एफपीआई शेयरधारिता 5 वर्ष की ऊंचाई पर पहुंची | सुंदर सेतुरामन / मुंबई February 08, 2021 | | | | |
सूचीबद्घ कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की शेयरधारिता पांच साल में सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर पहुंच गई है। प्राइम डेटाबेस द्वारा एकत्रित आंकड़े के अनुसार, एफपीआई की दिसंबर 2020 के अंत तक एनएसई-सूचीबद्घ कंपनियों में 22.74 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो सितंबर 2020 के मुकाबले 123 आधार अंक ज्यादा है। निवेश भागीदारी में इस वृद्घि की वजह यह भी है कि अक्टूबर-दिसंबर 2020 की अवधि के दौरान 1.41 लाख करोड़ रुपये का विदेशी प्रवाह घरेलू शेयरों में आया।
सितंबर 2020 के अंत में दर्ज की गई 32.47 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले एफपीआई शेयरधारिता वैल्यू 29 प्रतिशत तक बढ़कर 41.83 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
सेंसेक्स समान अवधि के दौरान 25 प्रतिशत चढ़ा है। कुल एनएसई-सूचीबद्घ कंपनियों में सरकारी शेयरधारिता में अन्य 5.08 प्रतिशत की कमी आई है। जून 2009 में सरकारी शेयरधारिता 22.46 प्रतिशत पर थी। सरकारी शेयरधारिता में यह गिरावट लगातार विनिवेश और पीएसयू बैंकों के कमजोर प्रदर्शन की वजह से आई है।
बीमा दिग्गज जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की वैल्यू भी 3.9 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई, जो पूर्ववर्ती तिमाही के मुकाबले 21 आधार अंक कम है। एलआईसी की होल्डिंग वैल्यू हालांकि 6.81 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू चुकी है, जो पूर्ववर्ती तिमाही की 15.4 प्रतिशत से ज्यादा है। दो लाख रुपये की धारिता वाले रिटेल निवेशकों की भागीदारी सितंबर के 7.01 प्रतिशत से घटकर दिसंबर में 6.9 प्रतिशत रह गई। रिटेल होल्डिंग की वैल्यू भी 12.69 लाख करोड़ रुपये की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गई।
घरेलू म्युचुअल फंडों की भागीदारी सितंबर 2020 के 7.65 प्रतिशत से घटकर 7.42 प्रतिशत रह गई। यह लगातार तीसरी तिमाही थी जब इक्विटी फंडों में बिकवाली दबाव के बीच एमएफ होल्डिंग में कमी आई। एमएफ होल्डिंग की वैल्यू 12.64 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गई।
दिसंबर के अंत में कुल घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की निवेश भागीदारी 13.55 प्रतिशत पर दर्ज की गई और उनकी शेयरधारिता वैल्यू 24.93 लाख करोड़ रुपये रही। डीआईआई में घरेलू म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां, बैंक, वित्तीय संस्थान और पेंशन फंड शामिल हैं।
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