केंद्रीय बजट के आने में अब एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है, इस बीच गैर-जीवन बीमाकर्ताओं ने सरकार को आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को बढ़ाने का सुझाव दिया है। उन्होंने यह सुझाव इसलिए दिया है कि लोगों को व्यापक स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए अधिक प्रोत्साहित किया जा सके और उन्होंने आवास बीमा लेने वालों के लिए कर लाभ देने का सुझाव दिया है।
80डी धारा के तहत 60 साल से कम के व्यक्ति को स्वास्थ्य बीमा पर 25,000 रुपये तक का कर छूट मिलता है। वहीं 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति के लिए यह रकम 50,000 रुपये तक है। इसमें यह भी कहा गया है कि व्यक्ति अपने माता पिता के स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम भरने पर भी 25,000 रुपये तक कर छूट का दावा कर सकता है। यदि माता पिता वरिष्ठï नागरिक हैं तो वैसे मामले में कर छूट का दावा 50,000 रुपये तक किया जा सकता है।
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के ईडी और मुख्य कार्याधिकारी राकेश जैन ने कहा, 'हमने देखा है कि विगत कुछ महीने में कोविड-19 ने स्वास्थ्य देखभाल उद्योग की सूरत को बदल दिया है। 80डी में सीमा को बढ़ाने के साथ साथ वरिष्ठï नागरिकों के लिए सीमा बढ़ाने से अधिक से अधिक लोगों को व्यापक स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।'
इफको टोकिया जनरल इंश्योरेंस की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अनामिका रॉय राष्ट्रवार ने कहा, 'व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा के लिए चुकाई जानी वाली प्रीमियम की समूची राशि को आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत व्यक्ति की कुल आमदनी से छूट मिलनी चाहिए।' देश में स्वास्थ्य बीमा को लेकर जागरूकता में महामारी के बाद से सुधार हुआ है जो स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के आंकड़ों से भी झलकता है। कोविड को लेकर डर में कमी आने के बाद उस उत्साह में काफी कमी आई है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि खुदरा स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से निकट भविष्य में स्वास्थ्य उत्पादों की मांग को बरकरार रखने में मदद मिलेगी।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी तपन सिंघल ने कहा, 'व्यक्ति के लिए प्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर मुझे लगता है कि सरकार को आवास बीमा लेने वाले लोगों को कर में छूट मुहैया करना चाहिए। इस तरह से ऐसे समय पर जब प्राकृतिक आपदा के मामलों में इजाफा हो रहा है और जिसका शिकार होने पर व्यक्ति बेघर हो जाता है, लोगों को इसके लिए अति आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा। इसके लिए अलग से छूट की सीमा दी जा सकती है जो पहले से 80सी के तहत दी जा रही छूटों से अलग होगी।'
आवास बीमा पॉलिसी में व्यक्ति के घर को कवर किया जाता है जिसमें न टाले जा सकने वाले विपदाओं, दंगों, आतंकी गतिविधियों और इसी प्रकार के अन्य मानव निर्मित आपदाओं तथा प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले भौतिक नुकसान की भरपाई की जाती है। जैन ने कहा, 'आवास बीमा की स्थिति अभी भी देश में नगण्य है क्योंकि लोग अभी भी बाढ़, तूफान आदि जैसे प्राकृतिक आपदाओं से अपनी संपत्ति को सुरक्षित करने की जरूरत नहीं समझते हैं। जबकि पिछले कुछ वर्षों से आपदा आने की बारंबारता बढ़ गई है। 80सी के तहत कर लाभ को जोडऩे से लोगों को अपने मूल्यवान घर को बीमा के दायरे में लाने का प्रोत्साहन मिलेगा।'