ऐप के जरिये कर्ज पर कार्य समूह गठित | सुब्रत पांडा और अभिजित लेले / मुंबई January 13, 2021 | | | | |
डिजिटल ऋण यानी ऐप के जरिये कर्ज में धोखाधड़ी के बढ़ते मामले देखकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक कार्य समूह का गठन किया है, जो इस तरह का कर्ज देने वाली विनियमित और अविनियमित फर्मों की गतिविधियों का अध्ययन करेगा। यह समूह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल के जरिये ऋण देने वालों एवं डिजिटल ऋण के लिए बेहतर नियामकीय प्रारूप के बारे में सुझाव भी देगा।
आरबीआई ने आज एक बयान में कहा, 'हाल में ऑनलाइल ऋण प्लेटफॉर्म/मोबाइल ऋण ऐप की बढ़ती लोकप्रियता ने गंभीर चिंता पैदा की है, जिसके व्यापक व्यवस्थागत प्रभाव हो सकते हैं।'
समूह में चार आरबीआई के चार आंतरिक सदस्य और दो बाहरी सदस्य हैं तथा यह तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दे सकता है। रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक जयंत कुमार दास इस समूह के चेयरमैन होंगे। आतंरिक सदस्यों में पर्यवेक्षण विभाग के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक अजय कुमार चौधरी, भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग के मुख्य महाप्रबंधक पी वासुदेवन और नियमन विभाग के मुख्य महाप्रबंधक मनोरंजन मिश्र शामिल हैं। मिश्र समूह के सचिव सदस्य की जिम्मेदार निभाएंगे। बाहरी सदस्यों में मॉनेक्सो फिनटेक के सह-संस्थापक विक्रम मेहता और क्लाउडसेक के संस्थापक एवं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ राहुल शशि शामिल हैं।
समूह डिजिटल ऋण गतिविधियों का मूल्यांकन करेगा और उनकी पहुंच तथा आरबीआई द्वारा विनियमित इकाइयों में डिजिटल ऋण गतिविधियां ठेके पर दिए जाने के पैमानों का आकलन करेगा। समूह गैर-विनियमित डिजिटल ऋण के मामले में वित्तीय स्थिरता, विनियमित इकाइयों और ग्राहकों से जुड़े जोखिमों का भी पता लगाएगा। समूह को व्यवस्थित तरीके से डिजिटल ऋण के विकास के लिए नियामकीय बदलावों पर सुझाव देने को भी कहा गया है। समूह नियामकीय या सांविधिक मानदंड के विस्तार के उपायों तथा विभिन्न नियामकीय एवं सरकारी एजेंसियों की भूमिका के बारे में भी सुझाव देगा।
कार्यसमूह डिजिटल ऋण फर्मों के लिए उचित कार्यप्रणाली संहिता भी तैयार करेगा और ग्राहकों की सुरक्षा के उपायों पर भी सुझाव देगा। आरबीआई ने कहा कि कुल मिलाकर यह समूह डिजिटल ऋण सेवाओं के लिए उन्नत डेटा प्रशासन, डेटा गोपनीयता और डेटा सुरक्षा मानदंडों को उन्नत बनाने के बारे में सुझाव देगा।
आरबीआई का मानना है कि डिजिटल ऋण क्षेत्र में वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक ज्यादा उचित, दक्ष एवं समावेशी तरीके से पहुंच बनाने की क्षमता है। वित्तीय क्षेत्र में डिजिटल विधि की पहुंच स्वागत योग्य कदम है लेकिन इसके लाभ के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं। नियामक ने कहा, 'एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, जिससे नियामकीय प्रारूप नवोन्मेष को बढ़ावा देने के साथ ही डेटा की सुरक्षा, निजता, गोनपीयता और ग्राहकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।'
बीते समय में आरबीआई ने आम लोगों को अनधिकृत ऋण प्लेटफॉर्म या मोबाइल ऐप के बारे में चेताया था। उसने लोगों को ऐसी कंपनियों की पृष्ठभूमि जांचने की सलाह दी थी। कई लोगों और छोटे कारोबारियों के अनधिकृत डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के जरिये शिकार बनाए जाने की शिकायतों के बाद आरबीआई ने यह कदम उठाया है। हैदराबाद में प्रशासन ने करोड़ों रुपये के ऋण घोटाले मामले में 75 बैंक खातों को जब्त किया है। कर्ज देने वालों और वसूली एजेंटों के उत्पीडऩ से तंग आकर तीन लोगों के खुदकुशी करने के बाद धोखाधड़ी का यह मामला सामने आया था।
इसके अलावा आरबीआई ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की ओर से काम करने वाले डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म से ग्राहकों को बैंक तथा एनबीएफसी के नाम का खुलासा करने को कहा है। आरबीआई ने लोगों को सूचित किया था कि ऋण का लेनदेन केंद्रीय बैंक पंजीकृत बैंक, एनबीएफसी तथा राज्य सरकार द्वारा विनियमित अन्य इकाइयों से ही करें।
महामारी के कारण आर्थिक दबाव की वजह से ग्राहक कर्ज के लिए इन डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन इस तरह के ऋण पर ब्याज दरें काफी ज्यादा होती हैं और उसे कभी भी बदल दिया जाता है। इसके साथ ही कई तरह के छिपे शुल्क होते हैं। अगर लेनदार समय पर कर्ज वापस नहीं कर पाता है तो वसूली एजेंट उनका तथा उनके परिवार का उत्पीडऩ करते हैं।
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