निफ्टी का मूल्यांकन सर्वकालिक उच्च स्तर पर | कृष्ण कांत / मुंबई January 12, 2021 | | | | |
शेयर बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है। बेंचमार्क निफ्टी 50 सूचकांक आज एक और कीर्तिमान कायम करते हुए नई ऊंचाई पर पहुंच गया। निफ्टी 39.9 के पीई गुणक पर बंद हुआ और प्रति शेयर आज 364.6 रुपये रही।
करीब 25 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में कोई बेंचमार्क सूचकांक 40 गुना या अधिक के पीई पर कारोबार कर रहा है। इससे पहले अक्टूबर 1994 में बीएसई सेंसेक्स 40 गुना के पीई पर कारोबार किया था। अप्रैल 1992 में हर्षद मेहता के समय बाजार में आई तेजी के साथ सेंसेक्स का मूल्यांकन 57.4 गुना पीई गुणक के
उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। फिलहाल यह 35 गुना पीई गुणक पर कारोबार कर रहा है।
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा मूल्यांकन की तुलना 1990 के दशक के बाजार मूल्यांकन से नहीं की जा सकती। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं चेयरमैन जी चोकालिंगम ने कहा, '1990 के दशक की शुरुआत में देश के शेयर बाजार का आकार काफी छोटा था और कुल बाजार पूंजीकरण में गिनी-चुनी बड़ी कंपनियों का ही अहम योगदान था।'
विश्लेषकों का कहना है कि अपेक्षाकृत कम बाजार पूंजीकरण में टे्रडरों के लिए मूल्यांकन को काफी ज्यादा स्तर तक बढ़ाना असान होता है लेकिन मौजूदा समय में ऐसा करना कठिन है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बीएसई की सभी सूचीबद्घ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण मार्च 1992 के अंत में 3.23 लाख करोड़ रुपये और मार्च 1995 में 4.35 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि आज के समय में यह बढ़कर 197.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है।
हालांकि शेयर का मूल्यांकन बीते नौ महीनों में जितना बढ़ा है, उस हिसाब से कंपनियों की आय और आर्थिक बुनियाद सुदृढ़ नजर नहीं आती है। उदाहरण के लिए कंपनियों की आय और इक्व्टिी रिटर्न कोविड से पहले के 20 फीसदी से कम रहने के बावजूद मूल्यांकन नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।
सूचकांक में शामिल कंपनियों का आरओई दिसंबर 2019 के अंत के 13.3 प्रतिशत से कम होकर 10.2 प्रतिशत रह गया है। तुलनात्मक स्तर पर देखें तो अप्रैल 1992 में शेयर पर सेंसेक्स ने करीब 18 प्रतिशत प्रतिफल दिया था और अक्टूबर 1994 में यह आंकड़ा 14.4 प्रतिशत था। सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय बाजारों और वास्तविक अर्थव्यवस्था के बीच कमजोर होते संबंधों पर चिंता जताई थी। आरबीआई ने कहा था कि शेयरों का ऊंचा मूल्यांकन वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी जून 2020 में अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में ऐसी ही चिंता जताई थी।
हालांकि बाजार पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि शेयर बाजारों में नकदी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहने से बढ़त थमती नहीं दिख रही है। सिस्टमैटिक इंस्टीट्यूशनल रिसर्च में शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, 'बाजार में जब तक नकदी भारी मात्रा में उपलब्ध होगी तब तक शेयरों की कीमतें और उनका मूल्यांकन लगातार बढ़ेंगे। विदेशी निवेशक रोज भारतीय शेयर बाजारों में 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये निवेश कर रहे हैं, जिनकी बदौलत यह तेजी देखी जा रही है।' सिन्हा के अनुसार बाजार में तेजी तभी थमेगी जब आरबीआई महंगाई बढऩे के डर से बाजार से अतिरिक्त नकदी खींच लेगा। बकौल सिन्हा फिलहाल इस बात की गुंजाइश कम ही लग रही है।
नए निवेशकों के कूदने से भी बाजार को धार मिली है। बीएसई के अनुसार पिछले एक महीने में करीब 16 लाख नए निवेशक बाजार में आए हैं।
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