घटेगा राजस्व व्यय, बढ़ेगा बॉन्ड प्रतिफल | बीएस संवाददाता / February 02, 2021 | | | | |
आगामी वर्ष में केंद्र सरकार ने 26 प्रतिशत पूंजीगत व्यय करने की योजना बनाई है, वहीं प्रतिष्ठानों पर व्यय, कल्याणकारी योजनाओं और ब्याज भुगतान पर होने वाला चालू खर्च वित्त वर्ष 2021-22 में 2.7 प्रतिशत घटकर 29.3 लाख करोड़ रुपये रहेगा, जो चालू वित्त वर्ष में 30.1 लाख करोड़ रुपये था।
लेकिन चिंता की बात यह हो सकती है कि अगर हम ब्याज भुगतान बाहर कर दें तो वित्त वर्ष 22 में राजस्व व्यय 8.6 प्रतिशत गिरेगा, जो बजट दस्तावेजों से पता चलता है।
इस तरह से राजकोषीय प्रोत्साहन पूंजीगत व्यय पर निर्भर है, जो राजस्व व्यय से अलग हो गया है। वहीं प्रतिबद्धता वाले व्यय जैसे वेतन, पेंशन, सब्सिडी और रक्षा पर व्यय को देखें तो वित्त वर्ष 22 में कल्याणकारी योजनाओं, स्वास्थ्य और शिक्षा पर व्यय कम हो जाएगा।
यह राजस्व घाटे में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए होगा, जो राजस्व व्यय का अंतर है, जो राजस्व प्राप्तियों की तुलना में ज्यादा होगा। राजस्व प्राप्तियों में वित्त वर्ष 21 में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आई है और वित्त वर्ष 22 में इसमें 15 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है।
इस गिरावट के बावजूद इस साल राजस्व व्यय ज्यादा रखा गया है और ऐसा पूंजीगत प्राप्तियों के माध्यम से संभव बनाया गया है, जो संभवत: पहली बार राजस्व प्राप्तियों से ज्यादा हो गया है। वित्त वर्ष 20 के पहले राजसस्व प्राप्तियां पूंजीगत प्राप्तियों की तुलना में दोगुने से ज्यादा होती थीं।
पूंजीगत प्राप्तियों में बाजार उधारी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा होती है, तो वित्त वर्ष 21 में बढ़कर 12.7 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस तरह से 12 लाख करोड़ रुपये के उधारी कैलेंडर की घोषणा की गई है, जबकि सरकार इस साल इसके अतिरिक्त 80,000 करोड़ रुपये उधारी लेगी।
बॉन्ड बाजार ने इस कदम की उम्मीद नहीं की थी और वह उधारी में यथास्थिति बरकरार रखने की उम्मीद कर रहा था। वहीं वित्त वर्ष 22 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुमानित आंकड़ोंं की तुलना में ज्यादा बाजार उधारी का लक्ष्य रखा है।
फस्र्ट रैंड बैंक के ट्रेजरी के प्रमुख हरिहर कृष्णमूर्ति ने कहा कि उधारी की इस घोषणा से बॉन्ड प्रतिफल बढ़ सकता है और भविष्य में सरकार की उधारी की लागत ज्यादा हो सकती है, खासकर जब रिजर्व बैंक बाजार से नकदी खींचेगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार के 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल जल्द ही बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो सकता है, जो 2020 के ज्यादातर समय में 6 प्रतिशत से नीचे बना हुआ था। केंद्रीय बजट के दिन यह 16 आधार अंक बढ़कर 6.08 प्रतिशत पर बंद हुआ।
लेकिन अगर बाजार उधारी आश्चर्य है, तो उससे बड़ा आश्चर्य यह है कि सरकार अब इस साल (वित्त वर्ष 21) में लघु बचत की प्रतिभूतियों से 4.8 लाख करोड़ रुपये की उम्मीद कर रही है। लघु बचत वह है, जो डाकघर जमा, बचत प्रमाण पत्रों और सार्वजनिक भविष्य निधि से आती है।
राष्ट्रीय लघु बचत कोष अब सरकारी संस्थाओं और योजनाओं के लिए उधारी देना बंद करेगा और केंद्र सरकार को उधारी देगा। इस कर्ज पर बाजार के कर्ज की तुलना में ब्याज दरें ज्यादा होती हैं क्योंकि इन निवेशों में जमाकर्ताओं/निवेशकों को बाजार की दरों की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है।
इन बचतों पर प्रतिभूतियां ज्यादा बनी रहेंगी और वित्त वर्ष 22 में यह 3.9 लाख करोड़ रुपये होगा। इससे अगले साल की बाजार उधारी का आगे का क्लोजर बढ़ेगा, जो बढ़कर 9.7 लाख करोड़ रुपये हो गया है। करीब 5 साल पहले लघु बचत से प्राप्तियां बहुत मामूली थीं।
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