सीरम ने फिर उठाया मुद्दा! | सोहिनी दास / मुंबई January 19, 2021 | | | | |
देश भर में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं के मामलों के बीच पता चला है कि पुणे स्थित टीका विनिर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने फिर से स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने मुआवजा सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।
इस घटनाक्रम के करीबी सूत्र ने कहा कि इस सप्ताह स्वास्थ्य मंत्रालय में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में टीका विनिर्माता ने सरकार के सामने दोबारा क्षतिपूर्ति का मसला उठाया है।
अलबत्ता एसआईआई ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की। टीकाकरण के बाद देश में प्रतिकूल घटनाओं की खबरें आ रही हैं, हालांकि अब तक टीके से कोई संबंध सिद्ध नहीं किया गया है।
एसआईआई के मुख्य कार्याधिकारी अदार पूनावाला पहले इस बात का संकेत दे चुके हैं कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि टीकाकरण अभियान आसानी से पूरा किया जा सके, इसके लिए कानूनी मुआवजे की आवश्यकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान पूनावाला, जो भारतीय टीका विनिर्माता संघ के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा था कि इस वैश्विक महामारी की अवधि के दौरान मुआवजे की शर्त से यह सुनिश्चित होगा कि अगर कोई निषेधाज्ञा होती है, तो टीकाकरण अभियान नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई निषेधाज्ञा होती है और अदालत यह कहती है कि लंबित जांच तक किसी को भी कोई टीका नहीं दिया जाएगा, तो बहुत-सी जिंदगियों पर असर पड़ेगा। यह कंपनी के आर्थिक नुकसान की बात नहीं है। पूरा सरकारी कार्यक्रम भी रुक जाएगा। ऐसी स्थिति से बचने के लिए कुछ अति उच्च स्तर वाली संवैधानिक शक्तियों को आमंत्रित करना होगा। हमारे इतिहास में कभी भी यह परीक्षण नहीं किया गया है।
कानूनी विशेषज्ञों को लगता है कि केंद्र सरकार द्वारा टीका विनिर्माताओं को मुआवजा दिए जाने की संभावना नहीं है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) का विशेषज्ञ समूह भी इन प्रतिकूल घटनाओं और टीका विनिर्माताओं द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट (विश्लेषण) की समीक्षा करेगा। किसी भी प्रतिकूल घटना और टीके के बीच कोई संबंध सिद्ध होने के मामले में ही मुआवजे का मुद्दा सीडीएससीओ द्वारा उठाया जाएगा। दोनों ही टीकों को नए औषधि और क्लीनिकल परीक्षण नियम, 2019 के तहत अनुमति प्रदान की गई है, जो ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के अंतर्गत आता है। इस अधिनियम में ऐसी किसी भी गंभीर प्रतिकूल घटना के मामले में उक्त व्यक्ति को मुआवजे का प्रावधान है जिसका संबंध जांच किए जाने वाले उत्पाद से हो।
एसआईआई का कोविशील्ड और भारत बायोटेक का कोवैक्सीन वे दो टीके हैं जो स्वास्थ्य कर्मियों को दिए जा रहे हैं। दोनों कंपनियों ने ऐसे प्रतिकूल प्रभाव की सूची तैयार की है जो टीकाकरण के बाद हो सकते हैं और किन लोगों को टीका लेने से बचना चाहिए।
एसआईआई केंद्र सरकार को पहले ही 1.1 करोड़ खुराक की आपूर्ति कर चुकी है और उसके पास पांच से छह करोड़ से अधिक खुराकों का स्टॉक है। इसमें से तकरीबन 50 फीसदी भारत के लिए होगा, जबकि बाकी स्टॉक को यह गेवी-कोवाक्स और अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल जैसे अन्य देशों को निर्यात करेगी।
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