रेलवे को परिचालन अनुपात बेहतर रहने की आस | त्वेष मिश्र / नई दिल्ली January 22, 2021 | | | | |
भारतीय रेल वित्त वर्ष 2020-21 में इसके पहले के वित्त वर्ष की तुलना में बेहतर परिचालन अनुपात की रिपोर्ट आने की उम्मीद कर रही है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'व्यय में भारी कमी आई है। इसलिए पिछले साल की तुलना में बेहतर परिचालन अनुपात रहने की उम्मीद है।'
कोविड-19 महामारी के कारण इस वित्त वर्ष के दौरान ज्यादातर यात्राएं रुक गईं और यात्री किराये में भारी कमी आई है। इसके बावजूद यह सुधार हो रहा है। रेलवे ने माल ढुलाई से राजस्व कमाया है, जो इस साल सुधार में अहम भूमिका निभाने जा रहा है।
अधिकारी ने कहा, 'व्यय घटाने की बहुत ज्यादा कवायद से यह बदलाव आया है और माल ढुलाई के प्रदर्शन में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। दरअसल रेलवे से पहले के चार महीनों में अब तक की सबसे ज्यादा ढुलाई हुई है।'
परिचालन अनुपात से भारतीय रेल के प्रदर्शन का आकलन होता है। यह कुल व्यय और आमदनी का अनुपात होता है। यह डर था कि यात्री किराया घटने और तय लागत जारी रहने से कुल मिलाकर भारतीय रेलवे के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ेगा।
ईवाई इंडिया में पार्टनर राजाजी मेश्राम ने कहा, 'रेलवे परिचालन लागत में नियत लागत का हिस्सा कुल लागत का बड़ा भाग होता है। उदाहरण के लिए अगर कोई रेलवे स्टेशन है, जहां से एक ट्रेन जाती है या 100 ट्रेनें जाती हैं तो कुछ लागत नियत है। यही ट्रैक के मामले में भी है कि कुछ लागत उसके रखरखाव से जुड़ी हैं और उसमें कटौती नहीं हो सकती। ऐसे में 65,000 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के रखरखाव पर नियत व्यय होता है, चाहे रेलगाडिय़ां चलें या नहीं।'
रेल अधिकारी ने कहा, 'इस साल ट्रैक्शन पर व्यय पिछले साल की तुलना में करीब 11,000 करोड़ रुपये कम है। कोविड-19 वाले साल में यात्री सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, वहीं रेलवे ने इन झटकों को समाहित करने में सफलता पाई है और यह उम्मीद है कि मार्च 2021 तक पुनरीक्षित लक्ष्य हासिल हो जाएगा।'
अधिकारी ने कहा, 'क्षमता का अधिकतम इस्तेमाल और आधुनिक एनलिटिक्स के इस्तेमाल से हर मोर्चे पर रेलवे का परिचालन बेहतर हुआ है। इसकी वजह से परिचालन की मात्रा और गुणवत्ता में कमी किए बगैर बचत हो सकी है।'
मेश्राम के मुताबिक दो बजटों के विलय के बाद भी भारतीय रेलवे के ऊपर परिचालन से राजस्व कमाने की जिम्मेदारी है।
रेल और केंद्रीय बजट के विलय पर प्रतिक्रिया देते हुए मेश्राम ने कहा, 'बजट से रेलवे पूंजीगत व्यय के लिए समर्थन पाता है, वह निश्चित रूप से बढ़ा है। 2014 के पहले यह आवंटन 45,000 करोड़ से 50,000 करोड़ रुपये के बीच होता था। 2014 के बाद यह बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये तक हो गया और पिछले बजट में यह 1.5 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। यह 7-8 साल पहले की तुलना में बड़ा अंतर है, जब रेलवे बोर्ड को तमाम अहम परियोजनाओं के लिए धन की कमी के संकट से जूझना पड़ता था।'
माल ढुलाई से मुनाफे के अतिरिक्त चालू वित्त वर्ष में रेलवे ने और साधनों का भी इस्तेमाल किया है।
रेल अधिकारी ने कहा, 'अन्य हिस्सेदारों से बात करके संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना बनाई गई। दिल्ली के अशोक विहार में स्थित जमीन 1,359 करोड़ रुपये में 99 साल के पट्टे पर दी गई, जिसकी पहली किस्त 203.85 करोड़ रुपये मिल गई है।'
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