम अपने अनुसंधान एवं विकास और दवा विकास का काम बड़े पैमाने पर करने की योजना बना रहे हैं ताकि कहीं अधिक प्रगतिशील पोर्टफोलियो तैयार किया जा सके।' इसके अलावा कंपनी अपने अनुबंध आधारित विनिर्माण कार्य और दक्षिण गुजरात के अपने विनिर्माण संयंत्र पर ध्यान केंद्रित करती रहेगी। चोपड़ा ने कहा कि यह कार्य प्रगति पर है और केकेआर की ताकत का फायदा उठाते हुए उपयुक्त सौदे की तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा, 'मैं इसके लिए कोई आंकड़ा नहीं बताना चाहता। यह 10 से 20 करोड़ डॉलर का ब्रांड पोर्टफोलियो हो सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सौदा किस प्रकार की होती है।' चोपड़ा ने कहा कि वह मौजूदा विरासत वाले पोर्टफोलियो पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'इन ब्रांडों की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि जारी है। हम यह देखने की कोशिश करेंगे कि विरासत वाले इन ब्रांडों में सर्वश्रेष्ठ कौन है और मेट्रोजिल, रैनटेक आदि ब्रांड के लिए हम क्या कर सकते हैं।' जेबी केमिकल्स अब कार्डियो-मेटाबोलिक विकार संबंधी गंभीर पोर्टफोलियो पर ध्यान केंदित करना चाहती है। वैश्विक महामारी के बावजूद इस श्रेणी में लचीलापन दिखा है। कंपनी हृदयरोग के उपचार श्रेणी में पहले से ही मौजूद है और इस श्रेणी में उसकी लोकप्रिय दवा निकार्डिया है। पिछले दो महीनों के दौरान जेबी केमिकल्स ने कार्डियो-मेटाबोलिक अथवा कार्डियो-डायबेटिक श्रेणी में कई दवाओं को उतारा है। कंपनी मधुमेह की दो दवाओं को बाजार में पहले ही उतार चुकी है। वर्तमान में क्रॉनिक पोर्टफोलियो कंपनी के कुल राजस्व में 50 फीसदी का योगदान करता है जबकि शेष एक्यूट थेरेपी वाली दवाओं से आता है। चोपड़ा ने कहा कि वैश्विक महामारी ने उन्हें कारोबार के तरीके पर नए सिरे से विचार करने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए मजबूर किया है। इसके अलावा जेबी केमिकल्स पेडियाट्रिक्स यानी बाल चिकित्सा और श्वसन जैसी नई श्रेणी में उतरने की योजना बना रही है। चोपड़ा ने कहा, 'पेडियाट्रिक्स श्रेणी में 2020 में ही उतरने की योजना थी लेकिन उसमें देरी हो गई। पेडियाट्रिक्स में हम कफ सिरप आदि पूरी उत्पाद शृंखला उतारना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि श्वसन श्रेणी में अधिकतर दवा खाने वाली होगी।
