ऊंची जिंस कीमतों की मदद से मजबूत कृषि रसायन मांग और बैलेंस शीट में लगातार सुधार ऐसे मुख्य कारक हैं जिनसे भारत की सबसे बड़ी कृषि रसायन कंपनी यूपीएल को मदद मिल सकती है।
कंपनी को मौजूदा जनवरी-मार्च तिमाही में शानदार वृद्घि का भरोसा है, क्योंकि उसे मजबूत जिंस कीमतों से मदद मिली है। यूपीएल के मुख्य कार्याधिकारी जय श्रॉफ ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'जब कीमतें कम हैं, किसान बचत करना या कारोबार घटाना चाहते हैं। हालांकि मौजूदा समय में ऐसा नहीं दिख रहा है। सोयाबीन, मक्का हो या गेहूं, सभी फसलों की कीमतें मजबूत हुई हैं। इसलिए धारणा सकारात्मक है और किसान अपनी उपज बढ़ाने के लिए तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा, हमारी ऑर्डर बुक स्थिति भी अच्छी है जिससे चौथी तिमाही में प्रदर्शन सुधारने में मदद मिलेगी।'
इसका काफी असर कंपनी के दिसंबर तिमाही के नतीजे में दिखा। कंपनी ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान लातिन अमेरिका को छोड़कर बिक्री में 7 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की। लैटम से बिक्री पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले घटकर 8 प्रतिशत रह गई, क्योंकि मॉनसून में विलंब और शुष्क मौसम से ब्राजील में फसल सीजन में विलंब हुआ।
श्रॉफ ने संकेत दिया है कि ऐसा नहीं है कि बिक्री नहीं हुई, लेकिन उस क्षेत्र में मॉनसून में देरी की वजह से इस बिक्री टल गई, लेकिन चौथी तिमाही में बदलाव की संभावना है। विश्लेषकों का कहना है कि यह सकारात्मक है क्योंकि चौथी तिमाही को कंपनी के लिए मजबूत तिमाहियों में से एक के तौर पर जाना जाता है।
तीसरी तिमाही में कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाला अन्य कारक था ब्राजीलियाई मुद्रा में भारी गिरावट आना। ब्राजील की मुद्रा रील पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा गिर गई और इसका 5 प्रतिशत प्रभाव पड़ा था। इसके समायोजन के लिए कंपनी स्थानीय मुद्रा में कीमत बढ़ाना चाहती है। कंपनी अनुकूल मूल्य निर्धारण ताकत से संपन्न है और मौद्रिक गिरावट या कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव की भरपाई के लिए कीमत बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। इसके साथ साथ उत्तरी अमेरिका और यूरोप जैसे ज्यादा मार्जिन वाले बाजारों से बढ़ते योगदान से भी कंपनी के परिचालन मार्जिन में मदद मिल रही है। कंपनी ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने राजस्व और एबिटा वृद्घि के अनुमानों को 6-8 और 10-12 प्रतिशत पर बनाए रखा है।
तीसरी तिमाही में यूपीएल ने कहा कि उसने अपने सकल ऋण में 3,980 करोड़ रुपये तक की कमी की जो करीब 55 करोड़ डॉलर बैठता है। सकल ऋण अब 27,830 करोड़ रुपये पर है, वहीं शुद्घ स्तर पर यह 24,200 करोड़ रुपये है। कंपनी 70-75 करोड़ डॉलर के दायरे में अपनी कुल ऋण कटौती के पिछले अनुमान को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है और वह शुद्घ कर्ज-परिचालन लाभ अनुपात घटाकर 2 गुना पर लाना चाहती है। इससे निवेशकों की प्रमुख चिंताएं दूर होने की संभावना है, क्योंकि कंपनी के बहीखाते पर कर्ज में जुलाई 2018 में एरिस्टा लाइफसाइंसेज के अधिग्रहण के बाद से भारी इजाफा हुआ था।
कम वित्तीय लागत को कंपनी के मुनाफे में वद्घि के तौर पर देखा जा रहा है और ब्रोकरेज फर्म एमके के विश्लेषकों ने अपना ईपीएस अनुमान वित्त वर्ष 2021-23 के लिए सालाना आधार पर 13 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। मूल्यांकन भी आकर्षक बना हुआ है। वित्त वर्ष 2022 के अपने 6 गुना के अनुमानित उद्यम वैल्यू-एबिटा के साथ चौथी सबसे बड़ी वैश्विक कृषि रसायन निर्माता अपने पांच वर्षीय ऐतिहासिक औसत के मुकाबले 40 प्रतिशत की बड़ी गिरावट पर कारोबार कर रही है। पिछले महीने के दौरान कंपनी के शेयर मे 23 प्रतिशत की वृद्घि के बाद भी, विश्लेषक इस पर अपना सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं और इसमें अच्छी तेजी देख रहे हैं। जोखिम उठाने में सक्षम दीर्घावधि निवेशकों को गिरावट पर इस शेयर को खरीदने की सलाह है।