सपनों की उड़ान भरने से पहले स्टार्टअप दें ध्यान | इंसानी पहलू | | श्यामल मजूमदार / January 27, 2021 | | | | |
'हाइक' की स्थापना के महज चार साल बाद अगस्त 2016 में केविन भारती मित्तल सफल स्टार्टअप के यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गए थे। हाइक का मूल्यांकन 1.4 अरब डॉलर किए जाने के बाद मित्तल 17.4 करोड़ डॉलर का फंड जुटाने में सफल रहे। उस समय दुनिया की प्रतिक्रिया का अंदाजा लगाया जा सकता था। लोग यही कह रहे थे कि सुनील भारती मित्तल के बेटे ने महज 23 साल की उम्र में अपना अलग मुकाम बना लिया। मीडिया में उनकी खूब तारीफ की गई और वह स्टार्टअप की दुनिया के पोस्टर बॉय बन गए। वह देसी 'डेविड' थे जो आखिरकार व्हाट्सऐप जैसे 'गोलियथ' का मुकाबला कर पाए।
दुर्भाग्य से, इस परीकथा का अंत खुशनुमा नहीं रहा। हाइक हाल ही में बंद हो गया और ऐप स्टोर से गायब भी हो गया। एक हफ्ते पहले किए गए ट्वीट में मित्तल ने कहा था, 'भारत के पास खुद का मेसेंजर नहीं होगा, वैश्विक नेटवर्क प्रभाव काफी सशक्त हैं (जब तक भारत पश्चिमी कंपनियों पर प्रतिबंध नहीं लगाता है)।' पिछले एक-डेढ़ साल में मित्तल ने लगातार हाइक को सामाजिक एवं वर्चुअल-मोबाइल उत्पाद के तौर पर विविधकृत किया था। हालांकि मित्तल ने लिखा, 'उनकी कंपनी अपने सोशल मीडिया ऐप 'वाइब' के विकास और नए गेमिंग उत्पाद 'रश' पर काम करना जारी रखेगी।'
स्वदेश में विकसित भारत के पहले मेसेंजर ऐप को बनाए रख पाने में नाकामी के अलावा कड़वाहट इस वजह से भी बढ़ी है कि हाइक पर ताला उस समय लगा है जब व्हाट्सऐप की निजता संबंधी नई शर्तों को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद सिग्नल एवं टेलीग्राम के लाखों नए ग्राहक बन गए हैं। लेकिन हाइक मेसेंजर के पतन को कौतूहल भरी नजर से नहीं देखा जा सकता है। पहले से ही ऐसे संकेत थे कि हाइक शुरुआती उफान के बाद रास्ता भटक गया था और किशोरवय उत्साह में इसने कई क्षेत्रों में घुसने की कोशिश की। खुद मित्तल ने भी जनवरी 2020 में लिखे एक ब्लॉग में इसे स्वीकार किया था। उन्होंने कहा था, 'अपने फोकस को लेकर चुङ्क्षनदा रवैया रखो। संभावनाओं से भरी इस दुनिया में सही संभावनाओं वाली कुछ बातों पर फोकस रखना अहम है। इस तरह हम आधी जंग जीत जाते हैं।'
लेकिन इस हकीकत का अहसास होने में शायद देर हो चुकी थी। हाइक इसका सटीक उदाहरण हो सकता है कि एक कंपनी को अपना प्रमुख कार्य-क्षेत्र चिह्नित कर उस पर शिद्दत से डटे रहना चाहिए। दरअसल कम काम करो लेकिन बेहतर काम करो, न कि स्थापित वैश्विक मेसेंजर दिग्गजों के खिलाफ जंग का बिगुल फूंकने लगो। हरेक कंपनी को यह सबक बार-बार सीखना चाहिए। किसी भी कारोबार में निवेश करने वाले को पहले अपना असली कारोबार मजबूत करना चाहिए और फिर दूसरे क्षेत्रों में दस्तक देनी चाहिए। और जो कंपनी इस बुनियादी राह से भटक जाती है वह गुम हो जाती है। कंपनियों के पास एक सुपरिभाषित एवं मजबूती से वर्गीकृत मूल कारोबार होना चाहिए और उन्हें एक समय के भीतर अपने समर्पित प्रमुख ग्राहकों की नजरों में मूल्य भी बनाना चाहिए। तब जाकर उन्हें कारोबार के अन्य क्षेत्रों की तरफ रुख करना चाहिए।
इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि हाइक की शुरुआत जबरदस्त रही थी और चार वर्षों में ही 10 करोड़ से अधिक लोग उसका इस्तेमाल करने लगे थे। समस्या यह थी कि उसके बाद हाइक की वृद्धि स्थिर हो गई और 2018 से उपभोक्ता भी उससे छिटकने लगे। इससे कंपनी के वित्त पर दबाव बढऩे लगा। मित्तल शायद वीचैट की कामयाबी से प्रेरित रहे हों और उसके जटिल कारोबारी मॉडल का ही अनुसरण करना चाहते थे। वीचैट का 80 फीसदी से भी अधिक राजस्व गेम से आता है और बाकी हिस्सा ऑनलाइन विज्ञापन, मोबाइल भुगतान एवं स्टिकर जैसे उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री का होता है।
लिहाजा हाइक ने भी वही रास्ता अपनाया और अपने प्लेटफॉर्म पर गेम, मोबाइल वॉलेट एवं 20,000 से अधिक ऑनलाइन स्टिकर इक_ा कर लिए। लेकिन हाइक कभी भी वीचैट की कामयाबी नहीं दोहरा पाया क्योंकि वह एक बड़ा उपभोक्ता आधार नहीं खड़ा कर पाया जिसने आगे चलकर उसकी ब्रांड इमेज एवं प्रतिष्ठा को भी क्षतिग्रस्त किया और उसके मूल्यांकन में भी गिरावट आई।
हाइक खुद 'सुपर ऐप' के रूप में भी दिखना चाहता था। एक ऐसा ऐप जो चैट से आगे बढ़कर सेवाएं भी प्रदान करे। इसका समाचारों के लिए एक अलग इंटरफेस था जहां वह अलग वर्गों में छोटी संक्षिप्त खबरें परोसता था। उपयोगकर्ताओं को संदेश भेजने वाले चैटबोट भी थे- हाइक डेली प्रेरणादायी संदेश भेजता था जबकि जस्ट फॉर लॉफ्स चुटकुले एवं मीम्स भेजता था। यह सब कुछ युवाओं को आकर्षित करने के लिए था लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि हाइक ने अपने पैर कुछ ज्यादा फैला लिए और असली कारोबार से ध्यान भटक गया।
हाइक के खिलाफ जाने वाला दूसरा बिंदु 20 साल से कम उम्र वाली आबादी को लक्षित करना था। वह ग्राहक समूह उत्पाद एवं सेवाएं बेचने के नजरिये से आदर्श नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा तकनीक एवं समूची कारोबारी पारिस्थितिकी में तेजी से बदलाव आया और 2019 में मित्तल को अपना सुपर ऐप कारोबार समेटने और भुगतान प्लेटफॉर्म बंद करने की घोषणा करनी पड़ी। जल्द ही हाइक ने फिर से बुनियादी चीजों पर ध्यान देने का फैसला किया। उसने बेंगलूरु में अपना कार्यालय बंद करने के साथ कर्मचारियों को हटा दिया। लेकिन वह एक लंबे अंत की शुरुआत जैसी थी।
इस मामले से यही सबक लेना चाहिए कि निवेशक का पैसा लगा होने पर कारोबार दिखावे की उड़ान भरने वाला नहीं हो सकता है। बड़ी इंटरनेट कंपनियां अब भी ऐसा कर सकती हैं और वे अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा शोध एवं विकास पर खर्च करती हैं। पहले चरण की स्टार्टअप से कोई भी ऐसी उम्मीद नहीं करता है, लिहाजा हाइक को यह नहीं भूलना चाहिए कि एक स्टार्टअप की बुनियादी परिभाषा यही है कि उसे कुछ खास बातों पर केंद्रित रहना चाहिए ताकि संस्थापकों की मौलिक सक्षमता का कुछ फायदा उठा सके।
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