एनबीएफसी के लिए सख्त नियम | सुब्रत पांडा / मुंबई January 22, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए आकार पर आधारित नियामकीय व्यवस्था चाहता है। बैंक ने आज पेश प्रस्ताव में बड़ी इकाइयों को अलग करने और वित्तीय स्थायित्व की सुरक्षा के लिए उन्हें बैंकों की तरह सख्त नियमों के दायरे में लाने का विचार रखा। उसने छोटी एनबीएफसी के लिए पहले की तरह आसान नियमन जारी रखने की बात कही ताकि उनका विकास सहजता से होता रहे।
अपनी वेबसाइट पर जारी परिचर्चा पत्र में केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी के लिए पिरामिड सरीखे ढांचे का प्रस्ताव किया है। पिरामिड में सबसे नीचे के स्तर में 1,000 करोड़ रुपये तक संपत्ति वाली एनबीएफसी होंगी और अधिकतर इकाइयां इसी में आ जाएंगी। इस श्रेणी के लिए कायदे कुछ नरम होंगे। इसके ऊपर मध्य स्तर होगा, जिसके कायदे कुछ सख्त होंगे। उसके ऊपर उच्च श्रेणी होगी, जिसमें 25-30 एनबीएफसी आ सकती हैं और जिनके नियम बैंकों की तरह होंगे। इस श्रेणी की एनबीएफसी का आकार काफी बड़ा होगा और उनके कर्जदारों की संख्य भी बहुत अधिक होगी। इस श्रेणी की एनबीएफसी की क्षमता ज्यादा होती है जिससे जोखिम भी बढ़ जाता है और वित्तीय स्थिरता भी इससे प्रभावित हो सकती है।
परिचर्चा पत्र में कहा गया है, 'फिलहाल इस तरह की श्रेणी नहीं है क्योंकि नियमन के लिए यह नई श्रेणी बनाई जाएगी। इस श्रेणी में आने वाली एनबीएफसी के लिए बैंकों के तरह नियम होंगे, जिसमें उपयुक्त बदलाव किए जाएंगे।' सबसे ऊपरी श्रेणी में गिनी-चुनी एनबीएफसी होंगी, जिनके लिए विशेष तौर पर नियम बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इस दायरे में आने वाली एनबीएफसी के लिए उच्चतम नियामकीय व्यवस्था और निगरानी की आवश्यकता होगी।
बुनियादी स्तर में जमा स्वीकार नहीं करने वाली एनबीएफसी शामिल होंगी। मध्य श्रेणी में भी जमा स्वीकार नहीं करने वाली एनबीएफसी होंगी लेकिन वे रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियां आदि होंगी। इस श्रेणी के लिए नियमन बुनियादी स्तर की तुलना में सख्त होगा।
आरबीआई शीर्ष 50 एनबीएफसी पर करीब से नजर रखेगा और उनका ऑडिट बैंकों की तरह होगा। ऊपरी तथा सबसे शीर्ष स्तर की एनबीएफसी की सख्ती से जांच-परख की जाएगी क्योंकि उनमें गड़बड़ी होने से पूरे वित्तीय तंत्र पर असर पड़ता है। 2018 में आईएलऐंडएफएस के मामले में ऐसा देखा जा चुका है।
शीर्ष श्रेणी में एनबीएफसी का आकार, कर्ज, आपसी जुड़ाव, टिकाऊपन, जटिलता, गतिविधि की प्रकृति आदि पैमाने होंगे। परिचर्चा पत्र के अनुसार परिसंपत्ति आकार के हिसाब से शीर्ष 10 एनबीएफसी को ऊपरी श्रेणी में रखा जाएगा। इस श्रेणी में 25-30 से ज्यादा एनबीएफसी नहीं होंगी। मध्य श्रेणी के सभी नियमन इन पर भी लागू होंगे और इन्हें बैंक की तरह ही कामकाज करना होगा।
ऊपरी श्रेणी की एनबीएफसी को 9 प्रतिशत टीयर 1 पूंजी बरकरार रखनी होगी और अन्य शर्तों के अनुसार नकद आरक्षी अनुपात भी बरकरार रखना होगा। साथ ही कुछ बड़ी शर्तें जैसे किसी एक ग्राहक को टीयर 1 पूंजी के 25 प्रतिशत से अधिक उधार देने पर पाबंदी और एक समूह के ग्राहकों को पूंजी का 40 प्रतिशत से अधिक उधारी देने पर रोक से जुड़े नियम भी इन एनबीएफसी के लिए लागू होने चाहिए।
मौजूदा एनबीएफसी को इनके क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। जहां तक इन एनबीएफसी के कॉर्पोरेट संचालन की बात है तो परिपत्र में कहा गया है कि उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले मानकों का पालन करना होगा। पत्र के अनुसार किसी एक इकाई का दबदबा रोकने के लिए उन्हें मालिकाना हक से जुड़ी संरचना में भी बदलाव करना होगा। पत्र में कहा गया है कि आंतरिक बोर्ड से मंजूर नीति के आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों में ऋण आवंटन भी दुरुस्त करना होगा।
पत्र में कहा गया है, 'इस खंड में एनबीएफसी के लिए सुझाए गए उपायों के अलावा इस पहलू पर भी विचार किया गया कि अर्थव्यवस्था के दूसरे खास खंडों में भी आवंटन की सीमा तय की जानी चाहिए या नहीं। एनबीएफसी की खास प्रकृति होने के कारण दूसरे अहम क्षेत्रों पर आंतरिक आवंटन सीमा का निर्धारण करने की जिम्मेदारी इनके निदेशक मंडल पर होगी।' जहां तक उच्च श्रेणी की बात है तो यह रिक्त रहना चाहिए लेकिन आरबीआई हालात का आकलन करते हुए इसमें ऊपरी श्रेणी की एनबीएफसी ला सकता है। पत्र के अनुसार,'इस श्रेणी की एनबीएफसी पर पूंजी से जुड़ी कड़ी शर्तें लागू होंगी। इन एनबीएफसी के साथ उच्च स्तर की निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।'
कुछ दूसरी अहम बातों में परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि 10 या इससे अधिक शाखाओं वाली एनबीएफसी को कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (सीबीएस) व्यवस्था अपनानी होगी। एनबीएफसी को व्यवस्थागत लिहाज से अहम श्रेणी में डालने के लिए निर्धारित सीमा 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये की जानी चाहिए। जमा राशि नहीं लेने वाली 9,425 एनबीएफसी में 9,133 एनबीएफसी का परिसंपत्ति आकार 500 करोड़ रुपये से कम है। लिहाजा अगर सीमा बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये की जाती है तो इस श्रेणी में एनबीएफसी की संख्या बढ़कर 9,209 हो जाएगी, जिससे आधार स्तर (बेस लेयर) में इनकी तादाद बढ़ जाएगी।
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