सशक्त समिति के प्रमुख चाहें बैड बैंक की जल्द स्थापना | अभिजित लेले / मुंबई February 03, 2021 | | | | |
येस बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता के मुताबिक वित्त मंत्रालय और बैंकों को फंसे ऋणों के अधिग्रहण एवं समाधान की खातिर निवशकों को लुभाने के लिए परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी और वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) का ढांचा बनाने के लिए तेजी से काम करना चाहिए। अन्यथा इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता खत्म हो सकती है, जिस पर 2018 सेे चर्चा चल रही है।
मेहता उस समिति के प्रमुख रहे हैं, जिसने सशक्त परियोजना का प्रस्ताव रखा था। सशक्त परियोजना के तहत 2018 में बैड बैंक का खाका तैयार किया था। उन्होंने कहा कि सरकार को बैड बैंक बनाने और निगरानी के लिए किसी एजेंसी को चुनना चाहिए और उसे जिम्मेदार बनाना चाहिए। इस समिति ने ऐसी किसी व्यववस्था की दिक्कतों एवं ढांचे पर व्यापक विचार-विमर्श किया था, इसलिए इस पर समय बरबाद करने की जरूरत नहीं है।
बैंकिंग उद्योग के लॉबी समूह इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने पहले ऐसे ढांचे के बारे में वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा की थी। वरिष्ठ बैंक अधिकारियों ने कहा कि हालांकि यह साफ नहीं है कि इस प्रक्रिया को कौन संभालेगा। बैंकरों ने कहा कि बैंकों के बही खातों से परिसंपत्तियों के हस्तांतरण और मूल्यांकन की प्रक्रिया एवं नियमों को लेकर स्पष्टता आवश्यक है। बैंकों ने उन परिसंपत्तियों के लिए 70 फीसदी से अधिक प्रावधान किया है, जिन्हें एआरसी में भेजा जा सकता है।
इसके अलावा एक अंतर-ऋणदाता समझौते (आईसीए) की रूपरेखा पहले ही तैयार है। एआरसी के लिए शुरुआती पूंजी 10,000 करोड़ रुपये अनुमानित है, जिससे एक लाख करोड रुपये से अधिक फंसे ऋणों को खरीदने में मदद मिलेगी। इस समिति ने एक स्वतंत्र और पेशेवर तरीके से प्रबंधित एएमसी की स्थापना की सलाह दी थी। एमएमसी एआईएफ की स्थापना करेगी और बैंकों एवं घरेलू एवं अंंतरराष्ट्रीय निवेशकों से प्रतिबद्धता मांगती हैं।
समिति के मुताबिक वित्तीय संस्थानों को एक अंतर-ऋणदाता समझौता करना चाहिए और अग्रणी बैंक को समाधान प्रक्रिया को अंजाम देने की मंजूरी देनी चाहिए। अग्रणी बैंक फंसी परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए इच्छुक एआरसी, एएमसी या अन्य निवेशकों से बोलियां आमंत्रित करने को खुली नीलामी शुरू करेगा। बोलियां 100 फीसदी नकद आधार पर या 15 फीसदी नकद तथा 85 फीसदी प्रतिभूति प्राप्तियों (60 दिन में भुनाने योग्य) के आधार पर आमंत्रित की जाएंगी।
समिति ने कहा था कि एएमसी किसी एआरसी के साथ साझेदारी करेंगी और परिसंपत्तियों की स्वतंत्र जांच-परख करेंगी ताकि संवहनीय कर्ज के मूल्य का अनुमान लगाया जा सके। एएमसी एआरसी और अन्य निवेशकों के साथ मिलकर खुली नीलामी में हिस्सा लेंगी।
बैंकरों ने कहा कि एआरसी से यह फायदा होगा कि कर्ज समेकित हो जाएगा, जो कंसोर्टियम की 10 से 20 अलग-अलग इकाइयों या बहुत सी बैंकिंग व्यवस्था में बिखरा होता है। इससे समाधान में भी आसानी होगी। बहुत सी बैंकिंग व्यवस्थाओं में राय हमेशा अलग-अलग होती है, जिससे किसी समाधान योजना पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
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