इंडियाबुल्स में आएंगे निवेशक | हंसिनी कार्तिक / मुंबई January 14, 2021 | | | | |
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस ने नए निवेशकों को लाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार फिलहाल कुछ प्राइवेट इक्विटी (पीई) निवेशकों से बातचीत चल रही है। इस सौदे का आकार 2,000 करोड़ रुपये आंका जा रहा है। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि इंडियाबुल्स ने दो निवेशकों से बातचीत शुरू कर दी है। इनमें अपोलो ग्लोबल, टीपीजी और ब्रुकफील्ड ने 15 से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। इस बारे में एक सूत्र ने कहा, 'नियम-शर्तों पर फिलहाल चर्चा चल रही है और सौदे को अंतिम रूप देने के लिए वित्तीय आंकड़ों और अन्य तथ्यों की जांच अप्रैल में गति पकड़ सकता है।'
कुछ शर्तों में एक शर्त यह भी होगी कि इंडियाबुल्स हाउसिंग को थोक ऋण आवंटन कम करना होगा, जो इस समय इसके कुल ऋण खाते 73,000 करोड़ रुपये का करीब 30 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष अप्रैल से कंपनी ने थोक ऋण का आकार 5,000 करोड़ रुपये कम कर लिया है। हाल में ही कंपनी ने ओकट्री कैपिटल के साथ 1,000 करोड़ रुपये का सौदा किया है और समझा जा रहा है कि आने वाले सप्ताह में थोक ऋण का आकार 5,00 से 1,000 करोड़ रुपये और कम हो जाएगा। मौजूदा निवेशक इंडियाबुल्स हाउसिंग में अकेले सबसे बड़े शेयरधारक बन जाएंगे। वे कंपनी के निदेशक मंडल की कम से कम दो तीन बैठकों में उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं और रोजमर्रा के कामकाज में भी भाग ले रहे हैं। इंडियाबुल्स हाउसिंग में प्रबंधन में बदलाव के बाद ऐसा समझा जा रहा है कि कंपनी के प्रवर्तक समीर गहलोत अपनी हिस्सेदारी को साधारण शेयर के तौर पर वर्गीकृत कर देंगे।
इंडियाबुल्स वेंचर्स में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालने के लिए गहलोत ने हाल में ही इंडियाबुल्स हाउिसंग के कार्यकारी चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया है। सितंबर 2020 तक इंडियाबुल्स फाइनैंस में गहलोत की 21.7 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। 8 दिसंबर को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने एक पत्र लिखकर समीर गहलोत आईबीएच ट्रस्ट को खुली पेशकश लाने की छूट दे दी थी। इससे पहले समीर गहलोत आईबीएच ट्रस्ट ने इंडियाबुल्स फाइनैंस के शेयरों का अधिग्रहण करने का प्रस्ताव दिया था।
सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तक पद से हटने के बाद भी गहलोत इन स्तरों पर अपनी हिस्सेदारी बरकरार रख सकते हैं। हाल में ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा को इंडियाबुल्स हाउसिंग में गैर-कार्यकारी चेयरमैन के रूप में प्रोन्नति दी गई है। बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी दीनबंधु महापात्र स्वतंत्र निदेशक बनाए गए हैं। गहलोत इस समय कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक हैं। समाचार लिखे जाने तक इंडियाबुल्स हाउसिंग को भेजे ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया।
अगस्त 2019 में जब लक्ष्मी विलास बैंक के साथ विलय की बात चल रही थी तो उस समय गहलोत ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम करने की पेशकश की थी। गहलोत ने कंपनी के प्रवर्तक के तौर पर अपना ओहदा भी छोडऩे की बात कही थी। इस तरह, प्रवर्तक का पद छोडऩे के बाद गहलोत वे सभी सुविधाएं नहीं मांगेंगे जो आम तौर पर प्रवर्तकों को मिलती है। इनमें इंडियाबुल्स हाउसिंग बोर्ड में प्रतिनिधि रखने की सुविधा भी शामिल है।
पिछले वर्ष नवंबर में सेबी ने प्रवर्तकों को सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में परिभाषित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम शेयरधारिता मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि इस संबंध में अब तक अंतिम दिशानिर्देश नहीं आए हैं।
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