बुनियादी ढांचे को विकास वित्त संस्थान का बल | बीएस संवाददाता / February 02, 2021 | | | | |
विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के गठन से बुनियादी ढांचा क्षेत्र की एक प्रमुख मांग पूरी होगी। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब इस क्षेत्र की दीर्घावधि वित्तपोषण की जरूरतें पूरी करने के लिए इस तरह के संस्थान का गठन होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि संस्थान बनाने के लिए नया कानून आएगा। यह संस्थान बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए सुविधा प्रदाता, सक्षम बनाने वाले और प्रेरक का काम करेगा।
सीतारमण ने कहा कि सरकार की विशेष लक्ष्यों वाली नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन को सरकार व वित्तीय क्षेत्र से वित्तपोषण बढ़ाने की जरूरत होगी। उन्होंने इसके समाधान के लिए संस्थागत ढांचा के सृजन, संपत्तियों के मुद्रीकरण और केंद्र व राज्य के बजटों में पूंजीगत व्यय का हिस्सा बढ़ाकर इसका खाका तैयार किया है।
प्रस्तावित डीएफआई में 20,000 करोड़ रुपये पूंजी डालकर इसकी शुरुआत करते हुए मंत्री ने कहा कि तीन साल मेंं डीएफआई के लिए कम से 5 लाख करोड़ रुपये उधारी पोर्टफोलियो बनाने की योजना थी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्टों और रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों के ऋण वित्तपोषण के माध्यम से खामी दूर करने के लिए सरकार ने संबंधित कानून में संशोधन की योजना बनाई है। इससे इनविट्स और रीट का वित्तपोषण आगे और आसान होगा और बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए धन जुटाया जा सकेगा।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकारक ने 2006 में इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी का गठन किया था, जो पूरी तरह से सरकार की कंपनी थी। इसका मकसद ऐसी ही जरूरतों के लिए दीघार्वधि वित्तपोषण था। बहरहाल योजना के हिस्से के रूप में शुरुआत में व्यावहारिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण की योजना बनी। अभी यह साफ नहीं है कि नया संस्थान किस तरह से अलग होगा और क्या यह पूरी तरह से सरकार के अधीन संस्थान होगा। डीएफआई से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के हाथ में नकदी आएगी, लेकिन इसकी खुद की धन जुटाने की सक्षमता तय करेगी कि यह किस तरह का निवेश आकर्षित करने में सक्षम है।
ईवाई इंडिया में पार्टनर- स्ट्रैटेजी ऐंड ट्रांजैक्शन, इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड गवर्नमेंट ऐंड पब्लिक सेक्टर, अभय के अग्रवाल के मुताबिक पेशेवर तरीके से प्रबंधित डीएफआई का गठन नैशनल असेट मोनेटइजेशन पाइपलाइन को तेजी से पेश किए जाने और नई बुनियादी ढांचा परियोजनओं के वित्तपोषण के हिसाब से अहम है, जिसके लिए सरकार ने इस बजट में 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर और गवर्नमेंट ऐंड पब्लिक सर्विसेज के लीडर अरिंदम गुहा ने कहा कि उचित दरों पर दीघार्वधि वित्तपोषण के मामले में डीएफआई की सफलता कई कारकों से तय होगी। इन कारकों में सरकार द्वारा प्रभावी तरह से पूंजी डालने के के लिए अतिरिक्त बजट संसाधनों को आकर्षित करने की कवायद शामिल है, जिसमें दीर्घावधि निवेशकों जैसे पेंशन फंडों, सॉवरिन वेल्थ फंडों, डेवलपमें पार्टनरों और अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों से संसाधन जुटाया जाना है। गुहा ने कहा, 'इस पर भी बहुत कुछ निर्भर है कि प्रस्तावित एफडीआई का ढांचा किस तरह से तैयार किया जाता है, जिससे कि खास क्षेत्रों जैसे शहरी बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य आदि की जरूरतें पूरी हो सकें।'
शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर दीप्तो रॉय का भी मानना है कि डीएफआई बुनियादी ढांचा के लिए वक्त की जरूरत है, जहां धन का दीघार्धि स्रोत चाहिए और बैंकों से नकदी का मसला आ रहा है और फंड के स्रोत को लेकर चिंता है। रॉय ने कहा, 'जब तक डीएफआई की पहुंच फंड के सस्ते अंतरराष्ट्रीय स्रोत तक नहीं होती, इसका भविष्य भी पहले की कवायदों की तरह हो सकता है, जो दीर्घावधि ऋण के लिए की गई हैं।' अग्रवाल ने कहा कि बजट में विदेशी निवेश आसान करने संबंधी सुधारों के माध्यम से बुनियादी ढांचा क्षेत्र को पर्याप्त बल मिलेगा, खासकर पेंशन फंडों की हिस्सेदारी से ऐसा संभव हो सकेगा। सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया है, जिससे परियोजना के आवंटन और सृजन में तेजी की संभावना है।
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