कृषि सुधारों से छोटे किसानों को फायदा | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली January 29, 2021 | | | | |
तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर एक बार फिर से शुक्रवार को हजारों की तादाद में किसान एकत्र होने लगे तब संसद में पेश किए गए आर्थिक समीक्षा और उससे पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण के माध्यम से केंद्र सरकार ने इन कानूनों का समर्थन जोरदार तरीके से किया और कहा कि ये कानून बाजार की स्वतंत्रता के एक नए दौर का सूत्रपात करेंगे जो भारत में छोटे और हाशिये पर खड़े किसानों के जीवन में सुधार ला सकता है।
समीक्षा में कहा गया कि तीन कृषि कानूनों को मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों के फ ायदे के लिए तैयार किया गया था जो एपीएमसी-नियमित बाजार व्यवस्था से सबसे ज्यादा पीडि़त हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सर्वेक्षण पेश किए जाने से पहले अपने संबोधन में कहा कि इन कृषि सुधारों का फ ायदा भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हो गया है।
समीक्षा में खाद्य प्रबंधन के मोर्चे पर खाद्य सब्सिडी के बढ़ते बोझ को नियंत्रित करने के लिए राशन की दुकानों के जरिये बेचे जाने वाले अनाज का केंद्रीय निर्गम मूल्य (सीआईपी) बढ़ाने की वकालत की गई। सीआईपी वह दर है जिसके आधार पर राशन की दुकान के माध्यम से गरीबों और कमजोर लोगों को अनाज बेचा जाता है। फि लहाल चावल के लिए 3 रुपये प्रति किलो, गेहूं के लिए 2 रुपये प्रति किलो और मोटे अनाज के लिए 1 रुपये प्रति किलो की दर तय की गई है।
2013 में जो दर तय की गई थी तब से उसमें संशोधन नहीं किया गया है हालांकि सस्ते अनाज के वितरण से जुड़े राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में हरेक तीन वर्षों में एक बार दरों में संशोधन का प्रावधान है।
समीक्षा में कहा गया है, 'खाद्य सब्सिडी बिल काफी बढ़ता जा रहा है। हालांकि खाद्य सुरक्षा के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को देखते हुए खाद्य प्रबंधन की आर्थिक लागत को कम करना मुश्किल है, लेकिन खाद्य सब्सिडी की बढ़ती लागत को कम करने के लिए सीआईपी के संशोधन पर विचार करने की जरूरत है।' समीक्षा में नए कृषि बुनियादी ढांचा कोष (एआईएफ ) का भी पुरजोर समर्थन किया गया है क्योंकि यह किसानों के लिए मजबूत कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण में मील का पत्थर साबित हो रहा है। समीक्षा में कहा गया है कि 15 जनवरी, 2021 योजना के तहत नाबार्ड द्वारा 3055 पैक्स के लिए 2991 करोड़ रुपये की 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी गई।
|