भारत में निवेश में रुचि रखने वाले विदेशी निवेशकों के प्रस्तावों को सरकार जल्द मंजूरी देने की व्यवस्था तैयार करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार रणनीतिक लिहाज से महत्त्वपूर्ण निवेशकों के निवेश प्रस्तावों के लिए अलग से त्वरित व्यवस्था स्थापित करने पर विचार हो रहा है। इनमें सॉवरिन वेल्थ और पेंशन फंड आदि होंगे जो एक बार में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करना चाहते हैं। सरकार इस संबंध में आगामी 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में घोषणा कर सकती है। इस व्यवस्था के तहत विदेशी फंडों को आवेदन के तीन दिनों के अंदर ही सरकार से प्रतिक्रिया मिल जाएगी, जिससे उनके प्रस्ताव तेजी से आगे बढ़ पाएंगे। इसके साथ ही यह व्यवस्था निवेशकों और विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय एवं संपर्क सूत्र के तौर पर भी काम करेगी। इससे यह आसानी होगी कि विदेशी फंड किसी भी स्तर पर विचाराधीन प्रस्ताव का मुद्दा इसी व्यवस्था के तहत संबंधित क्षेत्र के नियामक, मंत्रायलों या विभाग के साथ उठा सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाला आर्थिक मामलों का विभाग हरेक पखवाड़े में ऐसे प्रस्तावों की समीक्षा करेगा। इससे किसी वजह से लंबित किसी मुद्दे के समाधान में भी मदद मिलेगी। फिलहाल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को सरकार से मंजूरी मिलने में 1 से 3 महीने तक का समय लग जाता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि संबंधित प्रस्ताव किस क्षेत्र के लिए है। इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा कि अगर त्वरित मंजूरी व्यवस्था अमल में लाई जाती है तो इससे सरकार से अनुमति मिलने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा। अधिकारी ने कहा, 'विदेशी निवेशकों के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देने और कम से कम समय में सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर ही है। अमूमन विदेशी निवेशकों के प्रस्तावों को सरकार से हरी झंडी मिलने में काफी समय लग जाता है। इन उपायों में कुछ खास आकार के निवेश प्रस्तावों को त्वरित मंजूरी देना शामिल है।' अधिकारी ने कहा कि सरकार एफडीआई नीति उदार बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इसकी घोषणा की जाएगी। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा कि कम से कम समय में निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देने की विशेष व्यवस्था होने से सॉवरिन एवं पेंशन फंडों को काफी आसानी होगी और उनके लिए भारत में निवेश करना आसान हो जाएगा। गांधी ने कहा, 'सरकार को अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश पर स्पष्टïता और दूसरी खरीदारी के मामले से जुड़ी शर्तों में ढील देनी चाहिए। सरकार को इन फंडों को होल्डिंग कंपनियों के जरिये निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार इस मामले पर भी तस्वीर साफ कर सकती है कि प्राइवेट इक्विटी और म्युचुअल फंडों के लिए ये सुविधाएं होंगी या नहीं।'
