मार्च 2020 से बाजार में आई शानदार तेजी के बावजूद जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने 2021 के लिए भारतीय बाजारों के लिए तेजी का नजरिया बरकरार रखा है। मार्च 2020 के निचले स्तरों से बीएसई का सेंसेक्स चढ़कर पहली बार 50,000 के आंकड़े को पार कर चुका है। निवेशकों के लिए अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट 'ग्रीड ऐंड फियर' में वुड ने लिखा है, 'इस साल भी भारतीय बाजार अच्छा बना हुआ है। इसकी मुख्य वजह है आगामी वित्त वर्ष में चक्रीय सुधार, क्योंकि पिछले कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही में वृद्घि काफी प्रभावित हुई और तब वास्तविक जीडीपी सालाना आधार पर 23.9 प्रतिशत तक घटी।' शेयर बाजार के लिए सिर्फ तेजी के बाजार में गिरावट के बजाय वैश्विक स्तर पर बिकवाली भी मुख्य चिंता है। वुड का मानना है कि आर्थिक मंदी या अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति में सख्ती के तौर पर मुख्य बदलाव पर ध्यान दिए जाने की जरूरत होगी। फिलहाल उन्होंने इन दोनों कारकों की आशंका से इनकार किया है। वुड ने लिखा है, 'ग्रीड ऐंड फियर के नजरिये में आर्थिक मंदी नहीं गहराने की संभावना है, क्योंकि टीके की पेशकश का सकारात्मक असर दिखेगा और रुकी हुई मांग सामने आएगी। इसे राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा घोषित राहत पैकेज से भी गति मिलेगी।' वहीं घरेलू संदर्भ में, जेफरीज को कॉरपोरेट आय वित्त वर्ष 2022 में 37 प्रतिशत तक बढऩे की उम्मीद है, जबकि वास्तविक जीडीपी में सालाना आधार पर 13.2 प्रतिशत तक की तेजी आने की उम्मीद है। क्षेत्रों के संदर्भ में, वुड प्रॉपर्टी/रियल एस्टेट सेक्टर पर उत्साहित बने हुए हैं, क्योंकि इसमें लंबी मंदी के बाद बिक्री में सुधार आने की संभावना है। भारतीय आवासीय बाजार में बिक्री 2013 में चरम पर थी और कोविड-19 संकट से पूर्व 2019 में भी यह अपने ऊंचे स्तर से एक-तिहाई नीचे बनी हुई थी। जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, आवासीय परिसंपत्ति बिक्री इस वर्ष सालाना आधार पर करीब दोगुनी होने का अनुमान है। फिर भी यह अपने 2013 के ऊंचे स्तरों से 30 प्रतिशत नीचे बनी रहेगी। बाजारों के संदर्भ में, निफ्टी रियल्टी सूचकांक ने निफ्टी-50 के अनुरूप प्रदर्शन किया है। निफ्टी रियल्टी सूचकांक अपने मार्च 2020 के निचले स्तरों से करीब 90 प्रतिशत चढ़ा है जबकि निफ्टी-50 में 91 प्रतिशत की तेजी आई है। एसीई इक्विटी के आंकड़े के अनुसार, शोभा डेवलपर्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, डीएलएफ और ब्रिगेड एंटरप्राइजेज की शेयर कीमतें इस अवधि के दौरान दोगुनी से ज्यादा चढ़ी हैं।
