घरेलू व विदेशी कंपनियों पर समान हो कर : यूकेआईबीसी | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली January 15, 2021 | | | | |
ब्रिटेन-भारत उद्यम परिषद (यूकेआईबीसी) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध किया है कि आगामी बजट में विदेशी और घरेलू कंपनियों पर लगने वाले कॉर्पोरेट कर की दरों में समानता लाई जानी चाहिए और आयकर अधिनियम से पूर्वव्यापी संशोधन हटाया जाना चाहिए।
घरेलू कंपनियों पर कॉर्पोरेट कर की दरें कम किए जाने और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) खत्म किए जाने से विदेशी कंपनियों पर जहां प्रभावी कर की दरें 43.68 प्रतिशत हैं, वहीं घरेलू कंपनियों पर 25.17 प्रतिशत कर लगता है। वित्त मंत्री को आगामी बजट के लिए भेजी गई सिफारिशों में यूकेआईबीसी ने कहा है, 'वैश्विक रूप से सामान्य नियम यह है कि एक ही उद्योग में हर तरह की कंपनियों पर कर की दरों में समानता होनी चाहिए।' इसमें भारत को छोड़कर बीआरआईसी देशों, ओईसीडी देशों (ब्रिटेन, जापान, आदि) के साथ हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर का हवाला देते हुए कहा गया है कि इन देशों में घरेलू और विदेशी कंपनियों के कर ढांचे में अंतर सांकेतिक हैं।
यूकेआईबीसी के ग्रुप सीईओ जयंत कृष्णा ने कहा, 'डीडीटी को समाप्त करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इस बात का सुझाव दिया जाता है कि विदेशी कंपनियों की घरेलू शाखाओं के लिए कर की दरों को कम कर घरेलू कंपनियों के समतुल्य किया जाए।' कृष्णा ने कहा कि नियामकीय व व्यावसायिक कारणों से विदेशी बैंक भारत में सामान्यत: शाखा के जरिये काम करते हैं। ऐसी शाखाओं के लिए कॉरपोरेट कर की दरें कम करने से उन्हें घरेलू बैंकों की तुलना में समान अवसर मिलेंगे। इससे उन विदेशी निकायों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो शाखा के जरिये भारत में निवेश करना चाहते हैं।'
यूकेआईबीसी के ग्रुप चेयरपर्सन रिचर्ड हील्ड ने बजट की घोषणाओं के माध्यम से भारत सरकार से आर्थिक सुधारों की गति बढ़ाने का आग्रह किया।
इनके अलावा यूकेआईबीसी ने रक्षा क्षेत्र का आवंटन बढ़ाने, स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने, बीमा में एफडीआई की सीमा बढ़ाने, शिक्षा व कौशल विकास पर सरकारी खर्च अधिक करने, स्वास्थ्य पर व्यय तेज करने जैसे अन्य सुझाव भी दिए हैं।
|