सरकार इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) को कारगर बनाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। इनमें करीब 2,000 करोड़ रुपये पूंजी निवेश करने और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ इसका विलय करने जैसे विकल्प शामिल हैं। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को जनवरी 2017 में शुरू किया गया था लेकिन एकल इकाई के तौर पर इसका प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है और इसमें तत्काल पूंजी निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संचालित इस भुगतान बैंक की पूंजी अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में खत्म हो जाएगी। इसके लिए करीब 2,000 करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत है लेकिन यह पक्का नहीं है कि पूंजी निवेश के बाद इसकी स्थिति पूरी तरह सुधर जाएगी। अधिकारी ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक पर कर्मचारियों का काफी बोझ है और इसने नए कर्मचारियों की भर्ती भी की है, जिससे श्रमबल की लागत काफी ज्यादा हो गई है। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार इसे वित्त वर्ष 2019 में कर्मचारियों के वेतन मद में 199 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे और वित्त वर्ष 2020 में खर्च 33 फीसदी बढ़कर 264 करोड़ रुपये हो गया। भुगतान बैंक का प्रति कर्मचारी घाटा अनुपात वित्त वर्ष 2019 में 7.49 लाख रुपये था, जो दोगुना होकर वित्त वर्ष 2020 में 16.31 लाख रुपये तक पहुंच गया। उक्त अधिकारी ने कहा कि इसमें कई और कर्मचारियों को लाने की योजना थी, जिस पर सरकार ने रोक लगा दी है। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक में सरकार अब तक करीब 1,435 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। 2020-21 के बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए इस बैंक के लिए 220 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। सरकार ने पहले इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को लघु वित्त बैंक में बदलने की योजना बनाई थी लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मौजूदा दिशानिर्देेशों के तहत इस तरह के बैंक के लिए पांच साल तक परिचालन करना आवश्यक है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि आरबीआई से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के लिए नियमों में छूट मांगने का मतलब होगा कि निजी क्षेत्र के अन्य पेमेंट्स बैंक भी इसी तरह की रियायत की मांग करने लगेंगे। सरकार इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एक होल्डिंग कंपनी के तहत लाने की संभावना भी तलाश रही है। अधिकारी ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एकसाथ लाने से पेमेंट्स बैंक को ऋण देने की सुविधा भी मिल जाएगी, जबकि मौजूदा नियमों के तहत पेमेंट्स बैंकों को ऋण देने की अनुमति नहीं है। इंडिया रेटिंग्स में वित्तीय इंस्टीट्यूशंस के प्रमुख प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान एकल पेमेंट्स बैंक मॉडल चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसके पास अलग तरह के उत्पाद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल पेमेंट्स क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पद्र्घा की वजह से पेमेंट्स बैंक का कारोबार काफी कम मार्जिन पर होता है।
