आप भी सीधे खरीद सकेंगे बॉन्ड | अनूप रॉय / मुंबई February 05, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। इसके साथ ही भरोसा दिया कि जब तक जरूरी होगा और बॉन्ड बाजार में पर्याप्त तरलता रहेगी, वह उदार रुख बनाए रखेगा। हालांकि एक महत्त्वपूर्ण कदम के तहत आरबीआई ने सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों को सीधी पहुंच देने प्रस्ताव किया है।
मौद्रिक समिति की बैठक में रीपो दर को 4 फीसदी पर और रिवर्स रीपो को 3.35 फीसदी पर बरकरार रखने का निर्णय किया गया। लेकिन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को दो चरण में 4 फीसदी तक वापस लाया जाएगा। 27 मार्च से इसे मौजूदा 3 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी और 22 मई से 4 फीसदी किया जाएगा। कोविड संकट को देखते हुए पिछले साल सीआरआर में 1 फीसदी की कटौती की गई थी और मार्च में इस कटौती को वापस लिया जाना था।
मौद्रिक नीति उम्मीद के अनुरूप रही लेकिन सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी की घोषणा की उम्मीद नहीं थी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे प्रमुख संरचनात्मक सुधार करार दिया।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, 'सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा प्रतिभागिता घरेलू बचत की व्यापक निधि को औपचारिक बनाने की दिशा में अहम कदम है।' एचएसबीसी में भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, 'हमारे विचार से यह बड़ा सुधार है लेकिन इस दिशा में धीरे-धीरे प्रगति होगी।' इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी राजकिरण राय ने कहा कि रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के माध्यम से निवेश की अनुमति उल्लेखनीय सुधार है। हालांकि खुदरा निवेशकों को सरकार प्रतिभूति बाजार की बारीकियों के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है। इसके लिए जागरूकता लानी होगी।
आरबीआई जल्द ही इसकी रूपरेखा जारी करेगा कि खुदरा निवेशक किस तरह से आरबीआई के ई्र-कुबेर व्यवस्था के जरिये प्राथमिक और द्वितीयक बाजारों में सीधे भागीदारी कर सकते हैं। अब तक खुदरा निवेशक बैंकों या गिल्ट फंडों के जरिये प्रतिभागिता करते थे।
इस कदम से रियल एस्टेट सहित अन्य क्षेत्रों से पैसे सरकारी प्रतिभूतियों में आ सकते हैं क्योंकि इसे सरकार द्वारा जारी किया जाता है और सुरक्षित होने के साथ ही इस पर 6 फीसदी या उससे अधिक का रिटर्न मिल सकता है। यह बैंक की साविध जमाओं और नियत आय वाले म्युचुअल फंड उत्पादों का विकल्प बन सकता है।
हालांकि दास ने बैंकों की जमाओं एवं म्युचुअल फंडों पर इसका असर पडऩे की चिंता को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, 'जीडीपी के विकास और अर्थव्यवस्था का आकार बढऩे से जमाओं में भी विस्तार होता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इससे बैंकों या म्युचुअल फंडों की जमाओं पर कोई असर पड़ेगा।'
शक्तिकांत दास ने कहा कि एशिया में पहली बार इस तरह की व्यवस्था की जा रही है। दुनिया के कुछ गिने-चुने देशों में खुदरा निवेशकों को सरकारी बॉन्ड बाजार में सीधे भागीदारी की अनुमति है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि छह सदस्यीय मौद्र्रिक नीति समिति ने वृद्घि को गति देने पर जोर दिया। दरों में बदलाव नहीं करने और रुख को उदार बनाए रखने का निर्णय आम सहमति से लिया गया। मुद्रास्फीति नियंत्रण दायरे में आ गई है। ऐसे में समिति ने वृद्घि को मदद करना जारी रखने का निर्णय किया ताकि अर्थव्यवस्था कोविड के असर से बाहर निकलकर तेज वृद्घि के दायरे में आ सके।
आरबीआई ने 2021-22 में 10.5 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्घि का अनुमान लगाया है। मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, साथ ही 2021-22 की पहली छमाही के लिए इसे 5.2 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी तथा तीसरी तिमाही के लिए 4.3 फीसदी कर दिया है।नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य अर्थशास्त्री तीर्थंकर पटनायक ने कहा, 'आरबीआई ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती नहीं की और अपने रुख को भी उदार बनाए रखा है।'आरबीआई गवर्नर ने अप्रत्यक्ष तौर पर केंद्र और राज्य सरकारों को कीमतें, खास तौर पर पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों को काबू में रखने के लिए कहा है।
तरलता और बॉन्ड बाजारतरलता को लेकर कोई ठोस उपाय की घोषणा नहीं करने से बॉन्ड बाजार थोड़ा नाखुश दिखा। सरकार ने बजट में अगले वित्त वर्ष में 12 लाख करोड़ रुपये और इस साल 80,000 करोड़ रुपये उधार लेने की घोषणा की है। मौद्रिक नीति के बाद बॉन्ड का प्रतिफल 6 आधार अंक बढ़ गया था लेकिन बाद मे 6.13 फीसदी पर बंद हुआ। गुरुवार को यह 6.10 फीसदी पर बंद हुआ था। हालांकि आरबीआई ने कोई उपाय की घोषणा नहीं कि लेकिन इतना जरूर कहा कि तंत्र में पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा।हालांकि आरबीआई ने बैंकों को कुछ रियायत देते हुए सरकारी बॉन्डों में अधिक निवेश की सहूलियत दी है।
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