ब्रिटेन के मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक शोध पत्र में कहा गया है कि हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाए गए कोवैक्सीन टीके के पहले चरण के एक अध्ययन में बेहतर सुरक्षा नतीजे देखने को मिले साथ ही इसमें प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी प्रतिक्रिया भी अपेक्षाकृत बढ़ी हुई नजर आई। इस टीके को सीमित आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद विवाद बढ़ गया था। अंतरिम निष्कर्षों को साझा करते हुए इस जर्नल ने शोध पत्र में बताया कि सभी खुराक समूहों में टीके को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया रही और टीके की वजह से कोई प्रतिकूल घटना देखने को नहीं मिली। आम दिक्कत यह रही कि जहां टीके लगाए गए वहां थोड़ा दर्द महसूस हुआ साथ ही सिरदर्द, थकान और बुखार की समस्या भी देखने को मिली। इस शोध पत्र में कहा गया, 'इस अध्ययन में जो टीका लक्षित समूह थे उनमें प्रणालीगत प्रतिकूल घटनाएं 14-21 प्रतिशत देखी गईं जो अन्य सार्स-सीओवी-2 टीके से काफी कम है।' इस अध्ययन में शामिल आबादी में कोई विविधता नहीं थी और प्रतिभागियों में अधिकांशत: पुरुष थे। यह अध्ययन भारत के भीतर अलग-अलग जगहों के वॉलंटियर के साथ किया गया जिसमें 11 अस्पतालों में 375 प्रतिभागियों का नामांकन हुआ। देश में जब लॉकडाउन लगाया गया था उस दौरान ही इस अध्ययन के लिए नामांकन हुआ। उस वक्त देश में तेजी से कोविड मामले बढ़ रहे थे जिससे इस प्रक्रिया के संचालन में भी चुनौतियां देखने को मिलीं। हालांकि, भागीदारी के लिहाज से देखा जाए तब आखिरी प्रक्रिया तक जुड़े रहने की दर 97 प्रतिशत के आसपास थी। इसमें कहा गया, 'यह एक अंतरिम रिपोर्ट है और हम टीके की ऐंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं या दीर्घकालिक सुरक्षा परिणामों के बरकरार रहने से जुड़े किसी भी डेटा को पेश नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इसके नतीजे किसी प्रभाव के आकलन की अनुमति नहीं देते हैं।' कोवैक्सीन एक संपूर्ण विषाणु निष्क्रिय कोविड-19 टीका है जिसे भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे (एनआईवी) के सहयोग से तैयार किया है। इस शोध पत्र में कहा गया है, 'कई रिपोर्ट में ऐंटीजन के रूप से अलग स्ट्रेन के खिलाफ सार्स-सीओवी-2 टीके के प्रभाव पर सवाल उठाया गया और हमने इन समरूप और अलग स्ट्रेन पर टीके की प्रतिक्रिया बेअसर करने की बात की।' अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि अन्य नामांकन के लिए आगे बढऩे की सिफ ारिश देने से पहले, डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड द्वारा मास्क सुरक्षा आंकड़ों की समीक्षा की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई परिचालन पूर्वग्रह न सामने आए। 13 से 30 जुलाई के बीच 897 लोगों की जांच की गई और 375 लोगों का नामांकन किया गया। शुरू में जांच किए गए 522 लोगों में से 133 प्रतिभागियों को बाहर रखा गया था क्योंकि वे सार्स-सीओवी-2 संक्रमित थे और जबकि 153 लोगों को असामान्य प्रयोगशाला नियमों के कारण बाहर रखा गया था। पहले 50 नामांकित प्रतिभागियों को टीकाकरण के बाद सात दिनों की निगरानी के लिए रखा गया था और मास्क सुरक्षा डेटा की स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड की समीक्षा के आधार पर परीक्षण जारी रखने की अनुमति के साथ ही सभी समूहों के शेष प्रतिभागियों का नामांकन जारी रखने की बात की गई थी। सभी नामांकित प्रतिभागियों में से प्रत्येक 100 को तीन टीका समूहों में बांटा गया और 75 को नियंत्रण समूह में डाला गया था।
