उत्तराखंड: राहत एवं बचाव कार्य में तेजी | एजेंसियां / February 08, 2021 | | | | |
उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को अचानक आई विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में बचाव और राहत अभियान में सोमवार को तेजी आ गई जबकि आपदा में मरने वालों की संख्या 20 हो गई है और 197 लोग लापता हैं। ऋषिगंगा घाटी के रेणी क्षेत्र में हिमखंड टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से क्षतिग्रस्त 13.2 मेगावॉट ऋषिगंगा और 480 मेगावॉट की निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजनाओं में लापता लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों के बचाव और राहत अभियान में जुट जाने से उसमें तेजी आ गई है।
उत्तराखंड राज्य आपदा परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, आपदा में अब तक 197 लोगों के लापता होने की सूचना है जबकि 20 के शव बरामद हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों में पनबिजली परियोजनाओं में कार्यरत लोगों के अलावा आसपास के गांवों के स्थानीय लोग भी हैं जिनके घर बाढ़ के पानी में बह गए। आपदा प्रभावित क्षेत्र तपोवन क्षेत्र में बिजली परियोजना की छोटी सुरंग से 12 लोगों को रविवार को बाहर निकाल लिया गया था जबकि 250 मीटर लंबी दूसरी सुरंग में फंसे 25 से 35 लोगों को बाहर निकालने के लिए अभियान जारी है। बचाव और राहत अभियान में बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, सुरंग के घुमावदार होने के कारण उसमें से मलबा निकालने तथा अंदर तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं।
रविवार को मुख्यमंत्री रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और सोमवार को वह फिर तपोवन क्षेत्र के लिए रवाना हो गए। इस बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं प्रभावित क्षेत्रों में जा रहा हूं और रात्रि प्रवास वहीं करूंगा।'
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं और सरकार इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने इस हादसे को विकास के खिलाफ दुष्प्रचार का कारण नहीं बनाने का भी लोगों से अनुरोध किया।
रावत ने कहा कि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार कल से ही इस क्षेत्र में मौजूद हैं जबकि गढ़वाल आयुक्त और पुलिस उपमहानिरीक्षक गढ़वाल को भी सोमवार से वहीं कैंप करने के निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ आने का कारण तत्काल पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हिमखंड टूटने से नदी में बाढ़ आ गई। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि घटना के कारणों का पता लगाने के मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं और उनसे कहा गया है कि इसरो के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों से इस घटना के कारणों का पता किया जाए ताकि भविष्य में कुछ ऐहतियात बरती जा सके।
इसी बीच, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत आदि ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। संपर्क से कट गए 13 गांवों में हेलीकॉप्टर की मदद से राशन, दवाइयां तथा अन्य राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। राहत और बचाव कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये तत्काल जारी कर दिए गए हैं। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि सरकार की मंशा लापता लोगों के परिजनों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की है जिसकी जल्द ही प्रक्रिया तय की जाएगी।
एनटीपीसी परियोजना को 1,500 करोड़ का नुकसान
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सोमवार को कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले के रेणी क्षेत्र में आई विकराल बाढ़ से एनटीपीसी की निर्माणाधीन 480 मेगावॉट तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना को लगभग 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। तपोवन में क्षतिग्रस्त बैराज क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी नुकसान का ठीक-ठीक आकलन करने में समय लगेगा लेकिन अनुमानित 1,500 करोड़ रुपये के लगभग परियोजना को नुकसान हुआ है। क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना के पूरा होने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि पहले इस परियोजना के पूरे होने की समय सीमा 2028 तय की गई थी लेकिन अब यह कब होगा यह आकलन करने के बाद ही तय हो पाएगा।
आपदा के कारण परियोजना को हुए नुकसान को देखते हुए उसे रद्द किए जाने की आशंका के बारे में सिंह ने कहा कि इसे रोके जाने की कोई योजना नहीं है और यह फिर से शुरू किया जाएगा।
मोबाइल ने बचाई जान
उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने के बाद आई भीषण बाढ़ के दौरान तपोवन में एक भूमिगत सुरंग में फंसे लोगों ने बताया कि उन्होंने जीवित बचने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन इसी दौरान उनमें से एक व्यक्ति ने देखा कि उसका मोबाइल काम कर रहा है। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से संपर्क कर मदद मांगी, जिन्होंने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। इस घटना में बचाए गए तपोवन बिजली परियोजना में कार्यरत लाल बहादुर ने कहा, 'हमने लोगों की आवाजें सुनीं जो चिल्लाकर हमे सुरंग से बाहर आने के लिए कह रहे थे, लेकिन इससे पहले कि हम कुछ कर पाते पानी और कीचड़ की जोरदार लहर अचानक हम पर टूट पड़ी।' उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी) ने उन्हें और उनके 11 साथियों को रविवार शाम बचा लिया। अधिकारियों के अनुसार वे सात घंटे तक वहीं फंसे थे।
अस्पताल में भर्ती एक व्यक्ति ने बताया, 'हमने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन फिर हमें कुछ रोशनी दिखी और सांस लेने के लिए हवा मिली। अचानक हम में से एक व्यक्ति ने देखा की उसके मोबाइल में नेटवर्क आ रहा है। उसने महाप्रबंधक को फोन कर हमारी स्थिति के बारे में बताया।'
|