एफपीआई पंजीकरण में उछाल | ऐश्ली कुटिन्हो और सचिन मामबटा / मुंबई January 12, 2021 | | | | |
दिसंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के नए पंजीकरण में शानदार तेजी आई, क्योंकि बाजार धारणा सुधरने से उभरते बाजार और कुछ भारत-केंद्रित फंडों की स्थापना को बढ़ावा मिला है।
एनएसडीएल और प्राइम डेटाबेस के आंकड़े से पता चलता है कि करीब सात महीने के बाददिसंबर में 100 से ज्यादा पंजीकरण दर्ज किए गए और कुल एफपीआई पंजीकरण का आंकड़ा पहली बार 10,000 के पार पहुंच गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े में एफपीआई की संख्या 10,656 बताई गई है जिसमें डीम्ड एफपीआई भी शामिल हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों और पुरानी नियामकीय व्यवस्था के तहत उनके उप-खातों के तौर पर पंजीकृत निवेशकों को एफपीआई बनने के लिए संभावित समझा गया था।
भारतीय शेयर बाजारों ने नवंबर और दिसंबर के महीनों में 16.8 अरब डॉलर का एफपीआई पूंजी प्रवाह दर्ज किया, जिससे सूचकांक भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए थे।
महामारी के बाद परिचालन संबंधी समस्याओं के कारण और बाजार में पैदा हुई अनिश्चितता से पंजीकरण की संख्या काफी घट गई थी।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में वित्तीय सेवाओं के कार्यकारी निदेशक निहाल संपत ने कहा, 'एफपीआई पंजीकरणों में हाल में आई तेजी से भारतीय पूंजी बाजारों में मजबूत प्रवाह का पता चलता है। सामान्य तौर पर उभरते बाजार, और खासकर भारतीय बाजारों ने अच्छी तेजी दर्ज की है और निवेशकों को आकर्षित किया है। उभरते बाजार पर केंद्रित फंडों समेत कई वैश्विक फंड एफपीआई पंजीकरण के लिए उत्साह दिखा रहे हैं।'
नया मासिक पंजीकरण औसत पिछले साल अप्रैल तक 100 से ज्यादा का रहा और यह मई तथा जून में घटकर 31 और 36 रह गया। बाद के महीनों में कुछ सुधार दिखा, लेकिन आंकड़ा फिर से घटकर अक्टूबर में 38 रह गया।
विश्लेषकों के अनुसार, वर्क फ्रॉम होम, दुनियाभर के शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, और बिकवाली दबाव ने निवेशकों को नई निवेश योजनाओं को टालने के लिए मजबूर किया। इसके परिणामस्वरूप, नए एफपीआई पंजीकरण की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। साथ ही लॉकडाउन जैसे हालात और वैश्विक तौर पर आर्थिक अनिश्चितता से भी धारणा प्रभावित हुई।
डेलायट हैस्किंस ऐंड सेल्स में पार्टनर राजेश एच गांधी ने कहा, 'नए पंजीकरण की रफ्तार पिछले कुछ महीनों में धीमी पड़ी है, जिसकी वजह कोविड के कारण पंजीकरण की राह में आई चुनौतियां, डेट में कम एफपीआई निवेश के साथ साथ पी-नोट के लिए ज्यादा आवंटन हैं। हालांकि दिसंबर में पंजीकरण में फिर से तेजी र्द की गई और हम चालू कैलेंडर वर्ष में तेजी देख सकते हैं।'
पी-नोट्स से निवेशकों को एफपीआई के तौर पर पंजीकृत हुए बिना भारतीय बाजारों में निवेश की अनुमति मिलती है।
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