पिछले साल की दूसरी छमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से निवेश प्रवाह में बड़ा बदलाव दर्ज किया गया, क्योंकि वैश्विक पूंजी में वृद्घि से भारत जैसे उभरते बाजारों (ईएम) को बड़ी पूंजी आकर्षित करने में मदद मिली। एडलवाइस सिक्योरिटीज द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, पिछले साल अप्रैल से एफपीआई प्रवाह के आंकड़े से पता चलता है कि एफपीआई ने आर्थिक वृद्घि की मजबूती के बीच उपभोक्ता मांग में आए व्यापक सुधार पर दांव लगाने पर जोर दिया। अप्रैल और दिसंबर के बीच, बैंकों और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में 8.9 अरब डॉलर का निवेश हासिल हुआ, जिसमें 7.5 अरब डॉलर पिछले तीन महीनें में आया है। एफएमसीजी क्षेत्र ने 5.4 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया, क्योंकि उम्मीद से पहले व्यवसाय बहाल हुआ और बिक्री में सुधार आने से एशियन पेंट्स, टाइटन, डाबर, और टाटा कंज्यूमर के शेयरों को नई ऊंचाइयां छूने में मदद मिली। इस अवधि में बड़ा एफपीआई निवेश आकर्षित करने वाले अन्य क्षेत्र थे तेल एवं गैस (2.3 अरब डॉलर), फार्मास्युटिकल (1.7 अरब डॉलर), पूंजीगत वस्तु (1.6 अरब डॉलर), और ऑटोमोबाइल (1.5 अरब डॉलर)। एडलवाइस सिक्योरिटीज द्वारा जारी एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है, 'बैंक और वित्त न सिर्फ उपभोक्ताओं से संबंधित क्षेत्र नहीं हैं। इस क्षेत्र ने भारतीय सफलता की कहानी में श्रेष्ठ योगदान का भी नेतृत्व किया है। मांग या पूंजी निवेश सुधार में किसी तरह की तेजी बेंक एवं वित्तीय क्षेत्र द्वारा केंद्रित होगी।' जिस क्षेत्र में अप्रैल से दिसंबर तक सबसे ज्यादा एफपीआई बिकवाली दर्ज की गई, वह था दूरसंचार। दूरसंचार क्षेत्र में इस अवधि में एफपीआई निवेशकों ने 1.13 अरब डॉलर की बिकवाली की। रिपोर्ट में कहा गया है, 'इस क्षेत्र पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा और कानूनी मामलों की वजह से दबाव देखा गया। जहां भारती एयरटेल और इंडस टावर्स अपने निचले स्तर से उबरे, वहीं वोडाफोन आइडिया को बड़े दबाव का सामना करना पड़ा।' कैलेंडर वर्ष 2020 में, बैंकिंग एवं वित्त (5.9 अरब डॉलर) और एफएमसीजी (3.9 अरब डॉलर) में सर्वाधिक पूंजी प्रवाह दर्ज किया गया, जबकि सबसे ज्यादा बिकवाली दूरसंचार (87.7 करोड़ डॉलर) और बिजली (46.1 करोड़ डॉलर) में दर्ज की गई। पिछले एक साल में जिन क्षेत्रों ने एफपीआईनिवेश में सर्वाधिक वृद्घि दर्ज की, वे हैं सूचना प्रौद्योगिकी (244 आधार अंक), फार्मास्युटिकल (128 आधार अंक), एफएमसीजी (95 आधार अंक), और पूंजीगत वस्तु (70 आधार अंक)। बैंकिंग एवं वित्त में एफपीआई स्वामित्व पिछले एक साल में 355 आधार अंक घट गया था, लेकिन पिछले तीन महीने में यह प्रवाह काफी उत्साहजनक रहा। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि आगामी तीन महीनों में कमजोर डॉलर, वैश्विक तरलता, और मजबूत जिंस कीमतें भारत जैसे उभरते बाजारों में लगातार सकारात्मक वैश्विक प्रवाह के लिए अच्छा संकेत हैं।
