'भारत को कोविड पैकेज जारी रखने की जरूरत' | भाषा / वाशिंगटन January 27, 2021 | | | | |
भारत में अगले सप्ताह पेश होने वाले बजट से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने महामारी संकट से निपटने के उपायों को जारी रखने, ढांचागत क्षेत्र में निवेश पर जोर देने और आयुष्मान भारत जैसे स्वास्थ्य कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाने की वकालत की है। साथ ही उन्होंने वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक कंपनियों के लिए एक स्पष्ट विनिवेश योजना पर जोर दिया है।
उन्होंने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि भारत सरकार ने लघु एवं मझोले उपक्रमों के लिए काफी योजनाएं पेश की है, जिनमें से ज्यादातर नकदी समर्थन के रूप में थी।
उन्होंने कहा, 'इसकी समीक्षा करने और यह देखने की जरूरत है कि यह किसने प्रभावी तरीके से काम कर रहा है और क्या उन्हें अतिरिक्त मदद की जरूरत है।' एक फरवरी को पेश किए जाने वाले 2021-22 के बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनकी सिफारिशों से जुड़े सवाल के जवाब में गोपीनाथ ने यह कहा। उन्होंने कहा कि इस समय वित्तपोषण की स्थिति बेहतर है, उसको देखते हुए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए पूंजी जुटाने का यह अच्छा समय है।
गोपीनाथ ने कहा, 'हमें यह ध्यान रखना है कि अगर महामारी संकट से निपटने के उपायों को अगर वापस लिया जाता है, गैर-निष्पादित कर्ज में वृद्धि की काफी संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी इसकी आशंका जताई है।' उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों के लिए भी पूंजी समर्थन की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों मे कामकाज की स्थिति में सुधार का भी मुद्दा है। गोपीनाथ ने कहा कि यह स्थिति देखते हुए सार्वजनिक बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर निवेश और बढ़ाने की जरूरत है और सरकार ने ऐसा करने का इरादा भी जताया है।
उन्होंने कहा कि साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी और जोर देने की जरूरत है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, 'महामारी के समय धन खर्च किया गया। लेकिन अगर आप देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को देखें, क्षमता को बढ़ाए जाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए आयुष्मान भारत कार्यक्रम का दायरा बढ़ाया जा सकता है और इसको लेकर दलीलें भी दी जा रही है। स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है। लेकिन ऐसा लगता है कि अनुपालन के स्तर पर कुछ मसला है, इसे दूर करने की आवश्यकता है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को राज्यों के जीएसटी मुआवजा में कमी को पूरा करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये जारी किए और इसके साथ कुल जारी राशि 78,000 करोड़ रुपये हो गई है। सरकार ने अक्टूबर 2020 में विशेष उधारी विंडो की स्थापना की थी, जिससे राजस्व में 1.19 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित कमी की भरपाई की जा सके, जो जीएसटी लागू करने के कारण हो रही है।
उल्लेखनीय है कि कड़ाई से लागू 'लॉकडाउन' से जुड़ी पाबंदियों में ढील दिए जाने के साथ जीएसटी संग्रह दिसंबर, 2020 में रिकार्ड 1.15 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।
गोपीनाथ ने कहा कि एक अन्य क्षेत्र विनिवेश है, जिस पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'वाणिज्यिक रूप से व्यवहाारिक कंपनियों के मामले में विनिवेश को लेकर चीजें एकदम स्पष्ट होनी चाहिए। साथ ही ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया पर भी काफी काम करने की जरूरत है।'
नारियल का समर्थन मूल्य बढ़ा
सरकार ने बुधवार को पेराई वाले नारियल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 375 रुपये प्रति क्विंटल और नारियल गोला गरी के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वर्ष 2021 सत्र के लिए नारियल गरी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है। उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के पेराई वाले नारियल (मिलिंग कोपरा) के एमएसपी को 2020 सत्र के 9,960 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 10,335 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि नारियल गरी गोला के लिए एमएसपी को पिछले साल के 10,300 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 10,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। भाषा
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