खनन क्षेत्र में खुले निजी कंपनियों के निवेश के द्वार | श्रेया जय / नई दिल्ली January 13, 2021 | | | | |
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खनिज खदान क्षेत्र के सुधार पैकेज को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत तीन मौजूदा कानूनों में संशोधन, खनिजों के मूल्य निर्धारण का तरीका, खदानों का अन्वेषण और खनन पर लगने वाले कुछ कर और शुल्क से जुड़े मामले शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि इससे इस क्षेत्र में उत्पादन और निजी निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
केंद्र ने कैप्टिव (निजी इस्तेमाल) खदान और मर्चेंट (वाणिज्यिक बिक्री) खदान के बीच अंतर खत्म कर दिया है। केंद्र सरकार इन सुधारों को लागू करने के लिए खदान एवं खनिज (नियमन एवं विकास) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआरए) में संशोधन करेगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि संशोधित एमएमडीआरए संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
प्रस्तावित सुधारों के तहत कैप्टिव खदानों को एक साल में निकाले गए खनिज का 50 प्रतिशत बेचने की अनुमति होगी। केंद्र सरकार ने यह भी प्रस्ताव किया है कि निर्धारित उत्पादन तिथि से पहले उत्पादन और लदान वाले खनिजों पर उल्लेख किए गए राजस्व शेयर में 50 प्रतिशत होगी।
केंद्र ने एमएमडीआरए की धारा 10 ए (2) (बी) और 10 ए (2) (सी) में संशोधन का प्रस्ताव किया है, जिससे ज्यादा खदानों को नीलामी के लिए खोला जा सके। इससे केंद्र सरकार लंबित खदान पट्टों की नीलामी कर सकेगी। धारा 10 ए (2) (बी) उन पट्टों से जुड़ी है, जिसके तहत टोही परमिट (आरपी) या पूर्वेक्षण लाइसेंस (पीएल) दिया जाता है और 10 ए (2) (सी) खनन पट्टे (एमएल) से संबंधित है।
केंद्र सरकार ने उन खनिज कंसेशंस पर मुआवजा देने की योजना बना रही है, जो इस संशोधन के तहत निरस्त होंगे। मुआवजा नैशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (एनएमईटी) से दिया जाएगा। एनएमईटी को सालाना खनिज खदान मालिकों से मिलने वाले वाले रॉयल्टी से सालाना 800 करोड़ रुपये मिलते हैं। केंद्र सराकर ने एनएमईटी को स्वायत्त संस्था बनाने का भी प्रस्ताव किया है, जिससे अन्वेषण को बढ़ावा मिले।
निजी कंपनियों को कोयले के वाणिज्यिक खनन और बिक्री के लिए कोयले की खदाने दिए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने नीलामी के माध्यम से 19 खदानों का आवंटन कई कंपनियों को किया है। इसके साथ ही सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का 42 साल का एकाधिकार खत्म हो गया है, जब खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। केंद्र ने मई 2020 में कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया था, जिससे गैर खनन, एमएसएमई और विदेशी कंपनियों के लिए कोयले की नीलामी की राह खुल सके। इस अखबार ने हाल ही में खबर दी थी कि केंद्र सरकार जल्द ही खनिज खदान क्षेत्र को भी इसी तरह से खोलेगी और एमएमडीआरए अधिनियम में संशोधन किया जाएगा।
नवंबर में केंद्रीय कोयला, खनन एवं संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस समाचार पत्र से बातचीत में कहा था, 'हमने कोयला क्षेत्र में सुधार किया है और चाहते हैं कि इसका विस्तार खनन क्षेत्र में किया जाए। लेकिन गैर कोयला खनिजों के मामले में इसे लागू करने व नीलामी का काम राज्यों से जुड़ा है। 40-45 दिनों में हम एक और खनिज सुधार पेश करेंगे।'
बहरहाल फेडरेशन आफ इंडियन मिनरल्स इंडस्ट्रीज (फिमी) ने हाल में एक नोट में सरकार से कहा था कि खनिजो के खनन की नीलामी नीति की समीक्षा की जानी चाहिए। फिमी के सेक्रेटरी जनरल आरके शर्मा ने कहा, 'नीलामी सेन तो जनहित हो रहा है और न संसाधनों का उचित आवंटन हो रहा है। पूरा ध्यान राज्यों के राजस्व को बढ़ाने पर केंद्रित है, जिसका असर देश में खनिज विकास की दीर्घावधि रणनीति पर पड़ेगा।'
खनन सुधार के तहरत केंद्र सरकार भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 में भी संशोधन करेगी, जिससे स्टांप शुल्क की गणना करते समय हर राज्य में एकरूपता आ सके। एक अधिकारी ने कहा, 'भारत में खनन पर प्रभावी कर दर (ईटीआर) 64 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। अन्य देशों में 34 से 38 प्रतिशत कर लगता है। इसी तरह का एक कर स्टांप शुल्क है, जिसकी गणना अलग अलग राज्यों में अलग तरीके से होती है। हम इसे सरल करेंगे।'
खनन क्षेत्र में दोहरे कराधान के मसले के समाधान के लिए समिति का भी गठन किया जाएगा।
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