कम दरों से 4 लाख करोड़ रुपये सालाना जीएसटी का नुकसान | अभिषेक वाघमारे / नई दिल्ली February 02, 2021 | | | | |
एनके सिंह की अध्यक्षता में बने 15वें वित्त आयोग ने सुझाव दिया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत कर के ढांचे को एक मानक दर में विलय किया जाना चाहिए और जीएसटी को तीन दरों के ढांचे के मुताबिक तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, जिसमें 5 मेरिट दरें और 28-30 प्रतिशत डी-मेरिट दरें हो सकती हैं। अर्थशास्त्रियों व विपक्ष की ओर से यह लंबे समय से मांग रही है और अब आयोग ने इसकी सिफारिश की है।
15वें वित्त आयोग के हवाले से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आकलन में पाया है कि जीएसटी के तहत प्रभावी कर की दरें 11.8 प्रतिशत हैं। यह भारतीय रिजर्व बैंक के 11.6 प्रतिशत अनुमान के नजदीक है। यह 14 प्रतिशत औसत राजस्व तटस्थ दर (आरएनएआर) से बहुत कम है, जो मूल्यवर्धित कर से जीएसटी के दौर में जाने और बगैर किसी राजस्व नुकसान के सामान्य कामकाज बनाए रखने के लिए जरूरी था।
जीएसटी से जीडीपी के 7.1 प्रतिशत के बराबर राजस्व सृजन की क्षमता है, जबकि मौजूदा राजस्व जीडीपी का 5.1 प्रतिशत आया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसे में राजस्व का अंतर जीडीपी के 2 प्रतिशत के बराबर है, जो बहुत ज्यादा है।
मौजूदा स्तर पर मोटे तौर पर इससे 4 लाख करोड़ रुपये की राजस्व हानि हो रही है। अगर इस आंकड़े को तुलनात्मक रूप से देखें तो केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) से 4.31 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था।जीएसटी के पहले की अवधि (2016-17) में जीएसटी के तहत समाहित किया गया राजस्व जीडीपी के 6.3 प्रतिशत के बराबर था, जो अभी जीएसटी से आ रहे राजस्व से ज्यादा है। आयोग ने पाया कि जीएसटी रिटर्न (जीएसटीएन) और नैशनल एकाउंट्स (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय) के आंकड़ों में विसंगतियां हैं। वित्त वर्ष 19 में जीएसटीआर-3बी रिटर्न से आपूर्ति का मूल्य 652 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि अर्थवव्यवस्था में आउटपुट का कुल मूल्य 348 लाख करोड़ रुपये है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'अगर करयोग्य बाहरी आपूर्ति जीएसटीआर-3बी के आंकड़ों के मुताबिक बेहतर रहती है तो प्रभावी जीएसटी की दरें 6.1 प्रतिशत होंगी, जो जीएसटीआर-1 रिटर्न की प्रभावी दरों से बहुत कम है।' रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटीआर 3-बी के मुताबिक कर योग्य मूल्य और कर भुगतान के बीच कोई स्थापित स्थिरता नहीं है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, 'महंगाई दर तय किए गए लक्ष्य के भीतर रही है और अर्थव्यवस्था मेंं कुछ सुस्ती रही है, जिसके साथ ही नॉमिनल जीडीपी वृद्धि भी उम्मीद से कम रही है। इस तरह से यह 14 प्रतिशत संरक्षित राजस्व की दर जीएसटी व्यवस्था पर बोझ डाल रही है।' रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सकल जीएसटी राजस्व का करीब 70 प्रतिशत साझेदारी और विचलन के कारण राज्यों को जाता है। तमाम करों को जीएसटी के तहत ला दिया गया है, ऐसे में केंद्र सरकार के सकल कर राजस्व में जीएसटी की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है और राज्यों के अपने कर राजस्व में इसकी हिस्सेदारी 44 प्रतिशत है।
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