अनेक कंपनियां कोविड-19 टीके हासिल करने की कड़ी कोशिश कर रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि कर्मचारियों के टीकाकरण से उन्हें फिर से पूरी क्षमता पर विनिर्माण शुरू करने में मदद मिलेगी। कंपनियों के प्रमुख सरकार से कह रहे हैं कि उनके कर्मचारियों को टीका मिलने में प्राथमिकता दी जाए। उनका तर्क है कि अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए उनके कर्मचारियों की जरूरत है या उनके वायरस से संक्रमित होने का ज्यादा जोखिम है। उनमें से कुछ ने कर्मचारियों के लिए टीके खरीदने की खातिर टीका विनिर्माताओं से पूछताछ शुरू कर दी है।
मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भागर्ïव ने कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि सरकार उन विनिर्माण कामगारों को टीके के लिए वरीयता देगी, जो अर्थव्यवस्था का आवश्यक हिस्सा हैं। हालांकि यह टीके के उत्पादन की मात्रा पर भी निर्भर करता है। हमने कंपनी में यह चर्चा शुरू कर दी है कि कैसे लॉजिस्टिक्स का इंतजाम किया जाए ताकि जब यह उद्योग के लिए उपलब्ध हो तो हम अपने कर्मचारियों के लिए टीके खरीद सकें और लगवा सकें।' कंपनी के तीन विनिर्माण संयंत्र हैं, जिनमें करीब 16,000 लोग काम करते हैं।
विमानन कंपनी इंडिगो ने अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को टीके में प्राथमिकता देने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क किया है। कंपनी ने अपने इस आग्रह को मंजूरी मिलने पर हजारों पायलटों, केबिन क्रू और हवाई अड्डा कर्मचारियों का टीकाकरण कराने की योजना बनाई है। कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रमुख (एचआर) राज राघवन ने कहा, 'जब टीके उपलब्ध होंगे तो हमें अपने कर्मचारियों के लिए टीक खरीदने और लगवाने में बड़ी खुशी होगी। हमारा मानना है कि स्वास्थ्य कर्मियों की तरह विमानन कर्मचारी भी अंग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं, जो देश के लोगों को आपस में जोडऩे की प्रक्रिया में मदद दे रहे हैं।'
सरकार ने देश में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से शुरू कर दिया है। हालांकि शुरू में स्वास्थ्य और अंग्रिम पंक्ति के पेशेवरों के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन उससे पहले बाजार खुदरा एवं संस्थागत बिक्री के लिए खुलने की संभावना है। इसे मद्देनजर रखते हुए आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील (एएमएनएस), जेएसडब्ल्यू समूह जैसी इस्पात कंपनियां और आईटीसी जैसी दिग्गज एफएमसीजी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए टीके खरीदने की खातिर टीका विनिर्माताओं से संपर्क किया है। आईटीसी के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमने टीका विनिमाताओं से संपर्क किया है और हम शुरुआती पूछताछ कर रहे हैं। निश्चित रूप से आईटीसी अपने कर्मचारियों को टीका लगवाना चाहेगी। यह टीका व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होगा तो हमने इसे खरीदने की योजना बनाई है। विनिर्माण, बिक्री या आतिथ्य से जुड़े सभी कामगारों और प्रबंधकों को टीके लगाने में प्राथमिकता देने की जरूरत है ताकि देश और समूह के हित में आर्थिक गतिविधियों को जारी रखा जा सके।'
एएमएनएस के सीईओ दिलीप उम्मेेन ने कहा, 'जब टीके कॉरपोरेट घरानों के लिए उपलब्ध होंगे, तब हम निश्चित रूप से प्राथमिकता के आधार पर खरीदेंगे और सभी कर्मचारियों को निशुल्क मुहैया कराएंगे।' एएमएनएस में 13,000 से अधिक कर्मचारी हैं।
टाटा स्टील ने कहा कि जब टीके वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध होंगे तो वह अपने कर्मचारियों का टीकाकरण कराएगी। जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी पंकज लोचन ने कहा, 'हम बड़ी मात्रा में खुराकों की आपूर्ति के लिए टीका विनिर्माताओं से संपर्क कर रहे हैं। हम अग्रिम पंक्ति के सभी कोविड योद्धाओं का टीकाकरण पूरा होने के बाद ये खुराक खरीदने की कोशिश करेंगे।'
अरबपति आनंद महिंद्रा की अगुआई वाले महिंद्रा समूह ने कहा कि वह सरकार द्वारा तय प्राथमिकता और क्रम के मुताबिक अपने कर्मचारियों के लिए टीके खरीदना चाहता है। दिग्गज उपभोक्ता उत्पाद कंपनी यूनिलीवर ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह अपने कर्मचारियों को जल्द से जल्द टीके लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसने कहा था कि वह गरीब देशों में लोगों के लिए टीके खरीद सकती है।
बेंगलूरु एयरपोर्ट के एमडी और सीईओ हरि मरार ने कहा कि कंपनी ने कहा कि कंपनी ने हवाई अड्डा परिसरों में टीकाकरण केंद्र स्थापित करने के लिए कर्नाटक सरकार से संपर्क किया है ताकि वे टीके लगवा सकें। कुछ कंपनियों ने कहा कि वे कर्मचारियों को टीके लगवाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाएंगी। पार्ले के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा, 'हम अपने कर्मचारियों को टीके नहीं लगाएंगे। लेकिन निश्चित रूप से जागरूकता अभियान चलाएंगे और जब टीके सभी के लिए उपलब्ध होंगे तो कर्मचारियों को नजदीकी टीकाकरण केंद्रों पर टीके लगवाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।'
उद्योग के लॉबी समूहों सरकार से संपर्क कर कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की धनराशि का इस्तेमाल अपने कर्मचारियों के टीकाकरण पर करने की मंजूरी दी जाए। यह प्रस्ताव भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की तरफ से आया है। जिन कंपनियों की संपत्ति 500 करोड़ रुपये है या राजस्व 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है या शुद्ध लाभ पांच करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें पिछले तीन साल के औसत लाभ का दो फीसदी हिस्सा सीएसआर कार्यक्रम के लिए अलग रखना पड़ता है। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि कंपनियां कोविड-19 को नियंत्रित करने पर खर्च को अपने सीएसआर खर्च के रूप में वर्गीकृत कर सकती हैं। मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि कंपनियों द्वारा टीकाकरण कार्यक्रम के लिए चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान पर खर्च को उनके सीएसआर खर्च में शामिल किया जाएगा।
(साथ में रायटर्स)