दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि अगर उपयोगकर्ताओं को लगता है कि व्हाट्सऐप उनकी जानकारी का दुरुपयोग करेगा तो वे इस ऐप को डिलीट कर सकते हैं। फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप की नई निजता नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह कहा। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा, 'यह निजी ऐप है। इसका हिस्सा मत बनिए। आपकी शिकायत क्या है? मैं आपकी चिंता समझ नहीं पा रहा हूं। अगर आपको लगता है कि व्हाट्सऐप आपसे जुड़ी जानकारी का दुरुपयोग करेगा तो ऐप डिलीट कर दें।'
पेशे से वकील चैतन्य रोहिला ने व्हाट्सऐप की नई निजता नीति के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप भारतीय संविधान के तहत प्रदत्त निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिका में अदालत से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपनी शक्तियां इस्तेमाल करने के निर्देश दिए जाएं तथा सुनिश्चित किया जाए कि व्हाट्सऐप अपने उपयोगकर्ताओं की कोई भी जानकारी तीसरे पक्ष या फेसबुक तथा अपनी अन्य कंपनियों के साथ साझा नहीं करे। इस पर अदालत ने कहा कि व्हाट्सऐप ही नहीं तमाम दूसरे ऐप्स भी ऐसा ही करते हैं। उन्होंने गूगल मैप्स का उदाहरण देते हुए कहा कि वह भी जानकारी साझा करता है। उन्होंने मामले पर विचार-विमर्श की जरूरत बताते हुए सुनवाई की अगली तारीख 25 जनवरी मुकर्रर कर दी। केंद्र सरकार ने भी मामले के विश्लेषण की आवश्यकता पर सहमति जताई।