अगले दौर में छोटी खदानों की नीलामी | श्रेया जय / नई दिल्ली January 25, 2021 | | | | |
कोयला मंत्रालय वाणिज्यिक कोयला खनन की नीलामी के दूसरे दौर में सिर्फ छोटे व मझोले आकार की खदानों की नीलामी करेगा, जिससे नए और छोटे खनन कारोबारियों को आकर्षित किया जा सके। अधिकारियों ने कहा कि पेशकश वाली खदानों का मूल्यांकन होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में न हों।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार खनन को यथासंभव बाधारहित बनाने की कवायद कर रही है। ऐसे में जिन खदानों की पेशकश आगामी दौर में की जाएगी, उनमें विरासत के या कानूनी मसले नहीं होंगे। मंत्रालय ने यह भी फैसला किया है कि वह नई खदानों की पेशकश करेगी, जो 2014 में रद्द की गई खदानों की सूची से अलग होंगी।
इसके पहले सालाना 10 से 15 मिलियन टन प्रति साल (एमटीपीए) से ज्यादा उत्पादन क्षमता की बड़ी खदानों को उद्योग जगत की ओर से उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिन खदानों की सफल बोली का आयोजन हुआ, उनकी अधिकतम क्षमता 0.3 से 10 एमटीपीए आंकी गई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'खदानों के नजदीक और उसके आसपास के वन क्षेत्र को जानने के लिए हमने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओ ईएफसीसी) के निर्णय समर्थन व्यवस्था (डीएसएस) का इस्तेमाल किया है। जो खदानें भारी वन क्षेत्र के पास और उनके नजदीक हैं और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में आती हैं, उन्हें अलग कर दिया गया है। अभी हम छोटी खदानों की पेशकश कर रहे हैं, जिनमें बड़ी मात्रा में जमीन और वन क्षेत्र नहीं आता है।' डीएसएस भौगोलिक सूचना व्यवस्था (जीआईएस) है, जिसमें सैटेलाइट की तस्वीर के आधार पर वन भूमि और इकोलॉजी का ब्योरा लिया जाता है। इससे उस इलाके में परियोजना की गतिविधि की निगरानी में भी मदद मिलती है। वाणिज्यिक कोयला नीलामी के पहले दौर में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ ने इस आधार पर कुछ खदानों का विरोध किया था कि वे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में आती हैं। पहले चरण में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की एक-एक खदानों को नीलामी से बाहर कर दिया गया था क्योंकि वे टाइगर रिजर्व और नदी के किनारे स्थित थीं।
भारत में कोयला खनन के राष्ट्रीयकरण के 47 साल बाद केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों को कोयले के वाणिज्यिक खनन और बिक्री के क्षेत्र में प्रवेश का मौका दिया है। इसके लिए पिछले साल मई में कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया गया, जिससे गैर खनन, एमएसएमई और विदेशी कंपनियों के लिए कोयले की नीलामी खुल सके।
बोली हासिल करने वाली कंपनियों में अदाणी इंटरप्राइजेज, हिंडालको, वेदांत, आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग, जिंदल स्टील ऐंड पावर और कुछ नई और गैर खनन कंपनियां जैसे अरविंदो रियल्टी, यजदानी इंटरनैशनल, जेएमएस माइनिंग और बोल्डर स्टोन मार्ट शामिल हैं। बोली लगाने वालों में से करीब 65 प्रतिशत गैर अंतिम उपभोक्ता श्रेणी के थे, जो सीधे कोयले का इस्तेमाल नहीं करते हैं। एक अधिकारी ने कहा, छोटे व मझोले आकार की कंपनियां इसमें बहुत रुचि दिखा रही हैं, हम अब छोटी खदानों की पेशकश कर रहे हैं। तमाम नए कारोबारी कोयला खनन में उतर रहे हैं, ऐसे में सरकार यह कवायद कर रही है कि यह पूरी प्रक्रिया यथासंभव बाधारहित बनी रहे।'
|