दाम बढऩे से भी तेल कंपनियों को मोटी कमाई की उम्मीद नहीं | त्वेष मिश्र / नई दिल्ली January 20, 2021 | | | | |
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत इस महीने 2020 के न्यूनतम स्तरों से ऊपर उठा लेकिन यह अभी भी उतना अधिक नहीं कि इससे तेल अन्वेषण कंपनियों और उत्पादन कंपनियों को बहुत जरूरी अप्रत्याशित लाभ मिले। कीमत अभी भी उस दायरे में जहां केंद्र और राज्य सरकारों को आसानी से उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर राजस्वों को वसूलने में मुश्किल नहीं हो रही है। लेकिन यदि कच्चे तेल की कीमत में और 5 डॉलर की वृद्घि हो जाती है और पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में उसी अनुपात में वृद्घि हो जाती है तो लंबे समय तक ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं होगा। फिलहाल, ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 55-56 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है जो 4 जनवरी के 51 डॉलर प्रति बैरल से अधिक है। इस प्रकार दो हफ्तों में इसमें 10 फीसदी की वृद्घि हो चुकी है। कोविड-19 महामारी और आर्थिक सुस्ती के बीच 21 अप्रैल, 2020 को 19.33 डॉलर प्रति बैरल के बाद से कीमत में यह तीव्र सुधार आया है।
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया (ओआईएल) जैसी तेल अन्वेषण और उत्पादन कंपनियां कीमत में इस सुधार को कठिन वित्त वर्ष 2020-21 में अंतिम क्षण में नुकसान की भरपाई करने वाले अवसर के रूप में नहीं देख रही हैं।
एक तेल कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा, 'कीमत में इस फेरबदल को हम अप्रत्याशित लाभ के तौर पर नहीं देखते हैं और 2020-21 की वार्षिक कमाई निश्चित तौर पर 2019-20 से कम रहेगी। घरेलू तेल अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों को लगातार प्राकृतिक गैस पर नुकसान उठाना पड़ रहा है। वित्त वर्ष के अधिकांश समय में कच्चे तेल की कीमत कम रही है जिसका असर वार्षिक कमाई में नजर आएगा।' घरेलू स्तर पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस दोनों की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतों की झलक मिलती है। तेल कीमतों में जहां तुरंत उतार चढ़ाव आता रहता है वहीं गैस की कीमतें दो वर्ष पर बदलती हैं। घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस की मौजूदा कीमत 1.79 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट है। इस कीमत को लेकर अन्वेषण कंपनियों का कहना है कि वे घाटा पर बिक्री कर रही हैं।
उन्होंने कहा, 'तेल कीमतों में इस उछाल के और भी रहस्य हैं जैसे कि सऊदी अरब ने उत्पादन में कटौती की है। यदि अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन ईरान पर नरम रुख अपनाता है और प्रतिबंधों को हटा लेता है तो तेल बाजार में फिर से अधिक आपूर्ति हो जाएगी और कीमतों में वापसी नहीं हो पाएगी। 2021 में बहुत सारे भूराजनीतिक उथल पुथल होंगे जिससे तेल बाजार में हलचल जारी रहेगी।'
तेल कीमतों में इस इजाफे का अधिकांश भारतीयों पर यह असर हुआ कि उन्हें अधिक महंगी पेट्रोल और डीजल की खरीद करनी पड़ रही है। प्रमुख स्थानों पर इनकी कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गईं। गुरुवार को नई दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 25 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ। यहां कीमतों में लगातार दूसरे दिन इजाफा हुआ जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल का भाव 84.70 रुपये प्रति लीटर और डीजल का भाव 74.88 रुपये प्रति लीटर हो गया। गुरुवार को मुंबई में पेट्रोल का भाव 91.32 रुपये प्रति लीटर और डीजल का भाव 81.60 रुपये प्रति लीटर रही। दिल्ली और मुंबई में क्रमश: पेट्रोल और डीजल की कीमत ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है।
तेल कंपनियां देश में रोजाना वाहन ईंधन की कीमतों में संशोधन करती हैं।
तेल क्षेत्र के एक विश्लेषक ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'मौजूदा कीमत को अधिकतम स्तर के तौर पर देखा जा रहा है जिसके ऊपर पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं जा सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने पर ज्यादा उम्मीद है कि उत्पाद शुल्क को वापस लेना पड़े। सरकार को इस कटौती की घोषणा के लिए केंद्रीय बजट 2021-22 का इंतजार नहीं करना होगा। इसे पहले, बजट के दौरान या उसके बाद भी किया जा सकता है।'
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