शीर्ष इंस्टैंट मैसेंजर व्हाट्सऐप द्वारा जारी नई सेवा शर्तों ने इसका इस्तेमाल करने वाले तमाम लोगों के बीच डेटा की निजता पर बहस दोबारा शुरू कर दी है। व्हाट्सऐप दुनिया की सबसे लोकप्रिय इंस्टैंट मैसेज (आईएम) सेवा है और दो अरब से अधिक लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। यह आंकड़ा दुनिया के दूसरे स्वतंत्र आईएम नेटवर्क (फेसबुक मैसेंजर) से चार गुना अधिक है। फेसबुक की इस अनुषंगी कंपनी ने गत वर्ष कारोबारी उपभोक्ताओं के लिए एक एपीआई जारी किया था और वह इस समय फिनटेक भुगतान के काम को गति प्रदान कर रही है। नई शर्तें भारत के 40 करोड़ उपभोक्ताओं के लिए खासी प्रासंगिक हैं क्योंकि देश में डेटा की निजता को लेकर कोई कानून नहीं है। ऐसे में यहां नई सेवा शर्तों को लागू करना आसान है। बहरहाल कारोबारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने इस पर स्थगन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुति दी है। नई सेवा शर्तें यूरोपीय संघ में लागू नहीं की जा सकती हैं क्योंकि ये वहां के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेग्युलेशन (जीडीपीआर) का उल्लंघन करती हैं। अमेरिका में भी इसे लागू करने में दिक्कत हो सकती है क्योंकि फेडरल ट्रेड कमीशन तथा कई राज्यों ने फेसबुक के खिलाफ ऐंटी ट्रस्ट केस दायर करने के साथ कहा है कि व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक की अन्य अनुषंगी कंपनियों को सोशल नेटवर्क से अलग किया जाए। नई सेवा शर्तें आगामी 8 फरवरी से लागू होनी हैं। इसमें इस्तेमाल करने वालों के पास यह विकल्प भी नहीं होगा कि वे डेटा साझा करने से इनकार कर सकें। सन 2016 में व्हाट्सऐप ने उन उपयोगकर्ताओं को बाहर रहने का विकल्प दिया था जो डेटा साझा करने से इनकार कर सकते थे। अपने बचाव में व्हाट्सऐप ने कहा है कि एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन बरकरार रहेगा। यह विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के बीच बातचीत की निजता सुनिश्चित करता है। परंतु करीब 8,000 शब्दों की नई सेवा शर्तों के मुताबिक कारोबारी खातों को डेटा और मेटाडेटा सेवा प्रदाताओं के साथ साझा करना होगा। ये सेवा प्रदाता फेसबुक भी हो सकती है और कोई तीसरा पक्ष भी। यानी कारोबारी खाताधारकों द्वारा बातचीत में उल्लिखित संवेदनशील सामग्री बाहर जा सकती है। व्हाट्सऐप डेटा और मेटाडेटा का बड़ा हिस्सा जिसमें लोकेशन, हैंडसेट की जानकारी, कनेक्शन, सभी संपर्क आदि पहले ही फेसबुक के साथ साझा किए जाते हैं। जब ये तमाम डेटा फेसबुक के मेटाडेटा से उसके अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जुड़ते हैं तो यह उपयोगकर्ता की पूरी तस्वीर उसके सामने साफ कर देता है। भारत में व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कई विद्यालयीन गतिविधियों के लिए किया जाता है। ऐसे में बच्चों की जानकारी भी इसके पास होगी। सोशल नेटवर्क की 99 फीसदी आय विज्ञापनों से होती है। व्हाट्सऐप की आय का स्रोत बिजनेस एपीआई और विज्ञापन हैं। दोनों प्लेटफॉर्म डेटा और मेटाडेटा की साझेदारी से लाभान्वित हो सकते हैं और भारत में उसके साझेदारों समेत तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता भी। यह निजी डेटा की सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकता है क्योंकि सेवा शर्तें जीडीपीआर के प्रतिकूल हैं। जीडीपीआर को दुनिया का सबसे व्यापक निजता संरक्षण कानून माना जाता है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति ऐलन मस्क और ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी समेत कई प्रमुख लोगों ने व्हाट्सऐप से दूरी बनाने की सलाह दी है। हालांकि इसमें दिक्कतें हैं। यह एक सहज, इस्तेमाल में आसान ऐप है। दूसरी बात यह कि अन्य आईएम नेटवर्क में इतने लोग नहीं हैं यानी संपर्क सीमित होता है। तीसरा मसला कॉर्पोरेट के दबाव के रूप में सामने आ सकता है। यदि सेवा प्रदाता व्हाट्सऐप बिजनेस अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वे अपने क्लाइंट पर दबाव बना सकते हैं कि वे भी यहां रहें। ऐसे में कुछ लोग जहां निजता की सुरक्षा चुनेंगे, वहीं कुछ अन्य इसके आसान होने को प्राथमिकता देंगे।
