दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने आज उस याचिका की सुनवाई से खुद को दूर कर लिया, जिसमें दिग्गज मैसेजिंग कंपनी व्हाट्सऐप की निजता नीति में बदलाव को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति सिंह ने एक संक्षिप्त सुनवाई में व्हाट्सऐप की तरफ से अदालत को भेजे गए एक ईमेल का जिक्र किया। उन्होंने ईमेल पर आपत्ति जताई और खुद को मामले से अलग कर लिया। विधि मंच बार ऐंड बेंच के मुताबिक यह माना जा रहा है कि ईमेल में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सिंह जब वकील थीं, तब वह एक संबंधित मामले में पेश हुई थीं। बाद में व्हाट्सऐप ने बिना शर्त ईमेल वापस ले लिया, लेकिन न्यायमूर्ति सिंह ने मामले की सुनवाई नहींं करने का फैसला लिया। बार ऐंड बेंच के मुताबिक न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, 'मैं इस मामले की सुनवाई नहीं करने जा रही हूं। मैं किसी भी स्थिति में सुनवाई नहीं करूंगी।' अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने न्यायाधीश से आग्रह किया कि वे खुद को सुनवाई से अलग नहीं करें। उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए उनसे बेहतर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता है और यह कानून का बहुत महत्त्वपूर्ण सवाल है। लेकिन न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि वह इसे दूसरे न्यायाधीश के पास भेज रही हैं। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले को किसी एकल न्यायाधीश के पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। न्यायामूर्ति सिंह ने आदेश दिया कि इस मामले को अन्य एकल न्यायाधीश के पीठ के पास भेजा जाए, लेकिन यह मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि यह मामला एक जनहित याचिका के रूप में माना जाए। अब इस मामले की सुनवाई दूसरा कोई पीठ सोमवार, 18 जनवरी, 2021 को करेगा। वकील चैतन्य रोहिला की तरफ से दायर याचिका में दावा किया गया है कि व्हाट्सऐप की नई निजता नीति भारतीय संविधान के भाग तीन में दिए गए निजता के अधिकार का पूरी तरह से उल्लंघन करती है। टेक्नोलॉजी लॉ फर्म टेकलेजिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के प्रबंध साझेदार सलमान वारिस ने कहा, 'याची का मुख्य दावा यह है कि नई नीति में उपयोगकर्ता से फेसबुक के स्वामित्व वाले अन्य ऐप या तीसरे पक्ष के ऐप के साथ डेटा साझा नहीं करने का विकल्प छीन लिया गया है।' याचिका में यह भी कहा गया है कि इस बारे में भी कोई स्पष्टता नहीं है कि किस हद तक डेटा साझा किया जाएगा। इससे ये सवाल पैदा होते हैं कि उपयोगकर्ताओं के संवेदनशील डेटा का क्या किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि नए नियमों एवं शर्तों के तहत व्हाट्सऐप लेनदेन का डेटा, मोबाइल डिवाइस की सूचना, आईपी एड्रेस और अन्य डेटा साझा करेगी। वारिस ने कहा, 'याची ने आरोप लगाया है कि व्हाट्सऐप ने भारत में सार्वजनिक कार्य करते हुए हमारे निजता के मौलिक अधिकार का मजाक बना दिया है। इसके अलावा उपयोगकर्ताओं की सूचनाओं को साझा करके, भेजकर और अन्य देशों में भंडारित कर राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में डाल रही है।' उन्होंने कहा, 'इस घोर उल्लंघन को रोकने के लिए याची ने आग्रह किया कि केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों के इस्तेमाल का निर्देश दिया जाए।'
