टीका वितरण तंत्र को बनाएंगे विश्वस्तरीय व्यवस्था' | निवेदिता मुखर्जी / January 20, 2021 | | | | |
बीएस बातचीत
देश के कई राज्यों ने टीकाकरण वितरण प्लेटफॉर्म को-विन में तकनीकी खामियों पर चिंता जताई है। कोरोना के टीके के लिए बनी अधिकार प्राप्त तकीनीकी समिति के अध्यक्ष आर एस शर्मा ने को-विन प्रणाली के शुरुआती दिनों में आई समस्याओं, इसके विस्तार, अनुकूल प्रणाली विकसित करने और टीकाकरण के सामने आने वाली चुनौतियों आदि पर निवेदिता मुखर्जी से बातचीत की। संपादित अंश:
कोरोना टीकाकरण के लिए विकसित तकनीकी प्लेटफॉर्म (को-विन) के अध्यक्ष के रूप में आने के बाद कार्य कैसा चल रहा है?
मैं 9 जनवरी को को-विन के लिए बनाए गए नए पैनल में शामिल हुआ। मैंने प्रणाली की समीक्षा की है और सॉफ्टवेयर की मामूली गड़बडिय़ां पाईं, जिन्हें हम ठीक कर रहे हैं। लेकिन हमें सॉफ्टवेयर की मदद से 1.3 अरब लोगों तक पहुंचना है। विश्व में अभी तक किसी ने इस तरह के लक्ष्य को पूरा करने के साथ काम नहीं किया है।
को-विन के साथ पहले तीन दिन में ऐसी क्या गड़बडिय़ां आईं कि कई राज्यों को टीकाकरण ट्रैकिंग एवं वितरण प्रक्रिया को मैनुअल करना पड़ा?
वे मामूली समस्याएं थी। मैं आपको एक उदाहरण देकर इसे समझाता हूं। कुल मिलाकर टीके सीमित हैं... उदाहरण के लिए एक केंद्र में टीकाकरण के लिए 100 लोगों को बुलाया गया लेकिन केवल 20 लोग ही आए। शेष लोगों के न आने के कई कारण हो सकते हैं। सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि अगर 100 को बुलाया गया था,तो वे सभी आएंगे और टीका लेंगे। अगले दिन दूसरी लिस्ट जारी होगी, और इसी तरह आगे यह प्रक्रिया चलेगी। जब ऐसा नहीं हुआ और लोग कम आए, तो प्रणाली में गड़बडिय़ां हुईं। अब हमें उन लोगों को समायोजित करने के लिए सिस्टम को लचीला बनाना होगा,जिनका आज, कल एवं परसों के लिए पंजीकरण हुआ है ... नई प्रणाली रेलवे में रिजर्वेशन कैंसिल एवं पंजीकरण के लिए व्यापक तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली आरएसी प्रणाली की तरह काम करेगी और अगर टीकाकरण के लिए बुलाए गए लोग नहीं आते हैं तो प्रतीक्षा सूची में शामिल लोगों को समायोजित किया जाएगा।
तो, आप प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए क्या कदम उठाएंगे?
हमें इसे नागरिक-केंद्रित बनाना होगा। केवल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के टीकाकरण करने के लिए ही हमें भविष्य में बहुत बड़ी संख्या में टीकाकरण करना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। को-विन के माध्यम से हम एक सिस्टम डिजाइन कर रहे हैं जो स्केलेबल है और साथ ही नागरिक-हितैषी है। स्व-पंजीकरण शुरू किया जाएगा ताकि लोग यह उल्लेख कर सकें कि वे कब एवं घर के नजदीक किस स्थान पर वे टीकाकरण कराना चाहते हैं। आधार संख्या इस प्रक्रिया को प्रमाणित करने में मदद करेगी। अनंतिम या अंतिम टीकाकरण का डिजिटल प्रमाणपत्र, टीकाकरण होने के बाद दिया जाएगा।
और क्या कदम उठाने की जरूरत है?
हम किसी भी जानकारी संबंधी विषमता को समाप्त करने की योजना बना रहे हैं। आरोग्य सेतु ऐप, मोबाइल फोन, हेल्पलाइन या वेब पर कई चैनलों के माध्यम से पंजीकरण किया जा सकता है। फिलहाल स्वास्थ्य एवं पहली पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए काम कर रहे हैं। यह सिस्टम रियल टाइम में डैशबोर्ड एवं सूचना प्रणाली जैसे घटकों को एक साथ जोड़ेगा।
आपकी अध्यक्षता वाले पैनल का व्यापक उद्देश्य क्या है?
हमारी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि एक मजबूत तकनीकी प्लेटफॉर्म विकसित किया जाए, जो पारदर्शी,निगरानी योग्य,नागरिक-अनुकूल हो और इसमें कोई खामी न हो। यही हमारा व्यापक उद्देश्य है और हम इसे सुनिश्चित करेंगे। कुछ चीजें अति-आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, टीकाकरण कार्यक्रम की रियल टाइम रिकॉर्डिंग बहुत अहम है,क्योंकि यह एकमात्र तरीका है जिसकी मदद से हम बाद में लोगों का फॉलोअप ले सकते हैं। इसके अलावा लोगों को खुद का प्रमाणनन करना चाहिए ताकि प्रॉक्सी के लिए कोई जगह न हो। इसलिए,हम इस प्रणाली के लिए एक मजबूत प्रमाणीकरण,वास्तविक समय में घटनाओं की रिकॉर्डिंग एवं प्रमाणपत्र जारी करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
को-विन प्रणाली के तकनीकी पक्ष की जानकारी काफी कम है। कौन कौन इसका मालिक है और कौन इसे संचालित कर रहा है? क्या कोई आईटी कंपनी इसका प्रबंधन कर रही हैं?
हम इसे विकसित कर रहे हैं और रणनीतिक स्वामित्व भारत सरकार के पास है। इसमें सॉफ्टवेयर डेवलपर शामिल हो सकते हैं लेकिन कुल मिलाकर स्वामित्व सरकार के पास है।
सरकार में इसका प्रबंधन कौन करता है? क्या एनआईसी यह कर रही है?
मैंने अब राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और अन्य सरकारी विभागों के कर्मियों के साथ एक समूह बनाया है जो को-विन का स्वामित्व लेंगे।
आप कोविड -19 के वैक्सीन प्रशासन पर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के सदस्य भी हैं। भारत में टीके के प्रति लोगों में संकोच को लेकर आपका क्या विचार है?
टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभाव एवं इसके जोखिम से जुड़े कई गलत समाचार छाए हुए हैं। इससे लोगों के मन में थोड़ा डर पैदा हो गया है। मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से निराधार है। शुरुआती चिंता जल्द ही दूर हो जाएगी और लोग आत्मविश्वास के साथ टीकाकरण के लिए जाएंगे। यह मेरी सोच है। इसमें कोई शक नहीं हैं लेकिन यह मेरी व्यक्तिगत राय है।
क्या सरकार टीके के प्रति जनता में विश्वास पैदा करने के लिए कुछ कर रही है?
सरकार सही जानकारी लोगों तक पहुंचा रही है, जबकि कुछ लोग टीके के खिलाफ यह कहते हुए अभियान चला रहे हैं कि टीका सुरक्षित नहीं है।
को-वैक्सीन बनाम कोविशील्ड की बहस पर आपका क्या कहना है?
यह मेरे क्षेत्र विशेष से परे है। चिकित्सक पहले ही कह चुके हैं कि दोनों टीके बिल्कुल सुरक्षित हैं।
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