मांग को लेकर आशंका दूर होने से बढ़ीं तेल की कीमतें | रॉयटर्स / सिंगापुर January 19, 2021 | | | | |
मंगलवार को तेल की कीमतें इस आशावाद में बढ़ी कि सरकारी प्रोत्साहन से वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ेगी और कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर दोबारा हुए लॉकडाउन से तेल की मांग पर असर को लेकर चिंता भी दूर हो जाएगी।
मार्च का ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 55 सेंट यानी 1 फीसदी चढ़कर 55.30 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जबकि एक कारोबारी सत्र पहले यह 35 सेंट फिसल गया था। अमेरिका में वेस्ट टैक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 16 सेंट चढ़कर 52.52 डॉलर प्रति बैरल पर रहा। सार्वजनिक अवकाश के कारण सोमवार को अमेरिकी बाजारों में सेटलमेंट नहीं हुआ। फरवरी का डब्ल्यूटीआई फ्यूचर बुधवार को एक्सपायर हो रहा है।
दुनिया में कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक चीन में मांग को लेकर निवेशक उत्साहित हैं। सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चला है कि रिफाइनरी का उत्पादन 3 फीसदी बढ़कर साल 2020 में नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। चीन एकमात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था रही, जहां पिछले साल गिरावट नहीं आई क्योंकि कई देश कोविड महामारी पर लगाम कसने की चुनौती का सामना कर रहे थे।
सिडनी मेंं सीएमसी मार्केट्स के मुख्य रणनीतिकार माइकल मैकार्थी ने कहा, सोमवार को चीन मेंं जारी आंकड़े तेल की कीमतों के लिए सकारात्मक रहे।
निवेशकों की नजर अब बुधवार को अमेरिका के नए राष्ट्रपति की तरफ से दिए जाने वाले भाषण पर है, जहां देश के 1.9 लाख करोड़ डॉलर वाले पैकेज पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। एक वरिष्ठ
तेल की कीमतों को सऊदी अरब की तरफ से अगले दो महीने में होने वाली तेल की अतिरिक्त आपूर्ति में कटौती से सहारा मिला है, जिससे पहली तिमाही में वैश्विक तेल इन्वेंट्री 11 लाख बैरल रोजाना की कमी आ सकती है। एएनजेड के विश्लेषकों ने यह जानकारी दी।
वैश्विक स्तर पर कोविड के बढ़ते मामले और फिर से हो रहे लॉकडाउन का तेल की मांग पर असर पड़ा और इससे कीमतें नहीं बढ़ पाई। एएनजेड के विश्लेषकों ने जनवरी से दिसंबर में तेल की बिक्री में गिरावट को लेकर चिंता दूर की और चीन व जापान में कोविड के मामलों को लेकर भी, जिसका असर तेल की मांग पर पड़ सकता था।
बैंक ने कहा कि यूरोप व अमेरिका में वैक्सीन लगाने के काम में सुस्ती भी इस बात की चिंता बढ़ा रही है कि तेल की मांग में सुधार को लेकर मुश्किल बना रहेगा।
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